30 अप्रैल आखातीज: बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत उदयपुर में 2 बाल विवाह रुकवाए

बाल विवाह करवाने के साथ सहयोगी बनना भी अपराध, होगी सख्त कार्यवाही-डॉ.पंड्या
30 अप्रैल आखातीज: बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत उदयपुर में 2 बाल विवाह रुकवाए
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उदयपुर- आगामी अक्षयतृतीया एवं अबूझ सावो के दौरान बाल विवाह होने की संभावना को गंभीरता से लेते हुए गायत्री सेवा संस्थान, उदयपुर एवं जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन अलायन्स की टीम जिले में अलर्ट है। संस्थान एवं स्थानीय प्रशासन के सयुक्त प्रयास से जिले के कुराबाड पंचायत समिति के भेसडा खुर्द ग्राम पंचायत में 14 अप्रैल को 2 नाबालिग बच्चियों के विवाह को रुकवाया गया।

सोमवार को सूचना मिलते ही गायत्री सेवा संस्थान की टीम मय स्थानीय ग्राम पंचायत के विकास अधिकारी संजय सैन, पटवारी जय राज सिंह झाला एवं विवेक पालीवाल ने दो बालिकाओ जिनकी उम्र 16 वर्ष थी का बाल विवाह रुकवाया।साथ ही उनके परिवार वालो पाबंद कर हिदायत दी की जब तक तक बालिकाए 18 वर्ष की नहीं हो जाती तब तक उनका विवाह नहीं करे, यदि ऐसा नहीं किया तो बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के तहत उन पर क़ानूनी कार्यवाही की जाएगी।

इस अवसर पर गायत्री सेवा संस्थान के निदेशक एवं राजस्थान बाल आयोग, राजस्थान सरकार के पूर्व सदस्य डॉ. शैलेन्द्र पंड्या ने जानकारी देते हुए बताया की हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी संस्थान आखातीज के पूर्व अलर्ट मोड पर रहते हुए निगरानी कर रही है ताकि किसी बचपन की आहुति बाल विवाह में न हो जाये। जल्द ही जिला प्रशासन एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण उदयपुर के साथ मिलकर इस हेतु विशेष अभियान भी एक माह के लिए चलाया जायेगा।

‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान 200 से भी ज्यादा गैरसरकारी संगठनों का गठबंधन है जो 2030 तक बाल विवाह के खात्मे के लिए पूरे देश में काम कर रहे हैं। ये सभी सहयोगी संगठन इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एक समग्र रणनीति ‘पिकेट’ पर अमल कर रहे हैं जिसमें नीति, संस्थान, संम्मिलन, ज्ञान, परिवेश, तकनीक जैसी चीजें शामिल हैं। धार्मिक नेताओं और समुदायों के साथ साझा प्रयासों से इसने इस अपराध के खात्मे के लिए 4.90 करोड़ लोगों को बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिलाई है।

बताते चलें कि पिछले एक साल में बाल विवाह मुक्त भारत अभियान और इसके सहयोगी गैरसरकारी संगठनों के प्रयासों से देश में सफलतापूर्वक 120,000 बाल विवाह रुकवाए गए। इसके अलावा, सरकार के प्रयासों से बाल विवाह की दृष्टि से संवेदनशील 11 लाख बच्चों का विवाह होने से रोका गया।

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