ग्राउंड रिपोर्ट: भोपाल का आदमपुर क्षेत्र जहां की पानी और हवा हो चुकी है जहरीली, कृषि और स्वास्थ्य चुनौतियों से जूझ रहे ग्रामीण

ग्राउंड रिपोर्ट: भोपाल का आदमपुर क्षेत्र जहां की पानी और हवा हो चुकी है जहरीली, कृषि और स्वास्थ्य चुनौतियों से जूझ रहे ग्रामीण

मध्य प्रदेश/भोपाल। राजधानी भोपाल के आदमपुर कचरा खंती के नजदीक सटे एक दर्जन गाँव का भूजल प्रदूषित हो चुका है। यहाँ की वायु गुणवत्ता भी खराब हुईं है। कचरा खंती के पास बसे गाँव में वायु प्रदूषण का पीएम 10 हजार 400 तक पहुँचा है। वहीं कचरा खंती से निकले रासायनिक पदार्थ से भूजल में आयरन की मात्रा बढ़ती जा रही है। जिससे यह जल पीने योग्य नहीं रहा है। इसके साथ ही यहाँ का पानी खेती सिंचाई में भी उपयोग नहीं लिया जा सकता। इस मामले की पड़ताल करने के लिए द मूकनायक की टीम आदमपुर छावनी से सटे गांव में पहुँची। जहाँ परेशान ग्रामीण प्रदूषित हवा पानी के बीच रहने को मजबूर हैं। पढ़िए हमारी ये ग्राउंड रिपोर्ट-

भोपाल से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित आदमपुर कचरा खंती, गाँव के लोगों के लिए मुसीबत बनी हुई है। यहाँ आसपास के करीब एक दर्जन गाँव जहरीली हवा और पानी में जीवन जीने को मजबूर हो गए हैं। भोपाल के रायसेन रोड पर बसे इन गांवों में पहुँचते ही हमें भी भीषण बदबू का अहसास होने लगा। हमने इस असहनीय कचरे की बदबू से बचने के लिए नाक और मुह पर तुरंत कपड़ा बांध लिया। द मूकनायक की टीम ने कचरा खंती के पास के गांवों में पहुँचकर ग्रामीणों से बातचीत की। कचरे प्लांट से आई मुसीबत के साथ गाँव के लोग पेय जल के संकट से जूझ रहे हैं। खंती से उठ रहे बदबू के गुबार से बेहाल ग्रामीण, हमें अपनी समस्याएं बताते नहीं थक रहे थे।

द मूकनायक से बातचीत करते हुए ग्राम पड़रिया निवासी राजकुमार ने बताया की पहले सिर्फ कचरे की बदबू से ही परेशान थे मगर पिछले कुछ महीनों से हैंडपंप और कुएं का पानी गंदा हो चुका है। हैंडपंप से पीले रंग वाला पानी निकलता है। पानी से बदबू आती है, अब हम इस पानी को पी नहीं सकते क्योंकि यह जहरीला हो चुका है। राजकुमार कहते है कि वह इसी गांव में पैदा हुए, बड़े हुए लेकिन अब यह गाँव की हवा-पानी में जहर घुल चुका हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का अंदाज नहीं था कि कचरा खंती के बनने से गाँव की हालत बदत्तर हो जाएगी। अब हमारा परिवार यहाँ घुट-घुटकर एक-एक दिन बिता रहा है।

वहीं बातचीत करते हुए जनपद सदस्य संतोष प्रजापति ने बताया कि 2018 में जब कचरा खंती प्लांट का प्रोजेक्ट आया तो। गाँव के लोगों को कई तरह के प्रलोभन दिए गए थे। प्रशासन की ओर से यह दावा किया गया था कि कचरा खंती के स्थापित होने से गावों का विकास होगा। ग्रामीणों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। इसके साथ ही नगर निगम के कचरे से किसी को भी कोई हानि नहीं होगी। प्रशासन ने हाईटेक तरीके से कचरे के निष्पादन करने की बात कही थी। राजकुमार ने कहा कि हालात बहुत खराब है। 24 घंटे कचरे की बदबू गाँव में फैली रहती है।

