
भोपाल। राजधानी भोपाल के आदमपुर कचरा खंती से फैले प्रदूषण की चपेट में अजनाल नदी आ चुकी है, जिसके कारण आस-पास के इलाकों का भूजल और मिट्टी की गुणवत्ता खराब हो रही है। हमने अपनी पूर्व की रिपोर्ट में बताया था कि किस तरह से आदमपुर कचरा खंती के नजदीक सटे एक दर्जन गाँव का भूजल और आबोहवा प्रदूषित होने कारण यहाँ ग्रामीणों का रहना दूभर हो गया है। द मूकनायक की टीम ने ग्राउंड जीरो पर जाकर प्रदूषण के कारणों का पता लगाया है, लेकिन अब जो जानकारी मिली है उसके अनुसार अजनाल बांध और नदी का पानी भी तेजी से प्रदूषित हो रहा है। अजनाल नदी के पास बसे दर्जनों गाँव में जल प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक आदमपुर कचरा खंती के पास बसे गाँव में वायु प्रदूषण का पीएम 10 हजार 400 तक पाया गया है। वहीं कचरा खंती से निकले रासायनिक पदार्थ से भूजल में आयरन की मात्रा दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, जिससे आदमपुर के आस-पास के इलाकों का पानी पीने योग्य नहीं रहा है। इसके साथ ही प्रदूषित पानी को खेती सिंचाई में भी उपयोग लेने पर फसल की पैदावारी में तेजी से गिरावट दर्ज की गई है।
द मूकनायक से बातचीत करते हुए पड़रिया गाँव के मनोज कुमार ने बताया कि उनके करीब दो एकड़ भूमि से इस बार सिर्फ 4 क्विंटल गेहूँ पैदा हुआ है, वहीं पिछले वर्षों में उनके खेत में 20 से 25 क्विंटल का गेहूँ का उत्पादन होता था। मनोज के मुताबिक कचरा खंती के गंदे और रसायन युक्त पानी, खेतों में आने के कारण उनकी मिट्टी की गुणवत्ता खराब हुईं है।
भोपाल से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित आदमपुर कचरा खंती, गाँव के लोगों के लिए मुसीबत बनी हुई है। यहाँ आस-पास के करीब एक दर्जन गाँव जहरीली हवा और पानी में जीवन जीने को मजबूर हो गए है। द मूकनायक ने मामले से जुड़े हर पहलू को बारीकी से समझने का प्रयास किया है। हमने अपनी पडताल में तेजी से हो रहे जल प्रदूषण का पता लगाने के लिए आदमपुर कचरा प्लांट में कचरे के निष्पादन की प्रक्रिया को भी समझा, जिसमें कई तरह की लापरवाही भी सामने आईं है।
आदमपुर कचरा खंती में रोज लगभग 850 टन कचरा पहुंच रहा है। कचरे का निपटान सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट करने वाली कंपनी मेसर्स ग्रीन रिसोर्स का है। इसी कंपनी को कचरे की प्रोसेसिंग कर खाद बनाने का काम नगर निगम भोपाल ने दिया है। करीब 100 एकड़ में फैले लैंडफिल साइट में 2018 में यहां जमीन पर लाइनर (प्लास्टिक तरपाल) बिछाया गया था, जिससे कचरे का असर जमीन पर ना हो और भूजल भी दूषित ना हो। कुछ समय बाद लाइनर जगह-जगह से फट गया जिसके बाद कचरे का पानी जमीन में बैठने लगा धीरे-धीरे जमीन में प्रदूषण की मात्रा बढ़ी और अब भूजल तक प्रदूषित हो गया है। हैंडपंप, बोरिंग और कुएं से पीला रंग का प्रदूषित पानी निकल रहा है।
द मूकनायक से बातचीत करते हुए नाम नहीं लिखने की शर्त पर ग्रीन रिसोर्स कंपनी में काम कर रहे एक कर्मचारी ने बताया कि नगर निगम द्वारा भोपाल शहर में डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन करने के बाद उस कचरे को रोजाना आदमपुर कचरा खंती में लाया जाता है। यहाँ सूखा और गीला कचरा दोनों को अलग रखा जाता है। गीले कचरे को लाइनर के ऊपर रखा जाता है ताकि उससे निकलने वाली गंदगी जमीन में न जाए, लेकिन लाइनर के फट जाने के कारण कचरे से निकल रहा अपशिष्ट पानी जमीन में बैठ रहा है।
