भोपाल। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा को लेकर अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग के अभ्यर्थियों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में कहा है कि इन अभ्यर्थियों को पांच वर्ष की अतिरिक्त आयु सीमा छूट का लाभ दिया जाए। यह फैसला हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक अग्रवाल की युगलपीठ ने सुनाया। हालांकि, हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि चयन सूची और परीक्षा परिणाम विचाराधीन याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन रहेंगे।
दमोह निवासी छोटे लाल अहिरवार सहित अन्य अभ्यर्थियों ने मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपी-पीएससी) द्वारा आयोजित असिस्टेंट प्रोफेसर और खेल अधिकारी भर्ती परीक्षा में आयु सीमा छूट को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता संजीव कुमार सिंह ने कोर्ट में दलीलें प्रस्तुत कीं।
अधिवक्ता संजीव कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता अतिथि विद्वान (Guest Faculty) के रूप में कार्यरत हैं। एमपी-पीएससी द्वारा असिस्टेंट प्रोफेसर और खेल अधिकारी पदों के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 26 मार्च निर्धारित की गई थी। नियमों के अनुसार, सेवा में कार्यरत अतिथि विद्वानों को अधिकतम 45 वर्ष की आयु सीमा तक आवेदन करने की छूट दी गई थी।
याचिका में तर्क दिया गया कि अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के अभ्यर्थियों को संविधान द्वारा पांच साल की अतिरिक्त आयु छूट का प्रावधान दिया गया है, लेकिन अतिथि विद्वानों के लिए दी गई आयु छूट में इस अतिरिक्त छूट को शामिल नहीं किया गया था। इस कारण, एससी-एसटी वर्ग के अतिथि विद्वान इस संवैधानिक लाभ से वंचित हो रहे थे।
याचिकाकर्ताओं की दलीलों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने एससी-एसटी वर्ग के अतिथि विद्वानों को अतिरिक्त पांच वर्ष की आयु छूट प्रदान करने का अंतरिम आदेश पारित किया। इसका मतलब यह हुआ कि अब इन वर्गों के अतिथि विद्वान 50 वर्ष की अधिकतम उम्र तक आवेदन कर सकेंगे।
एससी-एसटी वर्ग के अभ्यर्थियों को फायदा – अतिरिक्त पांच साल की छूट मिलने से बड़ी संख्या में ऐसे अभ्यर्थी आवेदन कर सकेंगे, जो पहले अधिकतम उम्र सीमा के कारण बाहर हो रहे थे।
भर्ती प्रक्रिया में बदलाव संभव – अब एमपी-पीएससी को इस फैसले को लागू करते हुए संशोधित आयु सीमा के साथ आवेदन प्रक्रिया पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है।
अन्य भर्तियों पर असर – इस फैसले का असर भविष्य में अन्य सरकारी भर्तियों पर भी पड़ सकता है, जहां आयु सीमा को लेकर एससी-एसटी अभ्यर्थियों को छूट दिए जाने की मांग हो सकती है।
संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के उम्मीदवारों को दी जाने वाली आयु सीमा छूट भारतीय संविधान के अनुच्छेद 16(4) और 46 में दिए गए सामाजिक न्याय के सिद्धांतों पर आधारित है। इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि यदि सरकार किसी विशेष वर्ग के लिए आयु छूट का प्रावधान करती है, तो उसमें एससी-एसटी वर्ग को उनकी संवैधानिक छूट से वंचित नहीं किया जा सकता।
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