MP: NHRC ने खाद की किल्लत, किसानों पर लाठीचार्ज के वीडियो के बाद सीएस-डीजीपी को नोटिस, दो सप्ताह में रिपोर्ट मांगी

आयोग द्वारा मांगी गई रिपोर्टों की समीक्षा के बाद NHRC आवश्यक समझे तो औपचारिक जांच, मुआवजे की सिफारिश, प्रशासनिक कार्रवाइयों की अनुशंसा या केंद्र राज्य सरकारों के लिए नीतिगत निर्देश जारी कर सकता है।
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, नई दिल्ली
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भोपाल। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने खाद (यूरिया व डीएपी) की किल्लत और लाइन में खड़े किसानों पर कथित रूप से लाठीचार्ज तथा पुलिस बल के प्रयोग के सार्वजनिक वीडियो के मामले में मध्यप्रदेश के मुख्य सचिवों व पुलिस महानिदेशक (DGP) को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। आयोग ने साथ ही केंद्र के कृषि और रसायन व उर्वरक मंत्रालयों को भी खाद के समुचित प्रबंध और समयबद्ध वितरण सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।

NHRC की पीठ, जिसकी अध्‍यक्षता सदस्य प्रियंक कानूनगो ने की, ने शिकायत के आधार पर यह मामला मानवाधिकार सरक्षण एक्ट 1993 की धारा 12 के अंतर्गत संज्ञान में लिया है और संबंधित अधिकारियों से 15 दिनों (दो सप्ताह) में कार्रवाई संबंधी रिपोर्ट मांगी है। आयोग ने निर्देश दिए हैं कि, मुख्य सचिव, जिलाधिकारी और संबंधित अधिकारी आरोपों की जांच कराकर किसानों के लिए यूरिया व डीएपी का उचित और समय पर वितरण सुनिश्चित करें।

इसके साथ ही पुलिस महानिदेशक यह सुनिश्चित करेंगे कि लाइन में खड़े किसानों के विरुद्ध कोई कठोर कार्रवाई (लाठीचार्ज, अपमानजनक व्यवहार आदि) न हो; अगर ऐसी घटना हुई है तो उसकी विस्तृत रिपोर्ट आयोग को जमा की जाए।

सचिव (कृषि एवं किसान कल्याण) और सचिव (रसायन एवं उर्वरक) केंद्र सरकार को भी यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि किसानों तक आवश्यक खाद बिना किसी अड़चन के पहुंचे और राज्य स्तर पर वितरण की व्यवस्था ठीक हो।

NHRC से की गई थी शिकायत

शिकायत में कहा गया है कि कई राज्यों में यूरिया और डीएपी की भारी कमी के कारण खरीफ फसलों के महत्वपूर्ण समय पर किसान खाद नहीं पा रहे हैं। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि समय पर सप्लाई न होने से किसान चिंतित और निराश हैं तथा इस कारण कई जगह लोगों ने वितरण केन्द्रों पर लामबंद होकर खाद की मांग की, और कुछ जगहों पर प्रशासन/पुलिस द्वारा दमन के दावे भी सामने आए हैं। शिकायत के साथ आयोग को कुछ वीडियो लिंक भी उपलब्ध कराए गए हैं जिनमें कथित रूप से पुलिस और प्रशासन द्वारा किसानों पर बल प्रयोग का दृष्य दिखाया गया है। आयोग ने कहा है कि आरोप यदि सही पाए गए तो ये मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन हैं।

आयोग ने यह माना कि मध्यप्रदेश के कुछ जिलों में हुई घटनाओं और राजनीतिक आरोपों का हवाला स्थानीय और राष्ट्रीय मीडिया ने दिया है। राज्य में विरोध-प्रदर्शन और कतार में लगे किसानों पर कथित लाठीचार्ज के वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, जहां रीवा के करहिया मंडी और भिंड में किसानों के साथ कथित झड़पों की खबरें आईं। विपक्षी नेताओं ने सरकार पर कुप्रबंधन और काले बाजारी को संरक्षण देने का आरोप भी लगाया है। वहीं जिला प्रशासन और पुलिस ने कई मामलों में ‘माइल्ड फोर्स’ या ‘व्यवस्था बनाए रखने’ का ठहराव दिया है।

क्या हैं खाद की कमी के कारण?

