उत्तराखंड: अवैध मदरसों के खिलाफ कार्रवाई से बच्चों की शिक्षा पर संकट, सरकारी स्कूलों में दाखिले दिलाने पर जोर

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में 450 मदरसे मदरसा बोर्ड से पंजीकृत हैं, लेकिन करीब 500 मदरसे बिना पंजीकरण के अवैध रूप से चल रहे हैं। इसी कारण पूरे प्रदेश में इनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।
सांकेतिक फोटो।
सांकेतिक फोटो।
Published on

देहरादून। उत्तराखंड में अवैध मदरसों के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई जारी है। पिछले एक महीने में प्रदेश के कई जिलों में 136 अवैध मदरसों को सील कर दिया गया है। सबसे ज्यादा उधमसिंह नगर जिले में 64 मदरसों को सील किया गया है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में 450 मदरसे मदरसा बोर्ड से पंजीकृत हैं, लेकिन करीब 500 मदरसे बिना पंजीकरण के अवैध रूप से चल रहे हैं। इसी कारण पूरे प्रदेश में इनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। इस कार्रवाई से जहां एक ओर अवैध मदरसे सील हो रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ इनमें पढ़ने वाले बच्चों के लिए संकट पैदा हो रहा है कि आखिर इन बच्चों की शिक्षा का भविष्य क्या होगा?

उत्तराखंड के शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने गुरुवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि प्रदेश में दो तरह के मदरसे चल रहे हैं, एक जो मदरसा बोर्ड से पंजीकृत हैं और दूसरे जो बिना पंजीकरण के संचालित हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि ऐसे बच्चों के लिए दो विकल्प हैं पहला, वे मदरसा बोर्ड से पंजीकृत मदरसों में पढ़ाई कर सकते हैं, और दूसरा, वे शिक्षा विभाग के सरकारी स्कूलों में मुफ्त शिक्षा ले सकते हैं। जल्द ही स्कूलों में दाखिले की प्रक्रिया शुरू होगी। शिक्षा विभाग की ओर से नए शैक्षिक सत्र के लिए आयोजित होने वाले 'प्रवेश उत्सव' के दौरान शिक्षक घर-घर जाकर अभिभावकों से संपर्क करते हैं कि वे बच्चों का दाखिला स्कूल में कराएं, ताकि कोई भी बच्चा पढ़ाई से छूटने न पाए।

उन्होंने आगे कहा कि राइट टू एजुकेशन के तहत सभी बच्चों को शिक्षा का अधिकार है। उन्होंने बताया कि देहरादून में सील किए गए मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या करीब एक हजार है। इसके अलावा, शिक्षा विभाग उन सभी जिलों से डेटा जुटा रहा है जहां मदरसे सील हुए हैं, ताकि वहां के बच्चों की संख्या का पता लगाया जा सके। शिक्षकों और अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे संबंधित विभागों से संपर्क करें और यह सुनिश्चित करें कि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे।

(With inputs from IANS)

सांकेतिक फोटो।
बोधगया मंदिर को लेकर महंत त्रिवेणी गिरी के दावों पर डॉ. विलास खरात का जवाब—ब्राह्मणों का DNA भारतीय नहीं, 'हिंदू' की संकल्पना संविधान विरोधी...!
सांकेतिक फोटो।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने 2027 विधानसभा चुनाव के लिए अति पिछड़ा वर्ग को संगठन में शामिल करने की बनाई रणनीति
सांकेतिक फोटो।
'गोरे लोगों को अक्सर अधिक सुंदर, स्वीकार्य और सक्षम माना जाता है': केरल की मुख्य सचिव शारदा मुरलीधरन ने रंगभेद और जातिगत भेदभाव पर उठाए सवाल

द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.

The Mooknayak - आवाज़ आपकी
www.themooknayak.com