उत्तर प्रदेश: मदरसे बंद हुए तो 13 लाख विद्यार्थी कैसे करेंगे पढ़ाई!

हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड कानून को असांविधानिक करार दिया है। इस निर्णय से प्रदेश के 560 अनुदानित मदरसे के शिक्षकों व कर्मियों की नौकरी पर तलवार लटक गई है।
सांकेतिक फोटो।
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड कानून को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद अगर अनुदानित मदरसे बंद कर दिए जाते हैं तो कार्यरत करीब 10,200 शिक्षक व शिक्षणेतर कर्मचारियों की रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो जाएगा।

वर्तमान में मदरसा शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त तहतानिया कक्षा 1 से 5, फौकानिया कक्षा 5 से 8 और आलिया व उच्च आलिया स्तर यानि हाई स्कूल या इससे ऊपर के लगभग 16,460 मदरसे हैं। इनमें सरकार से अनुदानित कुल 560 मदरसे हैं। इन मदरसों में मुंशी-मौलवी हाई स्कूल समकक्ष, आलिम इंटर समकक्ष, कामिल स्नातक और फाजिल परास्नातक के समकक्ष पढ़ाई होती है।

मदरसों को संचालित करने के लिए वर्ष 2004 में बने मदरसा एक्ट को हाईकोर्ट ने असांविधानिक करार दिया है। इसके बाद मदरसों में पढ़ाने वाले शिक्षकों व कर्मचारियों की नौकरी पर तलवार लटक गई है।

मदरसों के 13 लाख विद्यार्थियों के भविष्य पर छाया अंधेरा

मदरसा शिक्षा परिषद की रजिस्ट्रार डॉ. प्रियंका अवस्थी ने बताया कि मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त 16,460 मदरसों में 13 लाख 83 हजार 107 विद्यार्थी शिक्षा पा रहे हैं। वहीं, इनमें शामिल 560 अनुदानित मदरसों में एक लाख 92 हजार 317 विद्यार्थी शिक्षा हासिल कर रहे हैं। हाईकोर्ट के आदेश के बाद मदरसों के शिक्षा पा रहे इन 13 लाख से अधिक विद्यार्थियों का भविष्य पर अंधेरा छा गया है।

एसआईटी जांच में ये बातें आई थी सामने

उत्तर प्रदेश में सरकार के निर्देश पर अवैध मदरसों की जांच कर रही एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी. इसमें करीब 13 हजार अवैध मदरसों को बंद कराने की सिफारिश की गई है. रिपोर्ट के आधार पर अब मदरसा बोर्ड कार्रवाई करने की तैयारी में है.

जांच में कुल 23 हजार मदरसों में से 5 हजार के पास अस्थायी मान्यता का पता चला. कुछ तो बीते 25 वर्षों में मान्यता के मानक पूरे नहीं कर सके हैं. शिक्षा का अधिकार व धार्मिक शिक्षा का प्रचार-प्रसार करने के नाम पर चल रहे तमाम मदरसों ने मान्यता का नवीनीकरण कराना तक जरूरी नहीं समझा व धड़ल्ले से उसे संचालित कर रहे हैं.

बाकी पांच हजार में फिलहाल कोई गड़बड़ी सामने नहीं आई है. एसआईटी की जांच में सीमावर्ती इलाकों के 80 मदरसों को विदेश से करीब 100 करोड़ की फंडिंग होने की पुष्टि बीते दिनों हुई थी. राज्य सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए सारे मदरसों की गहनता से जांच करने का एसआईटी को आदेश दिया था.

फैसला हमारी उम्मीदों के खिलाफ है

द मूकनायक से बात करते हुए, टीचर्स एसोसिएशन मदरसा अरबिया,0 उत्तर प्रदेश के महासचिव ज़मान खान ने कहा, “माननीय अदालत का फैसला हमारी उम्मीदों के खिलाफ है। अदालत की यह टिप्पणी कि मदरसे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान नहीं करते, जायज नहीं है। छात्रों को नियमित स्कूलों में भेजने से शिक्षकों पर भी असर पड़ेगा और वे बेरोजगार हो जायेंगे।''

उन्होंने आगे कहा कि “इस तरह के फैसले समाज में संदेश भेजते हैं कि हमारे (मुसलमानों) साथ अन्याय हो रहा है।” तथ्य यह है कि जहां वैदिक संस्कृत पाठशालाएं अभी भी चल रही हैं, वहीं अरबी पढ़ाने वाले मदरसों को बंद किया जा रहा है, जबकि दोनों भाषाओं को शिक्षा संहिता के प्राच्य संस्थान अनुभाग के तहत मान्यता प्राप्त है।

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