दिल्ली प्रदूषण के मसले पर क्या कृत्रिम वर्षा से सुलझेगा समस्या का हल?

दिल्ली प्रदूषण: कृत्रिम वर्षा का संघर्ष और सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई
कृत्रिम वर्षा
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दिल्ली। पूरे एनसीआर क्षेत्र में वायु गुणवत्ता में सुधार नहीं हो रहा है। हाल ही में हुई साधारण बारिश से वायु गुणवत्ता में कुछ सुधार हुआ है। लेकिन सरकार अभी भी दिल्ली में वायु गुणवत्ता को लेकर गंभीर है। एक्सपर्ट की माने तो एक्यूआई शून्य और 50 के बीच हो तो उसे 'अच्छा' माना जाता है। 51 और 100 के बीच 'संतोषजनक', वहीं 101 और 200 के बीच 'मध्यम', 201 और 300 के बीच 'खराब', 301 और 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 और 500 के बीच 'गंभीर' माना जाता है।

कृत्रिम वर्षा (Artificial Rain) की तैयारी

शहर में फैले प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली सरकार कृत्रिम वर्षा (Artificial Rain) का विकल्प तलाश रही है. दिल्ली सरकार इस महीने क्लाउड सीडिंग के माध्यम से कृत्रिम वर्षा (Artificial Rain) कराने का प्लान तैयार किया है. चलिये जानते हैं कि क्या होती है कृत्रिम वर्षा (Artificial Rain) और यह वायु प्रदूषण के लिए कैसे कारगर साबित होती है.

इसी कड़ी में दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने शहर में कृत्रिम वर्षा (Artificial Rain) कराने के लिए 8 नवंबर को आईआईटी कानपुर की एक टीम से मुलाकात की थी, जिसके बाद एक प्लान तैयार किया गया है।

क्या होती है कृत्रिम वर्षा?

कृत्रिम वर्षा एक मौसम संशोधन तकनीक है जहां बारिश कराने के लिए विशेष प्रक्रिया द्वारा बादलों की भौतिक अवस्था में कृत्रिम तरीके से बदलाव किया जाता है जो वातावरण को बारिश के अनुकूल तैयार करता है। इस पूरी प्रक्रिया को क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding) के नाम से जाना जाता है।

क्लाउड सीडिंग टेक्नोलॉजी क्या है?

'क्लाउड सीडिंग', दो शब्द क्लाउड और सीडिंग से बना है. जहां क्लाउड का अर्थ है 'बादल' और सीडिंग का मतलब है 'बीज बोना' होता है. यह सुनने में थोड़ा अजीब है लेकिन इस प्रक्रिया के तहत सिल्वर आयोडाइड, पोटैसियम क्लोराइड और सोडियम क्लोराइड जैसे पदार्थों का इस्तेमाल कर बादलों पर इनको छिड़का जाता है।

इस प्रक्रिया में ये पदार्थ बादल में मौजूद पानी की बूंदों को जमा देती हैं और ये बारिश के रूप में गिरते है। क्लाउड सीडिंग के मामले में इन पदार्थों को हवाई जहाज या हेलीकॉप्टर का उपयोग करके छिड़का जाता है।

इस मामले पर द मूकनायक ने प्रोफेसर एस.एन.ए. जाफरी जी से बात की। उदयपुर के प्रोफेसर डीन आर.एन.टी.ग्रुप ऑफ कॉलेजेज, कपासन, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय एवं वरिष्ठ अनुसंधान सलाहकार हैं।

कृत्रिम वर्षा को लेकर वह बताते हैं कि, "दिल्ली इस समय प्रदूषण की गंभीर श्रेणी में है। इसके लिए महत्वपूर्ण और गंभीर कार्य करने होंगे जिससे यह प्रदूषण कम किया जा सके। कृत्रिम वर्षा (Artificial Rain) बहुत ही अच्छा कार्य है। इसकी जरूरत वहां पड़ती है, जहां बारिश ज्यादा होती है, और वहां भी पड़ती है जहां बारिश होती ही नहीं है, वहां पर कृत्रिम वर्षा (Artificial Rain) इसलिए कराई जाती है- जैसे उदयपुर में बादल आए परंतु यहां की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए, यहां पर यह बादल नहीं बरसे। लेकिन यही बदल कहीं और जाकर बहुत ज्यादा बरसते हैं। इसी वजह से कहीं पर सूखा पड़ता है, और कहीं पर बहुत बारिश होती है। कृत्रिम वर्षा (Artificial Rain)करने से उदयपुर का पानी यहीं पर बरसेगा ऐसी परिस्थितियों बनाई जाती हैं। जिससे बारिश अपनी जगह पर ही बरसे इसी वजह को ठीक करने के लिए यह सिस्टम हमने बनवाया था। ताकि सामान्य से सभी जगह बारिश हो सके। इससे किसानों को भी फायदा मिलता है। और पीने का पानी भी कभी कम नहीं होता। यह प्रोजेक्ट हमने मिलकर शुरू किया था। शोलापुर में यह प्रोजेक्ट पूरा हुआ। वहां पर हमने अच्छी वर्षा भी करवाई थी। बाद में यह प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद कृत्रिम वर्षा (Artificial Rain)पर किसी ने ध्यान नहीं दिया और ना ही सरकार ने... !!"

