लखनऊ। यूपी के झांसी जिले में लगभग दो सप्ताह से किसान पीसीएफ केंद्र मऊरानीपुर का चक्कर काटने को मजबूर हैं। उन्हें खाद नहीं मिल पा रही है। किसान रोजाना सैकड़ों की संख्या में सुबह से पीसीएफ केंद्र पर एकत्रित होते हैं। शाम तक लाइन में लगते हैं फिर बैरंग वापस जाना पड़ता है।
दरअसल, मऊरानीपुर तहसील के पीसीएफ केंद्र पर लगातार 13 दिन से किसान डीएपी खाद के लिए दूर दराज गांवों से पहुंच रहे हैं। जब उन्हें डीएपी खाद नहीं मिली तो वह अपने-अपने घरों को वापस लौट जाते हैं। सुबह से शाम तक खाद की उम्मीद में लाईन में लगे इन किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई देती हैं।
जानकारी के मुताबिक, हर वर्ष की तरह इस बार भी जनपद में डीएपी और यूरिया खाद की किल्लत कई दिनों से जारी है। जिसके कारण रबी फसल की बुवाई पर भी प्रभाव पड़ेगा। किसानों को समय पर खाद की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। रात दिन किसान एक एक बोरी खाद के लिए पीसीएफ केंद्रों और सोसाइटियों में लाइन लगाए नजर आते हैं। किसानों के मुताबिक बुआई का समय निकलता जा रहा है। खाद न मिलने से किसान परेशान नजर आ रहे हैं।
यूपी किसान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शिवनारायण सिंह परिहार ने पीसीएफ केंद्र पर पहुंचकर किसानों से बात की, किसानों की पीड़ा सुनी। परिहार के मुताबिक पीसीएफ केंद्र रोजाना की तरह समय पर खुला। लेकिन केंद्र पर पहुंच रहे सैकड़ों किसानों को मायूसी ही हाथ लगी। सैकड़ों की संख्या में पहुँचे किसान हताश निराश होकर अपने घरों को लौट गए। किसान काफी परेशान दिखाई दिए।
उनका कहना था कि समय कम बचा है, खेती समय की होती है, समय पर अगर खाद नहीं मिलेगी तो बुआई नहीं कर पाएंगे। जब खेतों में बुआई नहीं कर पाएंगे तो फसल नहीं होगी। ऐसे में घर चलाना मुश्किल हो जाएगा। परिहार ने किसानों की पीड़ा सुनते हुए कहा कि जनपद झांसी का किसान प्राकृतिक आपदाओं के साथ-साथ सरकार की गलत नीतियों का शिकार हो रहा है। जब किसानों को खाद बीज पानी बिजली की आवश्यकता होती है तब तक शासन प्रशासन जिम्मेदार अधिकारी किसानों की जरूरत को पूरा करने में नाकाम हो जाते हैं। जिसका खामियाजा जनपद के किसानों को भुगतना पड़ता है। परिहार ने कहा खाद आपूर्ति नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी। वहीं इस मामले में उप जिला अधिकारी ने जल्दी ही खाद आपूर्ति कराने की बात कही है।
(एनसीआरबी) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, 2017 और 2021 के बीच उत्तर प्रदेश में 398 किसानों की आत्महत्याएं दर्ज की गई हैं, जबकि 701 कृषि मजदूरों की आत्महत्याएं दर्ज की गई हैं।
हालांकि, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में किसान आत्महत्या की बात इनकार करते हुए इसी साल मार्च में कहा कि “पहले प्रदेश में गन्ना किसानों को अपनी फसल जलाने और आत्महत्या का प्रयास करने के लिए मजबूर होना पड़ा, लेकिन पिछले छह वर्षों में उत्तर प्रदेश में किसी भी किसान की आत्महत्या से मृत्यु नहीं हुई है।”
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