उत्तर प्रदेशः बिल्डर ने बैरियर लगा दलित-पिछड़े ग्रामीणों का रोका रास्ता!-ग्राउंड रिपोर्ट

लखनऊ पुलिस मुख्यालय के सामने बिल्डर और रिटायर्ड डिप्टी एसपी के खौफ में रहने को मजबूर दलित और पिछड़े समुदाय के लोग, सार्वजनिक रास्तों पर लगा दिया बैरियर, सब्जी बेचने सहित घुमंतू दुकानदारों पर प्रतिबंध।
गांव में जाने का मुख्य मार्ग,इस पर अब बैरियर लगाकर सिक्योरिटी तैनात कर दी गई है.
गांव में जाने का मुख्य मार्ग,इस पर अब बैरियर लगाकर सिक्योरिटी तैनात कर दी गई है.The Mooknayak

लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ के पॉश इलाके गोमती नगर एक्सटेंशन स्थित एक गांव में दलित और पिछड़े समुदाय के लोग कथित तौर पर शालीमार बिल्डर और उसके सिक्योरिटी ऑफिसर (रिटायर्ड डिप्टी एसपी) के खौफ में जीवन बिताने को मजबूर हैं। आरोप है कि बिल्डर की शह पर सिक्योरिटी आफिसर ने आने-जाने के सभी सार्वजनिक रास्तों पर बैरियर लगा दिया है। गांव वालों सहित छोटे घुमंतू पटरी दुकानदारों को आने-जाने की मनाही है। यदि कोई ऐसा करता पाया जाता है तो उसके साथ-मारपीट की जाती है।

द मूकनायक की टीम मामले की पड़ताल के लिए गोमती नगर विस्तार में मौजूद बाघामऊ गांव पहुंची। यह गांव गोमती नदी के किनारे बसा है। एक तरफ नदी का प्रवाह है, जबकि दूसरी तरफ लखनऊ का अंतराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम और हाईटेक मॉल। स्टेडियम और हाईटेक मॉल बनने के बाद गांव के आस-पास की जमीन सोना हो गई। इसका फायदा उठाकर एक नामचीन बिल्डर ने गांव के आस-पास की जमीन खरीद ली। अब इस गांव के चारों तरफ ऊंची इमारतें हैं। इन इमारतों के कारण कभी शहीद पथ से ही दिखाई देने वाला गांव कहीं गायब सा हो गया है। इस गांव की आबादी 2500 के करीब है, जबकि 1200 के करीब मकान बने हुए हैं। इस गांव में अनुसूचित जाति और जनजाति के लगभग 1500 लोग रहते हैं, जबकि 1000 के करीब पिछड़ी जाति के लोग हैं।

गांव में जाने का मार्ग,इस पर बैरियर लगाकर सिक्योरिटी तैनात कर दी गई है.
गांव में जाने का मार्ग,इस पर बैरियर लगाकर सिक्योरिटी तैनात कर दी गई है.The Mooknayak

गांव में जाने के दो मुख्य मार्ग हैं। इसके अलावा तीन वैकल्पिक मार्ग भी हैं। यह सभी आम रास्ते हैं, जो राजस्व रिकार्ड में दर्ज है, लेकिन अब इन रास्तों पर बैरियर लगाकर गार्ड तैनात कर दिए गए हैं। ग्रामीणों का कहना है इस रास्ते से गुजरने के लिए उन्हें बार-बार परेशान किया जाता है। पूछताछ की जाती है। गांव में फुटकर पटरी दुकानदारों, सब्जी बेचने वालों के आने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। रास्ते से गुजरने पर कई बार मारपीट की गई। जातिसूचक गालियां देकर अपमान किया जाता है। विरोध करने पर पिटाई की जाती है। झूठे मुकदमे में फंसा दिया जाता है।

