पुलिस ने वापस लिया किसान नेताओं पर NSA लगाने का फैसला, मृतक के परिवार को 1 करोड़ देगी पंजाब सरकार

अम्बाला पुलिस ने कहा था कि किसान संगठनों द्वारा दिल्ली कूच को लेकर शंभू बॉर्डर पर लगे बैरिकेड्स को तोड़ने के लगातार प्रयास किये जा रहे हैं जिससे सरकारी व प्राईवेट संपत्ति को काफी नुकसान पहुँचा है। आंदोलन के दौरान सरकारी संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई आंदोलनकारी किसान नेताओं की संपत्ति कुर्क करके की जाएगी। जिसके लिए पुलिस ने किसान नेताओं के बैंक खातें सीज करने की कार्यवाही भी शुरू कर दी है।
शंभू बोर्डर पर एक महिला किसान.
शंभू बोर्डर पर एक महिला किसान. सौम्या राज, द मूकनायक.

नई दिल्ली। हरियाणा पुलिस ने आंदोलनकारी किसान नेताओं के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत कार्यवाही करने के फैसले को महज कुछ घंटों बाद ही वापस ले लिया है। दरअसल, गुरुवार देर रात अम्बाला पुलिस ने एक बयान जारी कर बताया था कि इस आन्दोलन में जो किसान नेता सक्रिय भूमिका में हैं उनके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980 (एनएसए एक्ट) के तहत कार्रवाई की जा रही है और अधिनियम की धारा 2 (3) के तहत किसान संगठनों के पदाधिकारियों को नजरबंद करने की कार्यवाही प्रशासन द्वारा अमल में लाई जा रही है।

इससे पहले, अम्बाला पुलिस ने कहा था कि किसान संगठनों द्वारा दिल्ली कूच को लेकर शंभू बॉर्डर पर लगे बैरिकेड्स को तोड़ने के लगातार प्रयास किये जा रहे हैं जिससे सरकारी व प्राईवेट संपत्ति को काफी नुकसान पहुँचा है। आंदोलन के दौरान सरकारी संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई आंदोलनकारी किसान नेताओं की संपत्ति कुर्क करके की जाएगी। जिसके लिए पुलिस ने किसान नेताओं के बैंक खाते सीज करने की कार्यवाही भी शुरू कर दी है।

हालांकि, अब इस फैसले को अम्बाला पुलिस द्वारा वापस ले लिया गया है। पुलिस का कहना है कि उसने एनएसए लगाने के अपने फैसले पर दोबारा विचार किया और यह तय किया है कि किसान नेताओं पर एनएसए की धाराओं के तहत कार्रवाई नहीं की जाएगी।

अम्बाला रेंज के पुलिस आईजी सिबाश कबिराज ने कहा है, “अंबाला में किसान नेताओं पर राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के तहत कार्रवाई करने के मामले पर हमने दोबारा विचार किया और तय किया गया है कि इस क़ानून की धाराओं के तहत उन पर कार्रवाई नहीं की जाएगी।” उन्होंने कहा कि हरियाणा पुलिस किसानों से और किसान नेताओं से अपील करती है कि शांति व्यवस्था बनाए रखने में प्रशासन का सहयोग करें।

मृतक किसान के परिवार को पंजाब सरकार देगी 1 करोड़ रुपये मुआवजा

आंदोलनकारी किसान संगठनों द्वारा खनौरी बॉर्डर पर पुलिस के हमले में मारे गए युवा किसान शुभकरण सिंह के परिवार को मुआवजा दिलाने के लिए की जा रही मांग को पंजाब सरकार द्वारा मान लिया गया है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने घोषणा की है कि पंजाब सरकार की ओर से शुभकरण सिंह के परिवार को एक करोड़ रुपये का मुआवजा और उनकी बहन को सरकारी नौकरी दी जाएगी।

उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर एक पोस्ट कर लिखा, “खनौरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए शुभकरन सिंह के परिवार को पंजाब सरकार की ओर से 1 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता और उनकी छोटी बहन को सरकारी नौकरी दी जाएगी. दोषियों के ख़िलाफ़ उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी...हम फर्ज निभा रहे हैं।”

किसान आंदोलन के अगुवा सरवन सिंह पंढेर के मुताबिक, किसान संगठनों ने यह मांग की थी कि पंजाब सरकार हरियाणा के मुख्यमंत्री व गृह मंत्री पर युवा शुभकरण की हत्या का केस दर्ज करे और मृतक के परिवार को 1 करोड़ रुपए की सहायता दी जाए।

युवा किसान की मौत के विरोध में निकालेंगे ट्रैक्टर मार्च

गुरुवार को हुई संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में देशभर के 100 किसान संगठनों के नेता शामिल हुए। इस बैठक में निर्णय लिया गया कि खनौरी बॉर्डर पर युवा किसान शुभकरण की मौत के विरोध में देशभर में आक्रोश दिवस मनाएंगे। 26 फरवरी को देशभर में ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा और 14 मार्च को दिल्ली में महापंचायत होगी। हालांकि, इस बैठक में प्रदर्शन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) व किसान मजदूर मोर्चा को नहीं बुलाया गया था।

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