भारत: जेनेरिक दवाई लिखेंगे सरकारी डॉक्टर, ब्रांडेड दवाई नहीं!

ब्रान्डेड दवाई लिखी तो होगी सख्त कार्रवाई, केंद्र सरकार ने दिए आदेश
भारत: जेनेरिक दवाई लिखेंगे सरकारी डॉक्टर, ब्रांडेड दवाई नहीं!

नई दिल्ली। देश में जेनरिक दवाओं के इस्तेमाल को लेकर केंद्र सरकार अब सख्त हो गई है। सरकार ने गत सोमवार को एक आदेश जारी कर अपने सभी डॉक्टरों को जेनरिक दवा लिखने की हिदायत दी है। सरकार ने कहा कि अगर डॉक्टर अपनी पर्ची में जेनरिक दवा नहीं लिखते हैं तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

स्वास्थ्य सेवा के डायरेक्टर जनरल ने आदेश जारी करते हुए वार्निंग दी है कि जो कोई भी डॉक्टर जेनरिक दवाओं को अपने पर्ची में शामिल नहीं करेगा उसके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जा सकता है। आदेश में कहा गया है कि कुछ डॉक्टरों की ओर से ब्रांडेड दवाएं लिखी जा रही हैं जो कि ठीक नहीं है।

जानकारी के मुताबिक इसके अतिरिक्त मेडिकल रिप्रजेंटेटिव का डॉक्टरों से मिलने के लिए भी नए दिशा-निर्देश जारी किया गया है। डॉ. अतुल गोयल ने अपने नोटिस में डॉक्टरों को इस बात की हिदायद दी है कि किसी भी सूरत में अपनी पर्ची पर केवल जेनरिक दवाओं को ही लिखें।

गौरतबल है कि पहले भी ऐसे आदेश जारी किए गए थे उसके बाद भी कुछ डॉक्टरों की ओर से पर्ची पर ब्रांडेड दवाएं लिखी जा रही है। ब्रांडेड दवाएं लिखने के पीछे एक जेनरिक दवाइयों की उपलब्धता को भी जिम्मेदार ठहराया जाता है। अधिकतर सरकारी अस्पतालों में जेनरिक दवाओं की कमी के मामले भी सामने आ चुके हैं।

आमतौर पर जेनरिक दवाएं ब्रांडेड दवाओं की तुलना में काफी सस्ती होती हैं। सस्ती होने की वजह से मरीजों पर आर्थिक बोझ नहीं बढ़ता है। ब्रांडेड और जेनरिक दवाओं की कीमत में जमीन-आसमान का फर्क होता है।

अस्पतालों में दवाइयों की लिस्ट करनी होगी डिस्प्ले

स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, सभी सरकारी अस्पतालों से ये भी कहा गया है कि वो उपलब्ध दवाइयों की लिस्ट डिस्प्ले करें। अब डॉक्टर मरीज को चाहकर भी बाहर से दवा नहीं लिख सकते। ऐसे में अब जन औषधि केंद्र से दवाइयां ली जा सकेंगी।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने बताया कि यह फैसला जनता के हित को ध्यान में रखकर लिया गया है। अगर अस्पताल में दवाएं नहीं हैं, और डॉक्टर बाहर की दवा लिखते हैं तो वे ब्रांड के नाम की जगह सॉल्ट का नाम लिखेंगे। अगर डॉक्टर बाहर की दवा लिखते पाए गए, तो उन पर कार्रवाई की जाएगी।

क्या होती है जेनरिक दवाएं

- जेनेरिक दवाई ऐसी दवाई होती हैं। जो किसी ब्रांडेड दवा के समान ही इफेक्टिव होती हैं, और एक समान चिकित्सीय प्रभाव पैदा करती हैं।

- किसी अन्य ब्रांडेड कंपनियों की दवाओं की तुलना में जेनेरिक दवाएं की खुराक गुणवत्ता इसके काम करने के तरीके, इसे लेने के तरीके और इसके उपयोग के तरीके सामान्य ही होते हैं।

- जेनेरिक दवाओं एक समान तौर रोगों से लड़ने में रोगियों की मदद करती हैं, ठीक उसी प्रकार जैसे किसी ब्रांडेड दवा के सेवन के बाद शारीरिक असर होता है।

- सबसे ज्यादा जरूरी फैक्टर यह है, कि किसी ब्रांडेड दवाओं की तुलना में जेनेरिक दवाओं की कीमत बहुत कम होती है।

- ब्रांड नाम वाली दवा का पेमेंट समाप्त होने के बाद ही किसी जेनेरिक दवा को बाजार में लाया जाता है।

जेनेरिक दवाओं को लेकर जागरूकता जरूरी: डॉक्टर हरि सिंह मीणा

द मूकनायक ने डॉक्टर हरिसिंह मीणा से बात की जो एक हड्डी रोग विशेषज्ञ हैं और राजस्थान के जिला अस्पताल गंगापुर सिटी में डॉक्टर हैं। डॉ. हरी बताते हैं कि मैं एक सरकारी अस्पताल में डॉक्टर हूं तो हम ज्यादातर जेनेरिक दवाएं ही मरीजों को देते हैं। यह भी ऐसे ही फार्मूले से बनती हैं, जैसे दूसरी ब्रांड दवाइयां बनती है। यह भी उसी तरह असर करती हैं, जैसे ब्रांडेड दवाएं करती हैं। लेकिन मैं आपसे एक बात शेयर करना चाहता हूं कि हमारे पास अस्पताल में कई तरह के मरीज आते हैं। मान लीजिए कि हमारे पास यदि बुखार आदि के मरीज आते हैं, तो हम उनको पीसीएम दे देते हैं। वह जेनेरिक दवाएं ही होती हैं। इसके बाद मरीज ही दोबारा आकर कहते हैं, कि हमें बाहर से लिखकर दवाई दे दो इस दवाई से हमें आराम नहीं हो रहा है। क्योंकि कहीं ना कहीं उन मरीजों को खुद लगता है कि सरकारी अस्पताल से मिलने वाली या जेनेरिक दवाई से उनको आराम नहीं मिलता। ऐसा इसलिए है, क्योंकि सभी को लगता है कि महंगी और ब्रांडेड दवाएं ही रोग पर काम कर सकती हैं।

आगे डॉक्टर बताते हैं कि कुछ जेनेरिक दवाई मिलती भी नहीं है। फिर बाद में महंगी या ब्रांड की दवाएं ही उपयोग लाई जाती हैं। जेनेरिक दवाओं के लिए आप कितने भी कानूनी कार्रवाई ले आओ। फिर भी लोग बाहर से ही दवाई खरीदेंगे। अगर जेनेरिक दवाओं को कामयाब करना है तो उसके लिए दवाओं की उपलब्धता की मात्रा उनके प्रति जागरूकता और विश्वास पहले देश में लाना होगा। तभी जाकर जेनेरिक दवाओं को प्राथमिकता मिलेगी और इससे गरीबों को ही फायदा मिलेगा।

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