MP में छात्रों से वसूली लाखों की फीस: FIITJEE पर उपभोक्ता आयोग ने की कार्रवाई, पैसे लौटाने का आदेश

FIITJEE संस्थान ने केवल ग्वालियर ही नहीं, बल्कि भोपाल और इंदौर सहित देशभर में कई स्टडी सेंटर बीच सत्र में बंद कर दिए हैं। इससे हजारों छात्र प्रभावित हुए हैं।
Fiitjee सेंटर ग्वालियर
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भोपाल। मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले में उपभोक्ता अधिकारों से जुड़ा एक बड़ा फैसला सामने आया है। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने देशभर में कोचिंग क्लासेस चलाने वाले प्रसिद्ध संस्थान फिटजी (FIITJEE) को छात्रों और उनके अभिभावकों को राहत देने का आदेश दिया है। आयोग ने ग्वालियर स्थित FIITJEE स्टडी सेंटर को दोषी मानते हुए फीस वापसी और क्षतिपूर्ति देने का निर्देश दिया है। मामला उन छात्रों से जुड़ा है, जिन्होंने दो वर्षीय कोर्स के लिए पूरी फीस जमा की थी, लेकिन बीच सत्र में ही कोचिंग सेंटर बंद कर दिया गया। इस फैसले से न केवल प्रभावित छात्रों को न्याय मिला है बल्कि यह आदेश उन सभी छात्रों और अभिभावकों के लिए महत्वपूर्ण है जो निजी संस्थानों की मनमानी का सामना करते हैं।

ग्वालियर के FIITJEE सेंटर पर सैकड़ों छात्र पढ़ाई कर रहे थे। इन छात्रों ने आईआईटी-जेईई जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए लाखों रुपये की फीस जमा कराई थी। लेकिन अचानक संस्थान ने बिना पूर्व सूचना के सेंटर बंद कर दिया। छात्रों और अभिभावकों ने बार-बार फीस लौटाने की मांग की, लेकिन संस्थान ने उनकी बात नहीं मानी। मजबूर होकर अभिभावकों को कानूनी रास्ता अपनाना पड़ा।

आयोग में परिवाद किया था दायर

दो छात्रों के अभिभावक, ज्योति रंजन आचार्य और विकास अग्रवाल, ने अधिवक्ता अंकित माथुर के माध्यम से जिला उपभोक्ता आयोग में परिवाद दायर किया। सुनवाई के दौरान यह साबित हुआ कि संस्थान ने छात्रों और उनके परिवारों के साथ अनुचित व्यवहार किया है और उन्हें वाजिब शिक्षा सेवा प्रदान नहीं की।

आयोग के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शर्मा और सदस्य रेवती रमन मिश्रा ने आदेश पारित करते हुए कहा कि FIITJEE संस्थान को 45 दिनों के भीतर पूरी फीस लौटानी होगी। इसके साथ ही अभिभावकों को 50 हजार रुपये क्षतिपूर्ति, मानसिक कष्ट के लिए अतिरिक्त राशि और वाद व्यय का भी भुगतान करना होगा।

निर्धारित अवधि में भुगतान न होने की स्थिति में संस्थान पर अतिरिक्त कार्रवाई का प्रावधान भी रखा गया है। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि यदि FIITJEE तय समय सीमा में फीस और क्षतिपूर्ति नहीं लौटाता है तो उस पर 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी लगाया जाएगा।

अन्य जगह भी बंद हुए सेंटर

अधिवक्ता अंकित माथुर ने बताया कि FIITJEE संस्थान ने केवल ग्वालियर ही नहीं, बल्कि भोपाल और इंदौर सहित देशभर में कई स्टडी सेंटर बीच सत्र में बंद कर दिए हैं। इससे हजारों छात्र प्रभावित हुए हैं। कई जगहों पर अभिभावकों ने संस्थान के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है और कानूनी कार्रवाई की मांग की है।

द मूकनायक से बातचीत करते हुए विधि विशेषज्ञ मयंक सिंह ने कहा कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत शिक्षा संस्थान भी सेवा प्रदाता की श्रेणी में आते हैं। यदि कोई संस्था तयशुदा अनुबंध के अनुसार सेवा उपलब्ध नहीं कराती है या फिर बीच में ही सेवा बंद कर देती है तो यह सेवा में कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार की श्रेणी में आता है। FIITJEE जैसे संस्थानों ने छात्रों से पूरी फीस वसूल कर ली थी, लेकिन कोर्स पूरा कराए बिना सेंटर बंद कर दिया। यह उपभोक्ता अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है। ऐसे मामलों में प्रभावित पक्ष उपभोक्ता आयोग का दरवाज़ा खटखटा सकता है और फीस वापसी के साथ-साथ क्षतिपूर्ति का हकदार होता है।

उन्होंने आगे कहा कि आयोग ने जो आदेश पारित किया है, उसमें फीस वापसी के साथ-साथ क्षतिपूर्ति और ब्याज देने का प्रावधान किया गया है। यह उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा का उदाहरण है और शिक्षा संस्थानों को यह संदेश देता है कि वे मनमानी नहीं कर सकते। यदि तय समय सीमा में राशि का भुगतान नहीं किया जाता है तो उस पर ब्याज लगाया जाना भी उपभोक्ता कानून की सख्ती को दर्शाता है। यह फैसला अन्य अभिभावकों और छात्रों के लिए भी मिसाल है कि वे अपनी समस्याओं के समाधान के लिए कानूनी रास्ता अपनाएं और अपने अधिकारों की रक्षा करें।

क्या है उपभोक्ता आयोग?

उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग एक अर्ध-न्यायिक निकाय है जिसे उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत गठित किया गया है। इसका उद्देश्य उपभोक्ताओं को तेज़, सस्ती और प्रभावी न्याय दिलाना है। यहाँ उपभोक्ता उन सेवाओं या वस्तुओं के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकते हैं जहाँ उन्हें सेवा में कमी, अनुचित व्यापार व्यवहार या धोखाधड़ी का सामना करना पड़ा हो। आयोग अलग-अलग स्तर पर होता है, जिला, राज्य और राष्ट्रीय, और यह उपभोक्ताओं की शिकायतों की सुनवाई करके दोषी पक्ष को मुआवजा, ब्याज, जुर्माना या अन्य आवश्यक राहत देने का आदेश पारित कर सकता है।

ऐसे कर सकते हैं शिकायत

उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया बहुत सरल है। अगर किसी उपभोक्ता को किसी वस्तु या सेवा को लेकर ठगी, धोखाधड़ी, अनुचित व्यापार व्यवहार या सेवा में कमी का सामना करना पड़े तो वह सीधे जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कर सकता है। इसके लिए सबसे पहले संबंधित संस्था/कंपनी के खिलाफ लिखित आवेदन तैयार करना होता है, जिसमें पूरी घटना, भुगतान की रसीदें, अनुबंध की प्रतियां और अन्य साक्ष्य संलग्न किए जाते हैं। शिकायतकर्ता चाहे तो स्वयं आवेदन दाखिल कर सकता है या फिर किसी अधिवक्ता के माध्यम से यह कार्य किया जा सकता है। आप आयोग में अपने प्रकरण की पैरवी स्वयं भी कर सकते हैं।

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