MP: में नर्सिंग घोटाले का नया मामला, अस्पताल ने बिना अनुमति ढाई साल तक नर्सिंग स्टाफ के दस्तावेज किए इस्तेमाल!

शिकायतकर्ता ने सवाल उठाया कि जब उन्होंने किसी को अपने दस्तावेज उपलब्ध ही नहीं कराए, तो फिर अस्पताल तक उनका रजिस्ट्रेशन नंबर कैसे पहुंचा?
भोपाल में नर्सिंग घोटाले का नया मामला
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भोपाल। मध्य प्रदेश में नर्सिंग घोटाले के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। नियमों को सख्त किए जाने के बाद भी निजी अस्पतालों और कॉलेजों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। अब राजधानी भोपाल से एक नया मामला प्रकाश में आया है, जहां एक प्राइवेट अस्पताल पर आरोप है कि उसने नर्सिंग स्टाफ की जानकारी और रजिस्ट्रेशन नंबर को बिना अनुमति के ढाई साल तक अपने यहां उपयोग किया।

यह मामला श्री हरी मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल का है। भोपाल निवासी नर्सिंग स्टाफ प्रियंका सेन ने अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि उनका नर्सिंग रजिस्ट्रेशन और अन्य व्यक्तिगत दस्तावेज बिना उनकी जानकारी के लंबे समय तक अस्पताल में दर्ज दिखाए गए। शिकायतकर्ता प्रियंका ने इस मामले की लिखित शिकायत सीएमएचओ कार्यालय और लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग दोनों जगह की है।

अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर आरोप

प्रियंका सेन ने बताया कि फरवरी 2025 में उन्हें इस पूरे फर्जीवाड़े की जानकारी मिली। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने अस्पताल के रिकॉर्ड की जांच की तो यह देखकर हैरान रह गईं कि ढाई साल से उनका नाम अस्पताल के नर्सिंग स्टाफ के रूप में दर्ज है। जबकि वे बीते तीन साल से घर पर हैं और किसी भी अस्पताल या कॉलेज में नौकरी नहीं कर रही थीं।

प्रियंका का कहना है कि उन्होंने तुरंत इस मामले की जानकारी भोपाल सीएमएचओ कार्यालय को दी। लेकिन सात महीने बीत जाने के बाद भी न तो अस्पताल पर कार्रवाई हुई और न ही इस पूरे मामले की गंभीर जांच शुरू की गई। उल्टा उनसे शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया गया। मजबूर होकर उन्होंने लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग में लिखित शिकायत दर्ज कराई। हालांकि विभाग की कार्रवाई केवल उनके नाम को अस्पताल की स्टाफ लिस्ट से हटाने तक सीमित रही।

मामले पर अस्पताल के डायरेक्टर अशोक चौहान ने कहा कि किसी भी तरह की अनियमितता नहीं हुई है। उनका कहना है कि उनके यहां प्रियंका सेन नाम की कोई नर्सिंग स्टाफ नहीं है और न ही वे इस नाम की किसी लड़की को जानते हैं। लेकिन शिकायतकर्ता का कहना है कि यह सफाई केवल मामले को दबाने की कोशिश है, जबकि सच्चाई यह है कि उनका नाम लंबे समय से अस्पताल के पोर्टल पर दर्ज था।

कॉलेजों में भी मिल रही फर्जीवाड़े की शिकायतें

नर्सिंग सेक्टर में गड़बड़ी का यह अकेला मामला नहीं है। हाल ही में एनएसयूआई ने भी मध्यप्रदेश नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल में एक शिकायत दर्ज कराई है। इसमें आरोप लगाया गया कि राम मनोहर लोहिया नर्सिंग कॉलेज ने शैक्षणिक सत्र 2025-26 में मान्यता प्राप्त करने के लिए फर्जी फैकल्टी दिखाई। आरोप है कि कॉलेज ने कंचन यादव नाम की छात्रा को अपने यहां ट्यूटर दिखाया, जबकि वह इंदौर के सरकारी नर्सिंग कॉलेज से एमएससी नर्सिंग कर रही हैं।

एनएसयूआई के प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार ने द मूकनायक से बातचीत में कहा कि नर्सिंग से जुड़ा यह फर्जीवाड़ा पूरे प्रदेश में फैला हुआ है। इसमें न केवल अस्पताल बल्कि कॉलेज भी शामिल हैं। मान्यता पाने से लेकर फर्जी स्टाफ और फैकल्टी दिखाने तक का यह खेल लगातार जारी है, जिससे नर्सिंग शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

अस्पताल पर कार्रवाई हो और मुआवजा मिले

प्रियंका सेन का कहना है कि उनका नाम भले ही 3 सितंबर को अस्पताल की स्टाफ लिस्ट से हटा दिया गया, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि ढाई साल तक उनके पर्सनल डॉक्यूमेंट और नर्सिंग रजिस्ट्रेशन का गलत इस्तेमाल हुआ। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग को न केवल अस्पताल पर कार्रवाई करनी चाहिए बल्कि उन्हें इस धोखाधड़ी के लिए मुआवजा भी दिलाना चाहिए।

प्रियंका ने सवाल उठाया कि जब उन्होंने किसी को अपने दस्तावेज उपलब्ध ही नहीं कराए, तो फिर अस्पताल तक उनका रजिस्ट्रेशन नंबर कैसे पहुंचा? यह साफ तौर पर दिखाता है कि कहीं न कहीं अंदरूनी स्तर पर मिलीभगत है। उन्होंने कहा कि यदि कार्रवाई नहीं होती है तो वे कानूनी रास्ता अपनाने को मजबूर होंगी।

सीएमएचओ डॉ. मनीष शर्मा ने बताया कि मामला उनके संज्ञान में आया था और यह तकनीकी गड़बड़ी का नतीजा था। उनके अनुसार श्री हरी मल्टी-केयर अस्पताल के ऑनलाइन पोर्टल में कुछ गलत एंट्री दर्ज हो गई थी, जिसे उनकी टीम ने सुधारकर 3 सितंबर को हटा दिया। हालांकि शिकायतकर्ता का मानना है कि यह तकनीकी गड़बड़ी नहीं बल्कि एक सुनियोजित फर्जीवाड़ा है।

लगातार सामने आ रहे फर्जीवाड़े के मामले

मध्यप्रदेश में नर्सिंग घोटाला कोई नया विषय नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में नर्सिंग कॉलेजों और अस्पतालों से जुड़े कई मामले सामने आ चुके हैं। इसके बाद नियमों को सख्त करने और निरीक्षण बढ़ाने के दावे किए गए थे। लेकिन भोपाल का यह नया मामला बताता है कि गड़बड़ी का सिलसिला थमा नहीं है।

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