जयपुर- राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अगुवाई में शनिवार को हुई कैबिनेट बैठक में ‘द राजस्थान प्रोहिबिशन ऑफ अनलॉफुल कन्वर्जन का रिलिजन बिल 2024’ को मंजूरी दी गई। कानून मंत्री जोगाराम पटेल इस बिल को राजस्थान के आगामी विधानसभा सत्र में पेश करेंगे। उन्होंने कहा, “जिस तरह प्रदेश में धर्मांतरण के मामले प्रकाश में आए हैं, उसके मद्देनजर यह बिल विधानसभा में पेश किए जाने का फैसला किया गया है।”
उन्होंने इस संबंध में पत्रकार वार्ता कर कहा, “इससे पहले उत्तर प्रदेश में 2021, मध्य प्रदेश में 2021, उत्तराखंड में 2018, गुजरात में 2021, हिमाचल प्रदेश में 2019, झारखंड में 2017 में, कर्नाटक में 2022, ओडिशा में 1967 में धर्मांतरण के विरुद्ध कानून बनाया जा चुके हैं। इसके अलावा, कई अन्य प्रदेशों में भी धर्मांतरण के विरुद्ध कानून बनाए गए हैं। इसे देखते अब हमने भी यह कदम उठाने का फैसला किया है।”
उन्होंने कहा, “संविधान का अनुच्छेद 25 हम सभी को अंतःकरण से अपने धर्म का पालन करने की इजाजत देता है। हम सभी धर्मों को समानता की दृष्टि से देखते हैं। सभी धर्मों की पूजा-पद्धति अलग-अलग है, जिससे हमें कोई एतराज नहीं है। लेकिन, अगर कोई किसी को प्रलोभन देकर या उसकी आर्थिक कमजोरियों का नाजायज फायदा उठाकर उसका धर्मांतरण कराता है, तो उसे हम जबरन धर्मांतरण की श्रेणी में शामिल करेंगे। उसी को रोकने के लिए आज हम यह कानून लेकर आए हैं। अलग-अलग प्रदेशों में इसे लेकर अलग-अलग कानून बनाए गए हैं।”
उन्होंने कहा, “ उत्तर प्रदेश में अगर कोई धर्मांतरण के मामले में संलिप्त पाया जाता है, तो उसके खिलाफ 1 से 5 साल की सजा होगी। हमने भी अपने विधेयक में एक से पांच साल की सजा का प्रावधान किया है। अगर कोई महिला, नाबालिग और एससी/एसटी समुदाय से जुड़े किसी व्यक्ति का धर्मांतरण कराता है, तो उसे 3 से 10 साल की सजा दिए जाने का प्रावधान है। अगर कोई दोबारा से धर्मांतरण के मामलों में संलिप्त पाया जाता है या सामूहिक तौर पर किसी का धर्मांतरण कराया जाता है, तो उसे भी 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया है।”
उन्होंने कहा, “गुजरात, झारखंड और कर्नाटक में धर्मांतरण के मामले में सजा के प्रावधान बहुत ही कड़े हैं, उन सभी का समायोजन कर हमने सजा के प्रावधान किए हैं।” उन्होंने कहा, “अगर कोई स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करना चाहता है, तो उसे 60 दिन पहले ही संबंधित जिलाधिकारी को इस संबंध में सूचना देगी, तब वो धर्म परिवर्तन करा सकता है।”
उल्लेखनीय है कि इससे पहले 2008 में वसुंधरा सरकार में धर्मांतरण बिल लाया गया था। 16 साल से यह बिल केंद्र में अटका हुआ था। जिसे अब तक राष्ट्रपति ने मंजूरी नहीं दी थी। लेकिन, अब वसुंधरा सरकार में पारित हुआ धर्मांतरण बिल भी भजनलाल सरकार वापस लेगी और धर्मांतरण पर नया बिल पेश करेगी।
डिस्क्लेमरः यह खबर आईएएनएस न्यूज फीड से प्रकाशित की गई है. The Mooknayak टीम की ओर से इसमें किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की गई है.
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