पुणे: शिव-फुले-शाहू-अंबेडकर विचारधारा का समर्थन करने वाले संगठनों ने महाराष्ट्र सरकार की समान नीति (equal policy) के खिलाफ पुणे स्थित डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (BARTI) कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया। यह नीति, जो 30 अक्टूबर 2023 को लागू की गई थी, संस्थानों जैसे BARTI, सारथी और महाज्योति पर समान ढांचा लागू करती है। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि यह नीति दलित, आदिवासी और बहुजन छात्रों की विशिष्ट जरूरतों की अनदेखी करती है।
इस प्रदर्शन में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र और पीएचडी शोधकर्ता शामिल थे। उन्हें नेशनल स्टूडेंट्स कांग्रेस, संयुक्त विद्यार्थी आंदोलन, भीम आर्मी स्टूडेंट फेडरेशन, और यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स संघर्ष क्रुति समिति जैसे संगठनों का समर्थन मिला। प्रदर्शनकारियों ने समान नीति को भेदभावपूर्ण और हानिकारक बताया।
यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स संघर्ष क्रुति समिति के अध्यक्ष राहुल ससाने ने कहा, “प्रदर्शन की पूर्व सूचना देने के बावजूद, BARTI के कोई भी जिम्मेदार अधिकारी छात्रों से मिलने नहीं आए। यह नीति दलित और आदिवासी छात्रों की प्रगति को बाधित करती है। यदि समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो हम बड़े और व्यापक प्रदर्शन करेंगे।”
नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अक्षय कांबले ने BARTI पर छात्रों के साथ अन्याय करने का आरोप लगाते हुए कहा, “BARTI जानबूझकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों और पीएचडी शोधकर्ताओं के लिए मुश्किलें पैदा कर रहा है। यह नीति छात्र-विरोधी है, और हम इसे तुरंत वापस लेने की मांग करते हैं।”
सम्यक विद्यार्थी आंदोलन, पुणे सिटी की महासचिव जान्हवी शेलार ने संविधान का हवाला देते हुए कहा, “अनुच्छेद 46 के तहत अनुसूचित जातियों को सामाजिक भेदभाव से बचाना और उनकी शैक्षणिक प्रगति सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है। इस प्रावधान के तहत ही BARTI की स्थापना हुई थी। अनुसूचित जाति के छात्रों पर अन्य वर्गों के छात्रों की तरह समान नीति लागू करना संविधान का उल्लंघन है। यह प्रशासन के जातिवादी मानसिकता को दर्शाता है। छात्रों के हित में, ऐसे अधिकारियों को निलंबित करना जरूरी है।”
प्रदर्शनकारियों ने अपनी मांगों को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया:
परीक्षाओं के लिए अलग प्रशिक्षण: पुलिस भर्ती, बैंकिंग, ग्रुप बी, ग्रुप सी, और SSC जैसी परीक्षाओं के लिए प्रशिक्षित छात्रों को अन्य अवसरों से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।
संस्थान चुनने का अधिकार: UPSC की तैयारी करने वाले छात्रों को BARTI द्वारा जबरन संस्थान आवंटित करने के बजाय अपनी पसंद का संस्थान चुनने की अनुमति दी जानी चाहिए।
छात्रवृत्ति का विस्तार: पुणे में तैयारी के लिए आए छात्रों को मार्च 2024 तक वित्तीय सहायता दी जानी चाहिए।
लंबित छात्रवृत्तियां: प्रतीक्षा सूची में शामिल छात्रों की दो महीने से लंबित छात्रवृत्तियां तुरंत जारी की जानी चाहिए।
फर्जी संस्थानों पर कार्रवाई: चुनावी आचार संहिता का उल्लंघन कर सरकारी संस्थानों के नाम का दुरुपयोग करने वाले संस्थानों, जैसे शुभ्रा रंजन IAS और नेक्स्ट IAS, के साथ किए गए अनुबंध समाप्त किए जाएं। झूठे या जाली दस्तावेज़ जमा करने वाले संस्थानों को काली सूची में डाला जाए।
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