विशेषज्ञों और नीति विश्लेषकों का कहना है कि 2025 में खाद के अभाव के कारण जटिल हैं, मांग में अचानक वृद्धि, उत्पादन-आपूर्ति चेन में व्यवधान, काले बाजारी और वितरण लॉजिस्टिक्स की खामियां इनमें प्रमुख हैं। कुछ विश्लेषण बताते हैं कि कुल उपलब्धता के आँकड़े जब-जब राष्ट्रीय स्तर पर पर्याप्त दिखे हैं, तब भी स्थानीय स्तर पर वितरण और रेवेन्यू लॉजिस्टिक कारणों से असमानता बनी रहती है, जिससे फसल सीज़न के समय छोटे और सीमांत किसानों को सबसे ज़्यादा परेशानी होती है।

आयोग द्वारा मांगी गई रिपोर्टों की समीक्षा के बाद NHRC आवश्यक समझे तो औपचारिक जांच, मुआवजे की सिफारिश, प्रशासनिक कार्रवाइयों की अनुशंसा या केंद्र राज्य सरकारों के लिए नीतिगत निर्देश जारी कर सकता है। मानव अधिकार सरक्षंण एक्ट के तहत आयोग की सिफारिशें अनुशंसा स्वरूप होती हैं, पर यदि आरोप गंभीर पाए गए तो आयोग न्यायिक संस्थानों अथवा सरकार से कड़े कदम उठाने का अनुरोध कर सकता है।

द मूकनायक से बातचीत में भिंड के किसान बीरेंद्र तोमर ने बताया कि जिले में खाद की किल्लत लगातार बनी हुई है। किसानों को घंटों लाइन में लगने के बावजूद पर्याप्त खाद नहीं मिल पा रही और ऊपर से प्रशासन का रवैया उनके साथ अमानवीय रहता है। उन्होंने कहा कि खेती-किसानी करने वाले किसान सम्मान और सहूलियत की उम्मीद करते हैं, लेकिन उन्हें अपमान और तकलीफ़ का सामना करना पड़ रहा है।

क्या हैं मानव अधिकार सरक्षण एक्ट?

धारा 12 आयोग को किसी भी मानवाधिकार उल्लंघन की शिकायत स्वीकार करने व स्वत: संज्ञान लेने का अधिकार प्रदान करती है।

धारा 13 आयोग को मामले की जांच कराने तथा सिविल न्यायालय के समकक्ष कुछ प्रकार की जांचात्मक शक्तियाँ प्रदान करती है।

किसान संगठनों में आक्रोश

भारतीय किसान संघ के प्रांत संगठन मंत्री राहुल धूत ने द मूकनायक से बातचीत में कहा कि प्रदेश में लगातार खाद की किल्लत बनी हुई है। किसानों को समय पर यूरिया और डीएपी नहीं मिल पा रही, जिससे खरीफ की फसलें बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं। उन्होंने बताया कि सीमांत और गरीब किसान पहले से ही महंगे डीज़ल और खाद बीज के खर्चों से परेशान हैं, ऊपर से खाद की कमी ने उन्हें और संकट में डाल दिया है।

राहुल धूत ने कहा कि सरकार और प्रशासन का दायित्व है कि किसानों को समय पर पर्याप्त खाद उपलब्ध कराए। लेकिन कई जिलों में किसान घंटों लाइन में लगकर भी खाली हाथ लौट रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि अव्यवस्था और कुप्रबंधन के कारण खाद की कालाबाज़ारी भी बढ़ रही है। ऐसे हालात में किसानों पर लाठीचार्ज या बल प्रयोग करना न सिर्फ़ अमानवीय है, बल्कि उनके संवैधानिक अधिकारों का भी हनन है। हम चाहते है, मानवाधिकार आयोग जांच कर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करे।

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