कृत्रिम वर्षा से कम होगा दिल्ली का प्रदूषण

आगे वह बताते है कि, "कृत्रिम वर्षा (Artificial Rain) करने से प्रदूषण में कमी आ सकती है क्योंकि हवा में मिट्टी के छोटे-छोटे कण ही प्रदूषण का कारण बनते हैं। और कितने में बारिश होने से यह कण नीचे बैठ जाते हैं। इससे प्रदूषण कम हो जाता है। अगर दिल्ली में कितने वर्ष कराई जा रही है तो इससे काफी अच्छा असर पड़ेगा दिल्ली की हवा पर।"

प्रोफेसर बताते हैं कि, "कृत्रिम वर्षा (Artificial Rain) पुणे और शोलापुर में करवाई गई थी। हम प्लेन से ऊपर जाते थे और बादलों पर नमक का पानी और जिसे बारिश बनती है वह सब बादलों पर छोड़ देते थे। जिससे वह वर्षा का रूप लेकर बरसती थी। यह काफी महंगा प्रोसेस है। इसलिए हमने सोचा कि ड्रोन द्वारा बादलों तक यह पहुंचाया जाए और बारिश करवाई जाए। इसे खर्च भी थोड़ा काम हो जाता है। और सारी जगह पर इसका इस्तेमाल भी किया जा सकता है। कई जगह पर इसका इस्तेमाल हो रहा है। जैसे दुबई चीन आदि लेकिन बस भारत में नहीं हो पा रहा है।"

वो तो भगवान ने लोगों की सुन ली, लेकिन आपने क्या किया - सुप्रीम कोर्ट

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण संकट को संबोधित करते हुए एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की, जिसमें राजधानी शहर में हाल ही में हुई बारिश के बाद राहत का संकेत दिया गया। प्रदूषण मामले की अध्यक्षता कर रही तीन न्यायाधीशों की पीठ ने तीखी टिप्पणी करते हुए इस बात पर जोर दिया कि गंभीर प्रदूषण का मुद्दा पिछले छह वर्षों से बार-बार आने वाली समस्या है, जिसका स्थायी समाधान अभी भी अस्पष्ट है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि, आपने अब तक प्रदूषण पर क्या किया है। कोर्ट ने कहा कि, वो तो भगवान ने दिल्ली के लोगों की सुन ली और बारिश होने से प्रदूषण कुछ कम हुआ, लेकिन आपने क्या किया? अदालत ने उस पैटर्न पर निराशा व्यक्त की जहां सरकारी कार्रवाई केवल अदालती हस्तक्षेप के जवाब में शुरू की जाती है, जो इस बारहमासी समस्या के समाधान के लिए सक्रिय और टिकाऊ उपायों की आवश्यकता का संकेत देती है।

विशेष रूप से, अदालत ने विशेष रूप से एक विशिष्ट प्रस्ताव के जवाब में प्रतिक्रियात्मक रुख के लिए दिल्ली सरकार की आलोचना की। अदालत ने अन्य राज्यों से दिल्ली में प्रवेश करने वाली टैक्सियों पर अस्थायी प्रतिबंध लगाने का सुझाव दिया था, जिस पर दिल्ली सरकार ने टैक्सियों के लिए सम-विषम नियम लागू करने का इरादा व्यक्त करते हुए प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। जवाब से असंतुष्ट अदालत ने सरकार के दृष्टिकोण पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनके आदेश सरकार के लिए अपनी जिम्मेदारियों को अदालत पर स्थानांतरित करने का साधन नहीं बनना चाहिए।

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