द मूकनायक से स्थानीय निवासी नन्हे लाल बताते हैं-"गांव के आस-पास की जमीन बिल्डरों ने 2006 में खरीदना शुरू की थी। 2012 तक पूरी जमीन बिल्डरों ने खरीद ली। 2017 में यहां बिल्डिंग बनाने का काम शुरू हुआ था। तब हमें इतना अधिक परेशान नहीं किया जाता था। 2022 में यहां की कुछ इमारतों और घरों में लोगों ने रहना शुरू किया। तब से गांव के आने-जाने के रास्ते पर बैरियर लगा दिए। हमें तब भी कोई परेशानी नहीं हुई थी। पिछले एक साल से हम सब गांव वालों का उत्पीड़न बढ़ गया है।"

गांव की तस्वीर, बड़ी इमारतों के आगे गांव के घर छिप गए.
गांव की तस्वीर, बड़ी इमारतों के आगे गांव के घर छिप गए.The Mooknayak

नन्हे लाल बताते हैं- "शहीद पथ से गांव आने के दो मुख्य मार्ग हैं। इसके अतिरिक्त गांव में आने के तीन अन्य रास्ते भी हैं, लेकिन अब हर रास्ते पर बैरियर लगाकर सिक्योरिटी लगा दी गई है। गांव में आने-जाने वाले लोगों का नाम, गाड़ी का नंबर आधार नंबर, घर का पता सब नोट किया जाता है। इससे भी हमें कोई समस्या नहीं हुई। हम छोटी जाति के लोग हैं, उन बड़े लोगों के सामने हम कुछ भी कहने सुनने से डरते हैं। इसलिए हम चुपचाप उनके नियमो के अनुसार आते और जाते थे। धीरे-धीरे बैरियर पर तैनात सिक्योरिटी ने सख्ती करना शुरू कर दिया। गांव में अगर कोई चार पहिया वाहन या भवन निर्माण के लिए कोई सामग्री घर का सामान या खेती के लिए ट्रैक्टर पर कुछ सामान आता है तो हमारी ट्रैक्टर-ट्राली को रोक लिया जाता था। गार्ड हमारे ही गांव में जाने के लिए दो सौ से तीन सौ रुपये मांगते थे। तब गाडी जाने देते थे।"

गांव का एक आम रास्ता.
गांव का एक आम रास्ता.The Mooknayak

नन्हे आगे बताते हैं-"27 अक्टूबर को सुबह 10 बजे ककरहा पुरवा से बाघामऊ आ रहा था। इस दौरान बैरियर पर तैनात सिक्योरिटी गार्ड ने मुझे जाने से रोका। मुझे घूमकर दूसरे रास्ते से जाने को कहा। उस रास्ते से दो-तीन किमी घूमकर जाना पड़ता है। मैंने इसी रास्ते से जाने की बात कही, इसपर सिक्योरिटी गार्ड ने मुझे जातिसूचक गालियां दीं। जब मैंने इसका विरोध किया तो सिक्योरिटी अफसर चरण सिंह को बुला लिया। वह रिटायर्ड पुलिस अधिकारी है। उसने मुझे बुलाया। अपने साथ गार्ड रूम में ले गया और बर्बरता से मेरी पिटाई की।"

मैंने इस मामले में जानकीपुरम विस्तार थाने में शिकायत की लेकिन मेरी सुनवाई नहीं हुई। मैंने पूरे मामले की शिकायत सीएम पोर्टल पर की। जिसके बाद 30 अक्टूबर 2022 को मेरी तहरीर पर मुकदमा लिखा गया,लेकिन मुकदमा दर्ज होने के बाद, कोई सुनवाई नहीं हुई है। इस मुकदमे में मुझसे सुलह का प्रयास किया गया। मैं सुलाह के लिए तैयार नहीं हुआ। इसके बाद चरण सिंह की तहरीर पर 31 अक्टूबर 2022 को मेरे परिवार के खिलाफ झूठा मुकदमा लिख लिया गया। इसमें मेरे तीनो भाईयों सहित मेरे नाबालिग भतीजे को नामजद किया गया है। हमें लगातार धमकाया जा रहा है." नन्हे ने कहा।

