मध्य प्रदेश: भोपाल के इन गांवों की आबोहवा हो रही जहरीली, पानी की किल्लत से परेशान ग्रामीण- ग्राउंड रिपोर्ट

पास में बनी कचरा खंती जिसमें भोपाल शहर से सभी तरह के कचरे को एकत्र कर निपटान किया जाता है। इसी कचरा प्लांट के कारण इन गांवों का भूजल पूरी तरह से रसायन युक्त होकर प्रदूषित हो चुका है।
मध्य प्रदेश: भोपाल के इन गांवों की आबोहवा हो रही जहरीली, पानी की किल्लत से परेशान ग्रामीण- ग्राउंड रिपोर्ट

भोपाल। "पिछले 50 साल से इस गाँव में हम रह रहे हैं। हमारे घर के सामने लगा हैंडपंप से मीठा पानी निकलता था, पूरा गांव इसी से पानी ले रहा था। कुछ साल पहले यहां कचरा प्लांट आया सभी ने कहा अब आस-पास के गांवों का विकास हो जाएगा। लेकिन कुछ दिनों बाद ही गाँव में बदबू फैल गई। हैंडपंप से पीला बदबूदार पानी आने लगा। जिन लोगों के घरों में निजी ट्यूबवेल थे उनका पानी भी खराब हो गया।"

गाँव की 80 वर्षीय रहवासी कमला बाई ने द मूकनायक प्रतिनिधि को बताया कि उनका पूरा गांव पानी की समस्या से परेशान है। सरकार की ओर से अबतक कोई हल नहीं किया जा सका। मध्य प्रदेश में तापमान बढ़ रहा है, इस कारण से कई इलाकों में पानी की समस्या भी सामने आ रही है। राजधानी भोपाल से करीब 20 किलोमीटर दूर आदमपुर छावनी इलाके में कुछ गाँवों के हैंडपंप और कुओं में पानी होने के बावजूद भी ग्रामीण पानी की किल्लत से जूझ रहे है। 

दरअसल, पास में बनी कचरा खंती जिसमें भोपाल शहर से सभी तरह के कचरे को एकत्र कर निपटान किया जाता है। इसी कचरा प्लांट के कारण इन गांवों का भूजल पूरी तरह से रसायन युक्त होकर प्रदूषित हो चुका है। नतीजा यह हुआ कि हैंडपंप और कुएं के पानी को लोग पीना तो दूर है, इसे रोजमर्रा के अन्य कामों में भी इस्तेमाल नहीं करते है। 

प्लांट के रसायन युक्त कचरे की खंती की जद में आए यहाँ सटे एक दर्जन गाँव का भूजल प्रदूषित हो चुका है। यहाँ की वायु गुणवत्ता भी खराब हुईं है। कचरा खंती के पास बसे गाँव में रासायनिक पदार्थ से भूजल में आयरन की मात्रा बढ़ती जा रही है। द मूकनायक की टीम पेय जल पीड़ित ग्रामीणों की आपबीती जानने पड़रिया गाँव पहुचीं। सुबह के 11 बजे गाँव में सन्नाटा पसरा था, लेकिन कुछ देर बाद जब निगम का पानी टैंकर यहाँ पहुँचा तो आवाज सुनकर ही लोग घरों से बर्तन लेकर बाहर आ गए। 

पड़रिया गाँव में नगर निगम ने चार अस्थाई टंकियां रखी है, टैंकर ऑपरेटर इन्हीं टंकियों में पानी डाल देता है। यह टैंकर दिन में सिर्फ एक बार ग्रामीणों को पानी सप्लाई करता है। गाँव की आबादी के हिसाब से एक परिवार के हिस्से में महज 4 से 5 डब्बे पानी ही आता है। बढ़ती गर्मी में इन परिवारों को इतने कम पानी में ही काम चलाना पड़ रहा है। 

साल 2022 में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के जांच में इस इलाके का भूजल प्रदूषित पाया गया था। जिसके बाद से नगर निगम के द्वारा इन गांवों में पानी के टैंकर की व्यवस्था की जाती है। लेकिन इन टैंकरों का पानी ग्रामीणों के लिए पर्याप्त नहीं है। पड़रिया गाँव के रहवासी हरिनारायण कुशवाहा ने द मूकनायक प्रतिनिधि को बताया कि उनका गाँव कचरे खंती की चपेट में आकर पेय जल पीड़ित हो चुका है। गाँव के लोगों ने राज्य सरकार से लेकर दिल्ली तक शिकायत की लेकिन कोई फायदा नही हुआ। 

