Rajasthan: अफीम उत्पादक किसान परेशान, बोले वजन के हिसाब से डोडा- चूरा का मुआवजा दो या फिर...

आबकारी विभाग के नष्टकरण आदेशों के खिलाफ प्रदर्शन
उदयपुर कलेक्ट्री के बाहर धरने पर बैठे अफीम उत्पादक किसान
उदयपुर कलेक्ट्री के बाहर धरने पर बैठे अफीम उत्पादक किसान
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उदयपुर - भारतीय किसान संघ, राजस्थान के अफीम किसान संघर्ष समिति ने बीते दिनों अफीम के डोडा चूरा के नष्टकरण संबंधी हालिया आदेशों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है। किसानों ने जिला कलेक्टर उदयपुर के माध्यम से राजस्थान के मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें मौजूदा नीतियों की समीक्षा की मांग की गई है।

 राजस्थान व अन्य राज्यो में अफीम उत्पादक किसानों को भारत सरकार  अफीम उत्पादन हेतु लाइसेंस जारी किया जाता है. अफीम तो भारत सरकार जीवन रक्षक दवाइया बनाने के लिए निर्धारित मापदंड के अनुसार खरीद लेती है . 2016 से पूर्व राज्य सरकार द्वारा अफीम से बचा हुआ डोडा चूरा किसानों को समर्थन देने के निर्धारित ठेका पद्धति पर ₹125 प्रति किलो खरीदा जाता था, जिसे सरकार ने बंद कर दिया.

नए आदेश के तहत डोडा चूरा को नष्ट करने का निर्देश दिया गया है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा है। समिति ने राज्य सरकार से डोडा चूरा के लिए ₹2,000 प्रति किलोग्राम के हिसाब से मुआवजे की मांग की है या किसानों को इसे अपनी ज़मीन पर नष्ट करने की अनुमति देने की अपील की है, जिससे मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ेगी।

ज्ञापन में कई प्रमुख मांगें शामिल हैं:

  1. डोडा चूरा के लिए मुआवजा: किसानों ने डोडा चूरा के लिए ₹2,000 प्रति किलोग्राम मुआवजे की मांग की है या अपनी ज़मीन पर नष्ट करने की अनुमति देने की अपील की है।

  2. अफीम नीति 2024-25: सरकार से अनुरोध है कि वे पिछले वर्षों की तरह किसानों को दो प्लॉट में अफीम की खेती करने की अनुमति जारी रखें।

  3. एनडीपीएस एक्ट की धारा 8, उपधारा 29 को समाप्त किया जाए: समिति का कहना है कि यह धारा किसानों के शोषण का आधार बनी हुई है।

  4. अफीम का क्षेत्रफल बढ़ाया जाए: समिति ने अफीम की खेती के लिए क्षेत्रफल को 20 एकड़ तक बढ़ाने की मांग की है।

  5. अफीम लाइसेंस का हस्तांतरण: किसानों को अफीम लाइसेंस को अन्य किसानों को हस्तांतरित करने का अधिकार दिया जाए।

  6. अफीम की कीमत बढ़ाई जाए: समिति ने सरकार से अफीम की कीमत बढ़ाने की अपील की है, जो कई वर्षों से स्थिर रही है।

किसानों का कहना है कि कई किसानों को डोडा चूरा सुरक्षित रखने में कठिनाई होती है क्योंकि उनके पास उचित आवास की कमी होती है, जिससे जानवरों या खराब मौसम से नुकसान होता है। वे मानते हैं कि अगर किसानों को अपने खेत में डोडा चूरा नष्ट करने की अनुमति दी जाती है, तो इससे शोषण रोका जा सकता है और जैविक खेती को बढ़ावा मिल सकता है।

ज्ञापन और विरोध प्रदर्शन को भारतीय किसान संघ, राजस्थान के विभिन्न अधिकारियों ने समर्थन दिया। किसान राज्य सरकार से इन मुद्दों पर उचित समाधान की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

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