ग्रीन रिसोर्स कंपनी के कर्मचारी ने बताया कि इसके साथ ही प्लांट के गेट नम्बर 1 के पीछे वाली दीवाल टूट गई है। प्लांट उँचाई पर बना है जिस कारण से बारिश होने पर कचरे का गंदा पानी बहकर आस-पास के खेतों में जाता है। कर्मचारी द्वारा मिली जानकारी के अनुसार निगम और प्लांट के अधिकारियों की लापरवाही साफ दिखाई दे रही है।
दरअसल, आदमपुर खंती की डाउन स्ट्रीम यानी उतार वाले हिस्से में करीब एक किमी की दूरी पर अजनाल नदी है। अजनाल के बांध का एरिया करीब चार हजार हैक्टेयर है, जिसके आस-पास दर्जनों गाँव बसे हैं। अजनाल नदी, बेतवा नदी की सहायक नदी है। आदमपुर कचरा खंती का गंदा पानी अजनाल बांध में मिल रहा है। यहाँ निवासरत ग्रामीणों के मुताबिक रायसेन रोड पर कोलुआ और पड़रिया गाँव के बीच की पुलिया के माध्यम से कचरा खंती का गंदा पानी अजनाल नदी में मिल रहा है।
अजनाल नदी बेतवा की सहायक नदी है। बेतवा, यमुना नदी की सहायक है और यमुना नदी, गंगा नदी की सहायक नदी है। यानी अजनाल नदी प्रदूषित होगी तो इसका सीधा असर गंगा के पानी पर पड़ेगा। अजनाल नदी में प्रदूषण से इसके आस-पास का भूजल प्रदूषित होगा। इसके साथ जलाशय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। नदी में रहने वाले जलीय जीव-जंतुओं पर भी इसका बुरा असर पड़ेगा।
द मूकनायक से बातचीत करते हुए पर्यावरणविद डॉ. सुभाष सी पांडेय ने बताया कि आदमपुर कचरा खंती का प्रदूषण वायु और भूजल के साथ आस-पास के जलाशयों में पहुँच रहा है। कचरा खंती में लापरवाही की जा रही है। इसके दुष्प्रभाव भविष्य में और भी अधिक होंगे।
आदमपुर कचरा खंती प्लांट के आस-पास के सैकड़ों एकड़ में फैली कृषि भूमि बंजर हो रही है। यहाँ रासायनिक पदार्थों के मिट्टी में घुलने के कारण फसलों की पैदावार पर 70 से 80 प्रतिशत तक का असर देखने को मिल रहा है। अजनाल नदी और आदमपुर कचरा खंती के आस-पास की करीब 10 हजार एकड़ कृषि भूमि, खंती के प्रदूषण की चपेट में है।
द मूकनायक से बातचीत करते हुए कृषि वैज्ञानिक मनोज कुमार अहिरवार ने बताया कि यदि भूजल में आयरन की मात्रा अत्यधिक बढ़ गई है तो फसल का उत्पादन कम होगा। फसल के पत्ते पीले पड़ जाना, फूल ना आना। बीज अंकुरित होते ही खत्म हो जाना जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। ज्यादा मात्रा में मिट्टी में बढ़ रहा आयरन फसलों के लिए पॉइजन का काम करता है। इसके साथ भूमि के बंजर होने की आशंका बनी रहती है।
आदमपुर कचरा खंती के पास बसे गाँवों में गंभीर बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ गया है। कचरे के पहाड़ों से रासायनिक गैसें हवा में घुल कर गाँव तक पहुँच रहीं है। पिछले महीने कचरा खंती में लगी आग के कारण मीथेन युक्त धुँआ भी गाँव में पहुँचा था, जिसके कारण लोगों को सांस लेने में परेशानी, खासी और आँखों में जलन जैसी समस्या हुई थी। द मूकनायक से बातचीत में ग्रामीण संतोष प्रजापति ने बताया की खंती में आग के कारण उठा धुँए के कारण बुजुर्गों और बच्चों को काफी परेशानी हुईं थी। संतोष ने बताया कि जहरीले धुँए के कारण उनको भी आँखों में समस्या हुईं थी। गाँव में बढ़ते वायु और जल प्रदूषण के कारण अन्य गंभीर बीमारियां हो सकती है। स्वास्थ्य विशेषग्यों के मुताबिक भूजल में आयरन और अधिक रासायनिक पदार्थों से किडनी, कैंसर, त्वचा संबंधी गंभीर रोग हो सकते हैं।
आदमपुर कचरा खंती के पास करीब एक दर्जन गाँव की आबोहवा में जहर घुल गया है। यहाँ पड़रिया, बिलखिरिया, शांति नगर, समरधा, अर्जुन नगर, हरिपुरा, छावनी में प्रदूषण फैल रहा है। इन गांवों की आबादी करीब 12 हजार के लगभग है। इसके साथ आदमपुर के आस-पास और अन्य भी कचरा खंती के प्रदूषण की चपेट में है।
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