रेपिस्टों को अब भी मिलेगी राहत! गुवाहाटी हाईकोर्ट ने खारिज की बधियाकरण की मांग, जानिए पूरा मामला

याचिकाकर्ता ने बलात्कारियों के लिए अनिवार्य बधियाकरण और दिशा एक्ट जैसे कानून की मांग की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने कहा — हर राज्य की अपनी चुनौतियाँ होती हैं।
Gauhati High Court Rejects Plea Seeking Mandatory Castration for Rapists
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने रेप के दोषियों के लिए अनिवार्य बधियाकरण की याचिका खारिज कीग्राफिक- द मूकनायक
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गुवाहाटी — गुवाहाटी हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका (PIL) खारिज कर दी है जिसमें असम सरकार को सामूहिक बलात्कार, बलात्कार और हत्या तथा नाबालिगों के बलात्कार के दोषियों के लिए अनिवार्य बधियाकरण (कैस्ट्रेशन) की सजा लागू करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

यह याचिका पिछले वर्ष याचिकाकर्ता रीतम सिंह द्वारा दायर की गई थी, जिसमें महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों पर चिंता जताई गई थी और ऐसे अपराधों को रोकने के लिए कठोर दंड की मांग की गई थी। सिंह ने असम में आंध्र प्रदेश दिशा एक्ट — क्रिमिनल लॉ (आंध्र प्रदेश अमेंडमेंट) एक्ट, 2019 — जैसे कानून लागू करने का भी अनुरोध किया था, जिससे यौन अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण पाया जा सके और मृत्युदंड तक की सजा वाले मामलों में तेजी से सुनवाई पूरी की जा सके।

आंध्र प्रदेश दिशा एक्ट खास तौर पर महिलाओं और बच्चों के खिलाफ बलात्कार व हत्या जैसे अपराधों पर सख्ती के लिए बनाया गया है। इसमें त्वरित सुनवाई, विशेष सजा और विशेष अदालतों की स्थापना का प्रावधान है।

हालांकि, मुख्य न्यायाधीश विजय बिष्णोई और न्यायमूर्ति कार्डक एटे की खंडपीठ ने कहा कि हर राज्य की अपराध नियंत्रण की अपनी विशिष्ट चुनौतियाँ होती हैं। कोर्ट ने कहा, “किसी एक राज्य में लागू योजना का अन्य राज्य में प्रभावी होना आवश्यक नहीं है।” पीठ ने यह भी कहा कि किसी भी योजना को लागू करने से पहले उस राज्य की जमीनी परिस्थितियों को ध्यान में रखा जाता है।

कोर्ट ने स्पष्ट किया, “ऐसे में असम राज्य को अन्य राज्यों की योजनाओं या कानूनों को लागू करने का निर्देश नहीं दिया जा सकता।”

अदालत में दायर काउंटर हलफनामे में असम के पुलिस महानिदेशक (DGP) ने बताया कि राज्य पुलिस महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को लेकर शून्य सहिष्णुता की नीति अपनाए हुए है। हलफनामे में कहा गया कि इन मामलों की नियमित निगरानी की जाती है, डीजीपी की अध्यक्षता में हर महीने ‘क्राइम कॉन्फ्रेंस’ आयोजित होती है, और अभियोजन पक्ष के साथ समन्वय बैठकें कर मामलों की त्वरित सुनवाई सुनिश्चित की जाती है।

डीजीपी ने यह भी बताया कि असम पुलिस सोशल मीडिया पर विभिन्न अभियानों के माध्यम से आमजन में अपराध, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रही है।

इसके अलावा हलफनामे में कहा गया कि राज्य में 320 महिला हेल्प डेस्क स्थापित की गई हैं ताकि थानों को महिलाओं के लिए अधिक अनुकूल और सुलभ बनाया जा सके। महिला हेल्प डेस्क किसी भी थाने में आने वाली महिला के लिए पहली और एकल संपर्क बिंदु होती है, और यहां नियुक्त अधिकारी महिलाओं से जुड़े मामलों को संभालने के लिए प्रशिक्षित होते हैं।

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