नई दिल्ली: कैंसर रोग विशेषज्ञों की ओर से शुरू किए गए 'कैसर मुक्त भारत फाउंडेशन' के मुताबिक एक मार्च और 15 मई के बीच 1368 लोगों ने काल किया। इस गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) की ओर से संचालित हेल्पलाइन नंबर पर फोन काल करके चिकित्सक से परामर्श लेने वाले कैंसर रोगियों में से 20 फीसद की उम्र 40 वर्ष से कम थी जो इस बात का संकेत है कि युवाओं के कैंसर की चपेट में आने के मामले बढ़े हैं।
अध्ययन से पता चला कि 40 वर्ष से कम उम्र के 60 फीसद कैंसर रोगी पुरुष थे। यह भी पाया गया कि सबसे अधिक प्रचलित मामले सिर और गर्दन के कैंसर (26 फीसद) के थे, इसके बाद 'गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर' (16 फीसद), स्तन कैंसर (15 फीसद) और रक्त कैंसर (नौ फीसद) के मामले पाए गए।
एनजीओ के एक बयान में कहा गया है कि सबसे ज्यादा फोन काल हैदराबाद से प्राप्त हुए इसके बाद मेरठ, मुंबई और नई दिल्ली का स्थान था। मरीजों के लिए दूसरे चिकित्सक की निशुल्क राय उपलब्ध कराने के लिए हेल्पलाइन नंबर (93-555-20202) शुरू किया गया। यह सोमवार से शनिवार तक सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक चालू रहता है। कैंसर रोगी प्रमुख कैंसर रोग विशेषज्ञ से सीधे बात करने के लिए हेल्पलाइन नंबर पर काल कर सकते हैं या अपने कैंसर के इलाज पर चर्चा करने के लिए वीडियो काल भी कर सकते हैं।
कैंसर मुक्त भारत अभियान का नेतृत्व कर रहे प्रधान अन्वेषक और वरिष्ठ चिकित्सक आशीष गुप्ता ने कहा कि हेल्पलाइन नंबर की शुरुआत के बाद से यह पूरे भारत के कैंसर रोगियों के लिए एक सहायता प्रणाली साथित हुई है और हर दिन लगभग सैकड़ों फोन काल प्राप्त होते हैं। यह अध्ययन उपचार के प्रति अधिक लक्षित कैंसर दृष्टिकोण बनाने और भारत को 'कैंसर मुक्त' बनाने में मदद करता है।
उन्होंने कहा कि, सिर और गर्दन के कैंसर के मामले सबसे अधिक हैं, जिसे जीवनशैली में सुधार, टीकाकरण और जांच से लगभग पूरी तरह से रोका जा सकता है। स्तन और मलाशय के कैंसर का प्रारंभिक चरण में पता लगाने के लिए प्रभावी जांच विधि मौजूद है।
विश्व स्वास्थ्य दिवस के मौके पर पेश हुई एक ताजा रिपोर्ट में भारत को दुनिया का कैंसर कैपिटल कहा गया है. इस रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में भारत में कैंसर के 14 लाख नए मरीज मिले थे. 2025 तक यह आंकड़ा 15 लाख 70 हजार मामलों तक पहुंचने का है और 2040 तक यह अनुमान 20 लाख नए कैंसर मामलों तक पहुंचने का है.
रिपोर्ट में कैंसर के अलावा भी कई अन्य पहलुओं पर भी विचार किया गया है. इसमें कहा गया है कि भारत में गैर संक्रमक बीमारियां बढ़ रही है और युवा इसकी चपेट में अधिक आ रहे हैं. एक तिहाई भारतीय प्री डायबिटिक हैं यानि कि वो कभी भी डायबिटीज की चपेट में आ सकते हैं. वहीं दो तिहाई भारतीय प्री हाइपरटेंशन की स्टेज पर हैं यानि वो हाइपरटेंशन में आने ही वाले हैं.
हर 10 में से 1 भारतीय डिप्रेशन से जूझ रहा है. कैंसर, डायबिटीडज, हृदय रोग, मानसिक बीमारियां खतरनाक स्तर पर पहुंच गई हैं. इनमें भी कैंसर के मामलों को लेकर खास चिंता जताई गई है. कैंसर के मामले वैश्विस औसत से कई अधिक हो गए हैं.
भारत में कैंसर के बढ़ते मामलों के पीछे बदलती लाइफस्टाइल, पर्यायवरण में बदलाव, सामाजिक और आर्धिक चुनौतियां शामिल हैं. तंबाकू का बढ़ता इस्तेमाल फेफड़े, मुंह और गले के कैंसर को बढ़ावा दे रहा है. वायु प्रदूषण से कारण भी कैंसर पैदा करने वाले कण हमारे शरीर में चले जाते हैं और कई तरह के कैंसर बनने का खतरा बढ़ा देते हैं. प्रोसेस्ड फूड का इस्तेमाल बढ़ने और शारीरिक मेहनत वाले काम कम होने के कारण मोटापा बढ़ रहा है, जिसकी वजह से स्तन कैंसर, कोलेरेक्टल कैंसर बढ़ रहे हैं.
वहीं कैंसर को लेकर आज भी जागरूकता की काफी कमी है. कैंसर का देर में पता चलना और देरी से इसका इलाज शुरू होना भी इसके भयानक रूप लेने से जुड़ा है
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