फसलों को नुकसान, बंजर हो रही है उपजाऊ भूमि

आदमपुर कचरा खंती प्लांट के आसपास के सैकड़ों एकड़ में फैली कृषि भूमि बंजर हो रही है। यहाँ रासायनिक पदार्थों के मिट्टी में घुलने के कारण फसलों की पैदावार पर 70 से 80 प्रतिशत तक का असर देखने को मिल रहा है। द मूकनायक से बातचीत करते हुए मनोज कुमार ने बताया कि आसपास के इलाकों की फसलों की पैदावारी कम हो गई है। उन्होंने बताया कि कचरा प्लांट से रासायनिक पदार्थों के कारण खेतों की मिट्टी गुणवत्ता हीन हो चुकी है, जिसका असर फसलों की पैदावारी पर दिख रहा है।

प्रदूषण के कारण बढ़ा गंभीर बीमारियों का खतरा

आदमपुर कचरा खंती के पास बसे गाँवों में गंभीर बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ गया है। कचरे के पहाड़ों से रासायनिक गैसें हवा में घुल कर गाँव तक पहुँच रहीं है। पिछले महीने कचरा खंती में लगी आग के कारण मीथेन युक्त धुँआ भी गाँव में पहुँचा था। जिसके कारण लोगों को सांस लेने में परेशानी, खांसी और आँखों में जलन जैसी समस्या हुईं थी। स्थानीय ग्रामीण संतोष प्रजापति ने बताया कि खंती में आग के कारण उठे धुँए के कारण बुजुर्गों और बच्चों को काफी परेशानी हुईं थी। संतोष ने बताया कि जहरीले धुँए के कारण उनको भी आँखों में समस्या हुईं थी। गाँव में बढ़ते वायु और जल प्रदूषण के कारण अन्य गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक भू-जल में आयरन और अधिक रासायनिक पदार्थों से किडनी, कैंसर, त्वचा संबंधी गंभीर रोग हो सकते हैं।

इन गांवों फैल चुका है प्रदूषण

आदमपुर कचरा खंती के पास करीब एक दर्जन गाँव की आबोहवा में जहर घुल गया है। यहाँ पड़रिया, बिलखिरिया, शांति नगर, समरधा, अर्जुन नगर, हरिपुरा, छावनी में प्रदूषण फैल रहा है। इन गांवों की आबादी करीब 12 हजार के लगभग है। इसके साथ आदमपुर के आसपास और अन्य भी कचरा खंती के प्रदूषण की चपेट में है।

850 टन कचरा रोज हो रहा इक्क्ठा

आदमपुर छावनी के हालात भानपुर खंती कई गुना ज्यादा खराब हो गए हैं। आपको बता दें कि 2018 से पहले भोपाल का कचरा भानपुरा खंती में इक्क्ठा किया जाता था। लेकिन यह पूरा प्लांट वर्ष 2018 में आदमपुर में लगाया गया है। यहाँ आधुनिक मशीनों से कचरा का निष्पादन कर खाद बनाया जाता है। आदमपुर कचरा खंती में रोज लगभग 850 टन कचरा यहां पहुंच रहा है। इससे हवा में बदबू बनी रहती है। इसके साथ कचरे का गंदा रासायनिक युक्त पानी खेतों में बहने से मिट्टी की गुणवत्ता खराब हो रही है।

नगर निगम कर रहा पेयजल की व्यवस्था

आदमपुर के पास बसे गाँव नगर निगम की सीमा में नहीं है। लेकिन निगम के कचरा प्लांट से पानी दूषित हो जाने के बाद ग्रामीणों व्याप्त आक्रोश के बाद नगर निगम गाँवों में पेयजल की व्यवस्था कर रहा है। पानी के टैंकों को गाँव में पहुंचाने की व्यवस्था की जार ही है। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि निगम पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं करा रहा है। ग्रामीणों ने कहा निगम के कचरा खंती से हमारा पानी और मिट्टी दूषित हो गई है।

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एनजीटी ने निगम पर लगाया 1.5 करोड़ का जुर्माना

