राजस्थानः "बहाल किया, लेकिन स्कूल नहीं दिया, अब 150 KM करती हूं अप-डाउन"-हेमलता बैरवा

"मैं एकल महिला हूं। मेरी जान को खतरा है। अकेले इतनी दूर अपडाउन करने में मुझे परेशानी होती है। असुरक्षा का भाव बना रहता है।
दलित महिला शिक्षक हेमलता बैरवा (गोले में).
दलित महिला शिक्षक हेमलता बैरवा (गोले में).

जयपुर। दलित महिला शिक्षक हेमलता बैरवा पर कथित राज्य समर्थित भेदभाव व प्रताड़ना का सिलसिला घटना के पांच महीने बीत जाने के बाद भी लगातार जारी है। हालांकि सक्षम न्यायालय में निलबंन को चुनौती देने के बाद महिला शिक्षक की बहाली कर दी गई है, लेकिन अभी तक उनका स्कूल में पदस्थापन नहीं किया गया है। परेशान करने के लिए उनको जिले के ही सुदूर सीडीईईओ कार्यालय में अटैच किया गया है, जहां हाजिरी लगाने के लिए उनको रोज 150 किलोमीटर अपडाउन करना होता है।

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द मूकनायक से हेमलता बैरवा ने कहा-" शिक्षा विभाग प्रारंभिक ने बीते 13 अप्रेल को मेरा निलंबन आदेश वापस लेने के बाद बीकानेर मुख्यालय से हटा कर मुझे गृह जिले बारां के छीपा बड़ौदा स्थित सीडीईईओ कार्यालय में अटैच कर दिया। यह किशनगंज के मेरे गीगची गांव से काफी दूर है। प्रतिदिन मुझे कार्यालय पहुंचने के लिए 150 किलोमीटर अपडाउन करना पड़ता है।"

स्कूल मांगा तो आचार संहिता का बनाया बहाना

हेमलता बैरवा ने आगे कहा- "मैंने स्कूल में पदस्थापन व मेरे निवास से पास के किसी कार्यालय में ड्यूटी के लिए जिला शिक्षा अधिकारी को प्रार्थना पत्र दिया है। जिला शिक्षा अधिकारी आचार संहिता का बहाना बनाकर मेरे आवेदन पर कार्रवाई नहीं कर रहे है, जबकि मेरे निलम्बन आदेश निरस्त होने के बाद मुझे छीपा बड़ौदा स्थित सीडीईईओ कार्यालय आचार संहिता के दौरान ही बहाल कर अटैच किया गया था।"

शिक्षक हेमलता बैरवा द्वारा लिखा गया प्रार्थना पत्र।
शिक्षक हेमलता बैरवा द्वारा लिखा गया प्रार्थना पत्र।The Mooknayak

मेरी जान को खतरा है

"मैं एकल महिला हूं। मेरी जान को खतरा है। अकेले इतनी दूर अपडाउन करने में मुझे परेशानी होती है। असुरक्षा का भाव बना रहता है। मुझे फोन पर भी जान से मारने की धमकी मिल चुकी है। मेरी एक जवान बेटी है। मैंने अपने प्रार्थना पत्र में इन सब बातों का हवाला भी दिया है, लेकिन शिक्षामंत्री के इशारे पर मुझे अभी भी परेशान किया जा रहा है।" हेमलता ने कहा।

आचार संहिता में नहीं कर सकते पदस्थापन

द मूकनायक ने जिला शिक्षा अधिकारी बारां पीयूष कुमार शर्मा से प्रकरण के संबंध में बात की। उन्होंने कहा- "शिक्षिका से प्रार्थना पत्र प्राप्त हुआ है। अभी आचार संहिता लगी है। इसलिए हम कोई कार्रवाई नहीं कर सकते। स्कूल भी बंद है। 4 जून के बाद ही कोई कार्रवाई की जाएगी।"

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क्या था मामला?

बारां जिले के नाहरगढ़ थानांतर्गत लकड़ाई गांव के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय परिसर में गणतंत्र दिवस पर 26 जनवरी 2024 को समारोह आयोजित किया गया था। इस दौरान मंच पर डॉ. भीमराव अंबेडकर, महात्मा गांधी की तस्वीर के साथ सरस्वती की तस्वीर लगाने तथा सरस्वती की पूजा करने की बात को लेकर पहले स्टाफ में फिर ग्रामीणों व एक महिला शिक्षक के बीच विवाद हुआ था। विवाद के दौरान ग्रामीणों व महिला शिक्षक के बीच बहस का एक वीडियो भी सामने आया है।

हेमलता ने द मूकनायक को बताया कि, "गणतंत्र दिवस पर एक सरकारी कर्मचारी के रूप में, मैं भारत के पवित्र संविधान के कार्यान्वयन की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए अपने आधिकारिक कर्तव्यों का निर्वहन कर रही थी। मेरे स्कूल के दो शिक्षकों ने पहले मुझ पर सरस्वती पूजा का दबाव बनाया। यह संवैधानिक रूप से गलत होने से मैंने सरस्वती पूजा से मना कर दिया था। इसके बाद यह शिक्षक गांव के मनबढ़ लोगों को लेकर आए और गैर संवैधानिक कार्य करने के लिए स्कूल में हंगामा किया। मैं संविधान की रक्षा के लिए अड़ी रही। इस बात को लेकर मुझ पर एक तरफा कार्रवाई की गई। क्योंकि में दलित हूँ."

इस घटना के बाद राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर का एक वीडियो वायरल हुआ था। वायरल वीडियो में शिक्षा मंत्री दिलावर ने कहा कि, "लोग अब स्कूलों में सरस्वती मां की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं। वे इतने बड़े हो गए हैं कि उन्होंने अब भी अपने तरीकों में सुधार नहीं किया है। मैं सवाल उठाने वाले व्यक्ति को निलंबित करता हूं और बीकानेर को उस व्यक्ति का कार्यालय बनाता हूं। मैंने इस संबंध में सिर्फ एक घंटे पहले अधिकारियों को निर्देश दिए हैं," मंत्री ने यह बात फरवरी महीने में बारां में एक सार्वजनिक बैठक में कही थी, जिसमें उपस्थित लोगों ने 'भारत माता की जय' के नारे के साथ उनके फैसले की सराहना की थी।

23 फरवरी को मंत्री के भाषण के तुरंत बाद बारां जिला प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी (मुख्यालय) द्वारा एक आदेश जारी किया गया। इसमें कहा गया है कि बैरवा के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जा रही है और उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जा रहा है। साथ ही उनका मुख्यालय बीकानेर स्थानांतरित कर दिया गया है। बीकानेर उनके गृह जिले से लगभग 600 किलोमीटर दूर था।

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