"इस गांव में छोटे पटरी दुकानदारों और सब्जी बेचने वालो को सोसायटी के अंदर आने की मनाही है। हमारा गांव इस सोसायटी के बीच में मौजूद है। बैरियर लगा होने के कारण उन्हें बाहर ही रोक दिया जाता है। गांव का एक लड़का समोसा बनाकर कम्पनी में काम करने वाले मजदूरों को बेचकर अपने परिवार का पेट पालता था। उसे भी सिक्योरिटी ने पकड़कर बहुत पीटा। इस मामले में कोई शिकायत नहीं दर्ज की गई। सिक्योरिटी अफसर चरण सिंह ने एक बार 12 बच्चों को पकड़ लिया और थाने ले जाकर जेल भेजने की धमकी दी। वह सभी बच्चों पर चोरी का आरोप लगा रहा था। गांव वाले इससे डर गए। चरण सिंह ने उन्हें छोड़ने के लिए पैसा भी लिया था।"-नन्हे ने बताया।

तालाब की जमीन पाट कर किया गया कब्जा।
तालाब की जमीन पाट कर किया गया कब्जा।The Mooknayak

तालाब और घूर गड्ढे पाटकर कर लिया कब्जा!

गांव वालों का आरोप है कि बिल्डर ने नदी के आस-पास आने जाने का रास्ता खोद डाला है। हमारे घरों का पानी तालाब में जाता था, उसे पाट दिया गया है। कई सारे घूर-गड्ढों को पाट दिया गया है। उन पर अब बिल्डर का कब्जा है। हमारे घरों का पानी अब एक खली पड़े प्लाट में जाता है। जब कम्पनी यहां आई थी तब उसने कहा था कि गांव का विकास करेंगे। अच्छी सड़के, स्कूल, खेलने के मैदान बनाएंगे, लेकिन हमें अपने ही घरों में आने से रोका जा रहा है।

इधर, सिक्योरटी अफसर चरण सिंह का कहना है कि सोसायटी में लूट की घटना हुई थी। इसके बाद थाना प्रभारी ने सभी रास्तों पर प्राईवेट बैरियर और कैमरे लगाने का सुझाव दिया था। पुलिस ने यह भी कहा था कि आने जाने वाले लोगों का रिकॉर्ड बनाकर रखें।

गांव से दिखाई देता अंतराष्ट्रीय इकाना स्टेडियम.
गांव से दिखाई देता अंतराष्ट्रीय इकाना स्टेडियम.The Mooknayak

गांव में छोटे दुकानदारों और सब्जी विक्रेता को प्रतिबंधित करने के सवाल पर चरण सिंह कहते हैं- बिल्डर ने यह जमीन गांव वालों को पैसा देकर खरीदी है। सड़कों को बिल्डर ने बनाया है। इस सोसायटी में हाई-प्रोफाइल लोग रहते हैं। ऐसे में छोटे दुकानदारों की इस क्षेत्र में आने की मनाही है। गांव के लोगों को परेशान नहीं किया जाता है। उन्हें केवल गाडी के नंबर और आधार जमा कराने के लिए कहा गया था। उन्हें आने-जाने में कोई रोक-टोक नहीं की जाती है।

द मूकनायक ने क्षेत्रीय थाना प्रभारी से बातचीत की। थाना प्रभारी का कहना है कि हमने किसी भी प्रकार का बैरियर लगाने के लिए नहीं कहा है। चूंकि रास्ते का विवाद है, इसलिए हमने संबंधित विभाग को चिट्ठी भी लिखी थी। सिक्योरिटी अफसर को केवल सुरक्षा की दृष्टि से रजिस्टर बनाने को कहा गया था। इस मामले में मारपीट के दो मामले दर्ज किए गए हैं, विवेचना चल रही है।

द मूकनायक ने इस मामले में प्राइवेट बिल्डर से भी सम्पर्क करने की कोशिश की। लेकिन बिल्डर के कार्यालय ने उनके नहीं उपलब्ध होने की जानकारी दी। मामले में नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह से बातचीत करने का प्रयास किया गया। नगर आयुक्त कार्यालय से उनके मीटिंग में व्यस्त होने की जानकारी मिली।

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