आदमपुर कचरा खंती में बीते वर्ष आग लगने के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने नगर निगम पर 1.5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। पिछले माह के पहले वर्ष 2022 में भी खंती का कचरा सुलग चुका है। दरअसल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जांच में सामने आया है कि आग की वजह से आदमपुर छावनी के आसपास के क्षेत्रों में पर्यावरणीय क्षति हुई है। जिससे एक दर्जन भर गांवों में वायु प्रदूषण का पीएम 10, 400 हो गया है। वहीं कचराखंती से निकले रासायनिक पदार्थ की वजह से भू-जल में आयरन की मात्रा बढ़ती जा रही है, जो रहवासियों में कैंसर का कारक बन सकती है। इस मामले की अगली सुनवाई 12 मई को होना है, इसमें एनजीटी ने नगर निगम आयुक्त केवीएस चौधरी को उपस्थित रहने के निर्देश दिए हैं।

बता दें कि इस मामले में पर्यावरणविद और वैज्ञानिक डॉ. सुभाष सी पांडे ने एनजीटी में याचिका लगाई थी। जिसके बाद प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों ने पिछले साल आदमपुर कचरा खंती का निरीक्षण किया था। साथ ही भोपाल नगर निगम को सुधार के लिए नोटिस भी जारी किया गया था। लेकिन नगर निगम ने मामले में केंद्रीय पर्यावरण नियमों का पालन नहीं किया। इसके बाद एनजीटी के आदेश पर एक्सपर्ट टीम के साथ प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों ने भी निरीक्षण किया। इसमें पाया कि निगम प्रशासन ने केंद्रीय पर्यावरण की गाइडलाइन के साथ नोटिस में जारी निर्देशों पर भी अमल नहीं किया। लिहाजा 10 लाख रुपये प्रतिमाह की दर से 15 माह का पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के रूप में जुर्माना लगाया गया है। एनजीटी ने इसमें भोपाल नगर निगम आयुक्त को भी तलब किया है।

वैज्ञानिक आधार पर नहीं हो रहा कचरे का निष्पादन

एक्सपर्ट टीम और प्रदूषण बोर्ड ने एनजीटी को जो रिपोर्ट सौंपी है, उसमें बताया है कि नगर निगम द्वारा एसडब्ल्यूएम रुल्स 2016 का पालन नहीं किया जा रहा है। यहां वैज्ञानिक आधार पर कचरे का निष्पादन नहीं किया जा रहा है। जिसके कारण यहां कई कचरे के पहाड़ खड़े हो गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक आसपास के भूजल में आयरन बढ़ने से यहां के पानी का रंग गहरा पीला और लाल हो गया है। आदमपुर के पास के गांवों में वायु चार गुना जहरीली पाई गई है।

सूखा और गीले कचरे में भी लापरवाही

आदमपुर कचरा प्लांट में इसके अलावा गीला और सूखा कचरे को लेकर भी कई लापरवाही सामने आई हैं। यहाँ मृत जीवों के सड़े-गले शवों के कारण पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। साथ ही बारिश के कारण खंती से पानी का रिसाव भी बेहद खतरनाक है। रासायनिक युक्त पानी खेतों में फैलने के कारण यहाँ की भूमि बंजर हो रही है।

पर्यावरणविद डॉ. पांडे ने अपनी याचिका में बताया था कि आदमपुर छावनी में दूषित जल और हवा की वजह से ग्रामीणों को गंभीर बीमारियां हो रही हैं। इनमें कैंसर, आंख में जलन, चर्मरोग, फेफड़े जनित रोग व अन्य गंभीर बीमारियों के लक्षण सामने आ रहे हैं। ऐसे में इन ग्रामीणों के लिए निःशुल्क मेडिकल कैंप के साथ इनका मुफ्त ईलाज होना चाहिए। इस याचिका को स्वीकार करते हुए एनजीटी ने नगर निगम को निर्देश दिए हैं कि आदमपुर छावनी से लगे हुए ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के रहवासियों को निःशुल्क मेडिकल जांच व ईलाज के प्रबंध किया जाए। द मूकनायक से बातचीत करते हुए पर्यावरणविद डॉ. सुभाष सी पांडे ने बताया कि आदमपुर कचरा खंती के पास रह रहे ग्रामीण ज़हरीली हवा और जल में रह रहे है। लंबे समय तक दूषित जलवायु में रहने से गाँव के हजारों लोगों का जीवन खतरे में है। यहाँ के लोग कई गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकते हैं।

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