मथुरा- जिले के गोवर्धन थाना क्षेत्र की अडींग चौकी पर तैनात उपनिरीक्षक (दरोगा) कपिल नागर पर एक गरीब किसान बृजेश उर्फ बृजमोहन पुत्र प्रहलाद सिंह, को थाने में बुलाकर बेरहमी से पीटने का गंभीर आरोप लगा है। आरोप है कि यह हमला तब हुआ जब बृजेश ने कपिल नागर द्वारा 20,000 रुपये की रिश्वत मांगने की शिकायत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल (सीएम पोर्टल) पर दर्ज की थी। इस घटना ने पुलिस की कार्यशैली और भ्रष्टाचार पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो और पत्रकार श्याम मीरा सिंह व यश भदास की सक्रियता के बाद मामला उत्तर प्रदेश सरकार के संज्ञान में आया जिसके बाद उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
मथुरा के माधुरी कुंड गांव निवासी बृजेश उर्फ बृजमोहन और उसके पिता प्रहलाद सिंह एक पुराने जमीनी विवाद में उलझे थे। परिजनों का आरोप है कि अडींग चौकी प्रभारी कपिल नागर ने इस विवाद को सुलझाने के लिए 20,000 रुपये की रिश्वत मांगी। रिश्वत देने से इनकार कर बृजेश ने सीएम पोर्टल पर इस भ्रष्टाचार की शिकायत दर्ज की। शिकायत से नाराज कपिल नागर ने 27 जुलाई को बृजेश और उसके पिता को चौकी पर बुलाया।
परिजनों के अनुसार चौकी पर पहुंचने के बाद बृजेश को हिरासत में लिया गया और बंद कमरे में उसकी बेरहमी से पिटाई की गई। विशेष रूप से, उसके निजी अंगों (अंडकोषों) पर लात-घूंसे मारे गए, जिससे उसकी हालत गंभीर हो गई। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में बृजेश को दर्द से चीखते और कराहते देखा जा सकता है, जिसमें उसके अंडकोषों में भारी सूजन साफ दिखाई दे रही है।
मथुरा पुलिस ने अपने आधिकारिक बयान में मारपीट के आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया कि कोई हिंसा नहीं हुई। पुलिस के अनुसार 26 जुलाई 2025 को बृजेश ने डायल 112 पर फर्जी सूचना दी थी कि माधुरी कुंड गांव में फायरिंग हुई है, जिसमें 5-6 लोगों को गोली लगी है। जब चौकी प्रभारी कपिल नागर और पीआरवी मौके पर पहुंचे, तो ऐसी कोई घटना नहीं पाई गई। पुलिस का कहना है कि बृजेश ने इसके बाद अपना मोबाइल बंद कर लिया।
अगले दिन 27 जुलाई को प्रहलाद सिंह और अन्य लोगों के बीच जमीनी विवाद को लेकर झगड़ा हुआ। इसके चलते कपिल नागर ने प्रहलाद सिंह के खिलाफ धारा 170/126/135 बीएनएसएस के तहत कार्रवाई की। उसी दिन शाम को बृजेश को पूछताछ के लिए चौकी बुलाया गया। पुलिस का दावा है कि बृजेश ने अचानक शोर मचाना शुरू किया कि उसे अंडकोष में दर्द है और उसे हाइड्रोसील की बीमारी है। इसके बाद पुलिस और परिजन उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले गए। पुलिस ने कहा कि चौकी पर कोई मारपीट नहीं हुई और वायरल वीडियो में लगाए गए आरोप "असत्य और निराधार" हैं।
घटना के बाद बृजेश को गंभीर हालत में मथुरा जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। पत्रकार श्याम मीरा सिंह और परिजनों के अनुसार 6 दिन बीतने के बावजूद पीड़ित का मेडिकल परीक्षण नहीं कराया गया। वायरल वीडियो में बृजेश की गंभीर हालत और सूजन साफ दिख रही है, लेकिन पुलिस इसे हाइड्रोसील की बीमारी से जोड़ रही है। श्याम मीरा सिंह ने ट्वीट्स में सवाल उठाया कि अगर मारपीट नहीं हुई, तो बृजेश के अंडकोषों में सूजन का कारण क्या है और मेडिकल जांच में देरी क्यों हो रही है।
श्याम मीरा सिंह और यश भदास की लगातार ट्वीट्स और सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को उठाने के बाद मामला सुर्खियों में आया। समाजवादी पार्टी, कांग्रेस (आईएनसी उत्तर प्रदेश), और आम आदमी पार्टी (आप उत्तर प्रदेश) के कार्यकर्ताओं ने इस घटना की कड़ी निंदा की और पीड़ित को न्याय दिलाने की मांग की। समाजवादी पार्टी की विधायक डॉ. रागिनी सोनकर ने ट्वीट किया, "योगी सरकार में गरीबों को न्याय नहीं, सिर्फ सजा मिलती है। यह घटना पुलिस की गुंडागर्दी का जीता-जागता सबूत है।"
पत्रकार यश भदास द्वारा उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को मामले की जानकारी देने के बाद, पाठक ने तत्काल संज्ञान लिया। उन्होंने श्याम मीरा सिंह से फोन पर बात की और सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया। पाठक ने मथुरा के एसएसपी श्लोक कुमार और मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) को फोन कर लापरवाही पर नाराजगी जताई और पीड़ित का तत्काल मेडिकल परीक्षण कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि वह इस मामले की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करेंगे और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। मथुरा के एसएसपी श्लोक कुमार ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं, लेकिन उनका बयान पीड़ित के पक्ष को नजरअंदाज करता दिखाई देता है। कपिल नागर को केवल स्थानांतरित (ट्रांसफर) किया गया है, और अभी तक उनके खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है। जांच अधिकारी (एसपी ग्रामीण) का कहना है कि मेडिकल रिपोर्ट न आने के कारण एफआईआर दर्ज नहीं की गई। यह देरी और पुलिस का रवैया कई सवाल खड़े करता है।
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