PU का विवादित फरमान: विरोध करने पर रोक,छात्रों ने HC को लिखा–यह हमारे अधिकारों का उल्लंघन है, दखल दें

दो कानून के छात्रों, करण सिंह परमार और अभय सिंह ने मुख्य न्यायाधीश शील नागु को पत्र लिखकर कहा है कि यह नीति अनुच्छेद 19(1)(a) (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और 19(1)(b) (शांतिपूर्ण सभा करने का अधिकार) का उल्लंघन करती है।
PU के नये नियम के मुताबिक छात्रों को किसी भी विरोध प्रदर्शन, रैली या धरने से पहले विश्वविद्यालय प्रशासन से अनुमति लेनी होगी।
PU के नये नियम के मुताबिक छात्रों को किसी भी विरोध प्रदर्शन, रैली या धरने से पहले विश्वविद्यालय प्रशासन से अनुमति लेनी होगी। Aman
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चंडीगढ़: पंजाब यूनिवर्सिटी के छात्र विश्वविद्यालय प्रशासन की एक नई नीति का जोरदार विरोध विरोध कर रहे हैं जिसमें नए प्रवेश लेने वाले छात्रों को एक हलफनामा (एफिडेविट) पर हस्ताक्षर करना अनिवार्य किया गया है। इस हलफनामे के तहत छात्रों को कैंपस में विरोध प्रदर्शन करने से पहले प्रशासन से अनुमति लेनी होगी और केवल निर्धारित स्थानों पर ही प्रदर्शन की इजाजत होगी। छात्रों का कहना है कि यह नीति उनके संवैधानिक अधिकारों पर हमला है, और उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू से स्वत: संज्ञान (suo motu) लेने की मांग की है।

PU के नये नियम के मुताबिक छात्रों को किसी भी विरोध प्रदर्शन, रैली या धरने से पहले विश्वविद्यालय प्रशासन से अनुमति लेनी होगी।
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क्या है नया नियम?

हलफनामे के अनुसार, छात्रों को किसी भी विरोध प्रदर्शन, रैली या धरने से पहले विश्वविद्यालय प्रशासन से अनुमति लेनी होगी। प्रदर्शन केवल "वास्तविक और न्यायसंगत शिकायतों" पर ही किए जा सकेंगे, जिन्हें प्रशासन मंजूरी देगा। सेक्टर 14 और सेक्टर 25 कैंपस (आवासीय क्षेत्र) और संबद्ध कॉलेजों में किसी भी तरह के प्रदर्शन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया है।बाहरी लोगों को कैंपस में प्रदर्शन के लिए आमंत्रित करना या हथियार लेकर आना सख्त मना है।

नियम तोड़ने वाले छात्रों को परीक्षा में बैठने से रोका जा सकता है। बार-बार नियम तोड़ने पर प्रवेश रद्द हो सकता है और कैंपस में प्रवेश पर प्रतिबंध लग सकता है।

छात्रों का आरोप- संविधान के मूल अधिकारों का हनन

दो कानून के छात्रों, करण सिंह परमार और अभय सिंह ने मुख्य न्यायाधीश शील नागू को पत्र लिखकर कहा है कि यह नीति अनुच्छेद 19(1)(a) (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और 19(1)(b) (शांतिपूर्ण सभा करने का अधिकार) का उल्लंघन करती है।

उनका तर्क है कि "यह हलफनामा छात्रों के विरोध, असहमति और शांतिपूर्ण सभा के अधिकार पर अत्यधिक और अनुपातहीन प्रतिबंध लगाता है। विश्वविद्यालय का कैंपस लोकतांत्रिक बहस और आलोचनात्मक सोच का केंद्र होता है। शिक्षा प्राप्त करने के लिए संवैधानिक अधिकारों का त्याग करने को मजबूर करना एक खतरनाक मिसाल कायम करेगा।"

छात्र संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस नीति की आलोचना करते हुए इसे "छात्र आवाज़ों को दबाने का प्रयास" बताया है। छात्रों ने हाई कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की है और अगर जल्द कोई कार्रवाई नहीं हुई तो वे बड़े पैमाने पर आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं।

आपको बता दें, पंजाब विश्वविद्यालय का परिसर चंडीगढ़ शहर के सेक्टर 14 और 25 में 550 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है । विश्वविद्यालय के चंडीगढ़ स्थित मुख्य परिसर में 78 शिक्षण और अनुसंधान विभाग और शिक्षण और अनुसंधान के लिए 15 केंद्र/चेयर हैं। PUCHD स्मार्ट क्लासरूम, एक स्वास्थ्य केंद्र, एक बैंक, एक शॉपिंग सेंटर, एक डाकघर, एक व्यायामशाला, वनस्पति उद्यान, एक स्विमिंग पूल, अच्छी तरह से बनाए रखा पार्क, खेल के मैदान, गेस्ट हाउस, एक ओपन-एयर थिएटर, एक फैकल्टी हाउस, सेमिनार कॉम्प्लेक्स, पूर्व छात्र घर, सामुदायिक केंद्र और बहुत कुछ जैसी बुनियादी सुविधाएँ भी प्रदान करता है। 6,700 से अधिक छात्रों को समायोजित करने के लिए कुल 17 छात्रावास (लड़कियों के लिए नौ और लड़कों के लिए आठ) हैं । पीयू में 70 निवासियों की क्षमता वाला एक कामकाजी महिला छात्रावास भी शामिल है।

PU के नये नियम के मुताबिक छात्रों को किसी भी विरोध प्रदर्शन, रैली या धरने से पहले विश्वविद्यालय प्रशासन से अनुमति लेनी होगी।
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