उत्तर प्रदेश: "रजाई रखना है कि निकाले रहे"- पर्यावरण की क्षति के कारण बन रही यह स्थिति!

शहरी क्षेत्रों का विस्तार पर्यावरण के लिए बड़ी समस्या.
कान्क्लेव एंड क्लाइमेट चेंज पर सेमिनार को सम्बोधित करते वक्ता।
कान्क्लेव एंड क्लाइमेट चेंज पर सेमिनार को सम्बोधित करते वक्ता।

लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ में पर्यावरण को लेकर तीन दिवसीय सम्मेलन चल रहा है। इस सम्मेलन में पर्यावरण पर काम करने वाले प्रतिनिधि सहित पत्रकार भी शामिल हैं। कार्यक्रम में आये वरिष्ठ पत्रकार उत्कर्ष सिन्हा ने कहा- "रजाई रखनी है या निकाल लेनी है" - उनके इस शब्द से लोगों को हंसी आई, लेकिन उत्कर्ष सिन्हा इस उदाहरण के माध्यम से लोगों को पर्यावरण में हो रहे निरंतर बदलाव को समझाना चाह रहे थे। उन्होंने कहा कि पर्यावरण में छेड़छाड़ के कारण ही यह स्थिति उत्पन्न हो रही है। यह एक गम्भीर स्थिति है। इसका मुख्य कारण शहरों का लगातार विस्तार भी है।

दरअसल, लखनऊ के गोमतीनगर स्थित होटल रणबीर में तीन दिवसीय कान्क्लेव एंड क्लाइमेट चेंज पर सेमिनार का आयोजन चल रहा है। 13 फरवरी को शुरू हुए इस कार्यक्रम का आज समापन होगा। 14 फरवरी को हुए कार्यक्रम के दौरान विभिन्न लोगों ने महत्त्वपूर्ण जानकारियां साझा की। जलवायु परिवर्तन, इसके प्रभाव और चुनौतियों पर सम्मेलन एक्शन एड एसोसिएशन, विज्ञान फाउंडेशन और बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ के संयुक्त प्रयास से किया जा रहा है।

इस सेमिनार का उद्देश्य हाशिए पर मौजूद शहरी समुदायों की आवाज़ को बढ़ाना और उन्हें जलवायु न्याय पर वैश्विक चर्चा में एकीकृत करना था। उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश के प्रतिभागी इस महत्वपूर्ण पहल में शामिल हुए। वैज्ञानिकों, पर्यावरणविदों, नीति निर्माताओं, नागरिक समाज के प्रतिनिधियों, शिक्षाविदों और युवाओं ने संवाद को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रम में भाग लिया। जलवायु परिवर्तन, विशेष रूप से गर्मी की लहरों, बाढ़ और सूखे के प्रभावों में शामिल हुए और उनसे निपटने के लिए सामूहिक रणनीति तैयार की।

इससे पूर्व कार्यक्रम में मौजूद वरिष्ठ पत्रकार ने पर्यावरण में हो रहे बदलावों को उदाहरण के माध्यम से समझाया। उन्होंने बताया कि लगातार पर्यावरण को हो रही छति के कारण आज यह स्थिति उत्पन्न हुई है। दिन में मौसम ज्यादा गरम और रात में ज्यादा ठंडा हो रहा है। इसके कारण विभिन्न प्रकार की बीमारियां भी लोगों में फैल रही हैं। शहरों का विकास और पक्का निर्माण भी इस समस्या को बढ़ा रहा है। किसी स्थान पर रहने के लिए वहां के जंगलों को साफ कर दिया जा रहा है। इसके कारण तापमान तेजी से बढ़ रहा है।

पर्यावरणविद् सौम्या दत्ता ने जलवायु परिवर्तन के प्रमुख कारण एवं उससे होने वाले बदलाव पर जोर दिया,और बताया की पर्यावरण में बदलाव से सबसे अधिक मजदूर, पटरी दुकानदार और कम आय वाले समुदाय, हाशिए पर रहने वाले समूह पर्यावरणीय गिरावट का सबसे अधिक खामियाजा भुगत रहे हैं, जिससे वे विस्थापन, गरीबी और खाद्य असुरक्षा के प्रति संवेदनशील हो गए हैं। जलवायु परिवर्तन में हीट वेव, कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन एवं प्रबंधन पर अपनी बात रखी। इसके अतिरिक्त, खालिद चौधरी ने भी जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर चर्चा की।

सम्मलेन में मुख्य वक्ता संदीप (कार्यकारी निदेशक, एक्शनएड एसोसिएशन),  सौम्या दत्ता (पर्यावरणविद्), और ख़ालिद चौधरी (एसोसिएट डायरेक्टर , एक्शनएड एसोसिएशन) सहित बड़ी संख्या में प्रतिभागी शामिल थे। 

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