हरिनारायण ने बताया कि जबसे गाँव के पानी, हवा और कचरा खंती होने की जानकारी लोगों को लगी है। इस गाँव के युवाओं की शादी तक नहीं हो पा रही है। संबंध करने वाले लोग यदि गाँव आते भी है तो हवा में फैली बदबू और पानी की समस्या को सुनकर भाग जाते है। हरिनारायण ने कहा- "कचरा खंती अभिशाप बन चुकी है। हमें शुद्ध पेयजल के लिए रोज मशक्कत करनी पड़ रही है।"

जनपद सदस्य संतोष प्रजापति ने बताया कि 2018 में जब कचरा खंती प्लांट का प्रोजेक्ट आया तो गाँव के लोगों को कई तरह के प्रलोभन दिए गए थे। प्रशासन की ओर से यह दावा किया गया था कि कचरा खंती के स्थापित होने से गावों का विकास होगा। ग्रामीणों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। इसके साथ ही नगर निगम के कचरे से किसी को भी कोई हानि नहीं होगी। प्रशासन ने हाईटेक तरीके से कचरे के निष्पादन करने की बात कही थी। लेकिन हालात बहुत खराब है। 24 घंटे कचरे की बदबू गाँव में फैली रहती है। 

नहीं शुरू हुई नलजल योजना

इस गांव में नर्मदा नल जल योजना के लिए पाइप लाइन बिछाई जा चुकी है। अभी तक पानी की सप्लाई शुरू नहीं हो सकी है। ग्रामीणों का कहना है, नर्मदा लाइन यदि जल्द शुरू हो जाए तो उन्हें कुछ राहत मिल सकती है। द मूकनायक से बातचीत में क्षेत्र के जनपद पंचायत सदस्य संतोष प्रजापति ने बताया कि लाईन का काम होने के बाद भी पानी नहीं मिल रहा है। गर्मी बढ़ रही है ऐसे में ग्रामीणों की पानी की खपत बढ़ती है। ग्राम पंचायत नल-जल योजना का काम कर रही ठेका कम्पनी को एनओसी दे चुकी है लेकिन पानी की सप्लाई शुरू नहीं हुई है। 

बंजर हो रही है उपजाऊ भूमि

आदमपुर कचरा खंती प्लांट के आस-पास के सैकड़ों एकड़ में फैली कृषि भूमि बंजर हो रही है। यहाँ रासायनिक पदार्थों के मिट्टी में घुलने के कारण फसलों की पैदावार पर 70 से 80 प्रतिशत तक का असर देखने को मिल रहा है।

ग्रामीणों ने बताया कि आस=पास के इलाकों की फसलों की पैदावारी कम हो गई है। कचरा प्लांट से रासायनिक पदार्थों के कारण खेतों की मिट्टी गुणवत्ता हीन हो चुकी है, जिसका असर फसलों की पैदावारी पर दिख रहा है। जिस खेत में 20 बोरे अनाज पैदा हो रहा था, अब वही खेत सिर्फ 4-5 बोरे की फसल दे रहा है।

इस संबंध में द मूकनायक से बातचीत में करते हुए कृषि वैज्ञानिक मनोज कुमार ने बताया कि "यह बात सही है, कि आयरन की मात्रा के बढ़ने से मिट्टी की उर्बरक शक्ति कम हो जाती है। यदि कचरे का पानी खेती की जमीन तक पहुँच रहा है तो मिट्टी में और भी अन्य तरह के रसायनिक पदार्थ घुल चुके होंगे। रासायनिक पदार्थों का मिट्टी में मिलना मृदा प्रदूषण है। मिट्टी की जांच किए बिना ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता।" 

