भोपाल। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) की जांच में एक बड़ा जमीन घोटाला सामने आया है, जिसमें राजधानी भोपाल के एक किसान की 12.46 एकड़ कृषि भूमि संगठित साजिश के तहत हड़प ली गई। आरोपी ट्राइडेंट मल्टीवेंचर्स नामक फर्म के संचालकों ने फर्जी दस्तावेजों और डिजिटल धोखाधड़ी का सहारा लेते हुए करीब ₹2.02 करोड़ की रकम भी हड़प ली। मामला सामने आने के बाद आरोपियों के खिलाफ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act) की सहित विभिन्न आपराधिक धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया गया है।
शिकायतकर्ता चिंतामणि सिंह मारण, भोपाल के रातीबड़ क्षेत्र के निवासी हैं। उन्हें हाईकोर्ट के आदेश पर 12.46 एकड़ कृषि भूमि का मालिकाना हक मिला था। इसके बाद राजेश शर्मा, जो कि ट्राइडेंट मल्टीवेंचर्स का मास्टरमाइंड है, ने जमीन के नामांतरण और बिक्री के नाम पर चिंतामणि से संपर्क किया और उन्हें बैंक ऑफ इंडिया में तकनीकी दिक्कत का हवाला देते हुए ICICI बैंक में खाता खुलवाने को कहा।
चौंकाने वाली बात यह है कि इस नए खाते में शिकायतकर्ता की जानकारी के बिना आरोपी राजेश तिवारी का मोबाइल नंबर और ईमेल ID दर्ज कर दी गई। इससे आरोपी को खाते पर पूर्ण डिजिटल नियंत्रण मिल गया।
रजिस्ट्री दस्तावेजों में ₹2.86 करोड़ के भुगतान का उल्लेख किया गया। लेकिन जांच में सामने आया कि चिंतामणि सिंह को वास्तव में केवल ₹81.13 लाख की ही राशि मिली। बाकी की रकम उसी फर्जी खाते से निकालकर आरोपी राजेश तिवारी के IDFC बैंक के खाते में ट्रांसफर कर दी गई।
रजिस्ट्री में दिखाए गए तीन चेक (प्रत्येक ₹22 लाख) बाद में 'स्टॉप पेमेंट' कर दिए गए। यानी इन चेक्स का भुगतान जानबूझकर रोका गया। इसी दौरान, ओटीपी और पासवर्ड के जरिए डिजिटल बैंकिंग का उपयोग करते हुए कुछ ही घंटों में करोड़ों की रकम निकाल ली गई।
1. राजेश शर्मा: पूरे फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड, ICICI में फर्जी खाता खुलवाया फिर जमीन की रजिस्ट्री करवाई साथ ही सभी लेनदेन पर उसका नियंत्रण था
2. दीपक तलुसानी: ट्राइडेंट फर्म का अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता, फर्जी रजिस्ट्री में खुद को खरीदार दिखाया
3. राजेश तिवारी: तकनीकी सहायता देने वाला, शिकायतकर्ता के खाते को फर्जी ईमेल और मोबाइल नंबर से संचालित किया और करोड़ों की रकम IDFC खाते में ट्रांसफर करवाई
ईओडब्ल्यू ने इस मामले में विस्तृत जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर यह स्पष्ट है कि यह एक सुनियोजित और तकनीकी रूप से मजबूत आर्थिक अपराध है। जमीन की रजिस्ट्री, फर्जी बैंक खाता संचालन और बड़ी रकम का डिजिटल ट्रांसफर – सब कुछ एक योजनाबद्ध तरीके से किया गया। पुलिस जल्द ही आरोपियों की गिरफ्तारी कर सकती है।
आरोपियों पर IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (फर्जी दस्तावेज बनाना), 471 (फर्जी दस्तावेज का उपयोग), 120बी (साजिश) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66C व 66D के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है।
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