प्रदूषण के कारण बढ़ा गंभीर बीमारियों का खतरा

आदमपुर कचरा खंती के पास बसे गाँवों में गंभीर बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ गया है। कचरे के पहाड़ों से रासायनिक गैसें हवा में घुल कर गाँव तक पहुँच रही है। पिछले साल कचरा खंती में लगी आग के कारण मीथेन युक्त धुँआ भी गाँव में पहुँचा था। जिसके कारण लोगों को सांस लेने में परेशानी, खांसी और आँखों में जलन जैसी समस्या हुईं थी। गाँव में बढ़ते वायु और जल प्रदूषण के कारण अन्य गंभीर बीमारियां होने का खतरा बढ़ गया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक भू-जल में आयरन और अधिक रासायनिक पदार्थों से किडनी, कैंसर, त्वचा संबंधी गंभीर रोग हो सकते हैं। 

प्रदूषण मंडल के भोपाल संभाग अधिकारी ब्रजेश शर्मा ने द मूकनायक को बताया कि कचरा खंती के आस-पास का भूजल प्रदूषित हुआ है। हमारी टीम प्रभावित गांवों की मॉनिटरिंग कर रही है। हमने जांच सेंपल भी लिए थे, उनमें यहाँ का भूजल प्रदूषित पाया गया जो अब पीने योग्य नहीं है। यह बड़ी चुनौती है कि हम यहां भोपाल को साफ रख रहे है और दूसरी तरफ कचरा खंती के गाँव जल और वायु प्रदूषण से परेशान हैं। इधर, हमने भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह से बातचीत की. उन्होंने कहा- "कचरा खंती के पास सुधार के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।" 

एनजीटी ने लगाया 1.80 करोड़ की पेनल्टी 

आदमपुर खचर खंती में फैली अव्यवस्थाओं और कचरे के नियमानुसार निष्पदन नहीं करने के कारण बीते साल 2023 में एनजीटी ने खचरा खंती के प्लांट को संचालित कर रही कंपनी पर 1.80 करोड़ की पेनल्टी लगाई थी। नगर निगम भोपाल एनजीटी के लगाए गए 1.80 करोड़ के जुर्माने को हटवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ रहा है। लेकिन यहां की व्यवस्थाएं सुधारने पर ध्यान नहीं दे रहा है।

इस संबंध में याचिका लगाने वाले पर्यावरणविद डॉ. सुभाष सी पांडे ने द मूकनायक प्रतिनिधि से बातचीत करते हुए बताया- "कुछ दिन पहले आदमपुर खंती का जायजा लिया है। इसमें सामने आया कि एनजीटी की समिति ने खंती पर जिन सुधारों की सिफारिशें की थी वह सिर्फ कागजों में ही रह गई हैं।"

कुशल ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 के मुताबिक कचरा खंती में कचरे का निष्पादन नहीं किया गया। पर्यावरणविद ने कहा- "इस नियम के अनुसार इस प्लांट को संचालित करने के लिए प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड और पर्यावरण विभाग के अनुमति चाहिए होती है, लेकिन साल 2018 से संचालित इस प्लांट के पास अनुमति नहीं है। न ही खंती के आस-पास ग्रीन बेल्ट बनाया गया। नियम के मुताबिक यह प्लांट पठार पर ऊँचाई पर बनाया गया है। स्थान चयन में भी लापरवाही की गई है, जिस कारण से जहरीले रासायनिक पदार्थ पानी के साथ बह कर खेतों में जा रहे हैं। कचरे से निकलने वाला खतरनाक रसायन खेतों में फैल रहा है। इसी कारण से भूजल प्रदूषित हुआ है।"

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

10 अप्रैल को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। पर्यावरणविद डॉ. सुभाष सी पांडे ने बताया कि नगर निगम ने कोर्ट को गलत जानकारी दी है, जबकि प्लांट कुशल ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 का पालन नहीं कर रहा था। मेरी ओर से जल्द ही सुप्रीम कोर्ट को जवाब प्रस्तुत करूंगा। 

गांवों में फैल चुका है प्रदूषण

आदमपुर कचरा खंती के पास करीब एक दर्जन गाँव की आबोहवा में जहर घुल गया है। यहाँ पड़रिया, बिलखिरिया, शांति नगर, समरधा, अर्जुन नगर, हरिपुरा, छावनी में प्रदूषण फैल रहा है। इन गांवों की आबादी करीब 12 हजार के लगभग है। इसके साथ आदमपुर के आस-पास और अन्य भी कचरा खंती के प्रदूषण की चपेट में है।

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