राजस्थान: मदरसा पैराटीचर्स को नियमित करने की मांग को लेकर लिखे गए एक पत्र से बढ़ी हलचल

मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में आर्थिक हालातों से कराया अवगत
राजस्थान: मदरसा पैराटीचर्स को नियमित करने की मांग को लेकर लिखे गए एक पत्र से बढ़ी हलचल

जयपुर। राजस्थान में मदरसा पैराटीचर्स सहित शैक्षणिक व्यवस्था में विभिन्न पदनामों पर अल्प मानदेय पर काम कर रहे संविदा शिक्षा कर्मियों को नियमित करने के वादे के साथ सत्ता में आई कांग्रेस अब अपने वादे से मुकर गई है। विशेष कर राजस्थान मदरसा बोर्ड से पंजीकृत मदरसों में कार्यरत पैराटीचर्स को संशोधित संविदा सेवा नियम में शामिल करने से भी परहेज किया जा रहा है।

द मूकनायक से बात करते हुए राजस्थान मदरसा शिक्षा सहयोगी संघ प्रदेश अध्यक्ष आजम पठान ने अल्पसंख्यक मामलात मंत्री सालेह मोहम्मद व सरकार की ब्यूरोक्रेसी पर उन्हें नजरअंदाज करने के आरोप लगाए हैं।

पठान आगे कहते हैं कि अपने विद्यार्थी मित्र से पंचायत सहायक बने शिक्षाकर्मियों को विद्यालय सहायक बनाते हुए नए संविदा नियम के तहत विद्यालयों में नियुक्ति दे दी। राजीव गांधी पाठशाला शिक्षा सहयोगी, शिक्षा मित्रों को भी नए संविदा सेवा नियम के तहत नोटिफिकेशन जारी कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार के दफ्तरों में केवल मदरसा पैराटीचर्स से जुड़ी फाइल अटकी हुई है।

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5 हजार 656 पैराटीचर्स का भविष्य अंधकार में

राजस्थान मदरसा शिक्षा सहयोगी संघ प्रदेशाध्यक्ष आजम पठान ने कहा कि राजस्थान में मदरसा पेराटीचरों को एक से 6 चरण में 5 हजार 656 पैराटीचर्स भर्ती हुए हैं। जिन्हें न्यून्तम मजदूरी दर से कम मानदेय पर काम करते हुए लंबा अरसा बीत गया। 2018 के चुनावी घोषणा पत्र में उन्हें नियमित करने का वादा किया था। सत्ता में आने के बाद कांग्रेस सरकार ने नियमित करने के वादे से मुकरते हुए संविदाकर्मी मानने से इनकार कर दिया। इससे 15 से 20 साल पहले से कार्य कर रहे मदरसा पैराटीचर्स का अनुभव भी शून्य हो गया।

पठान कहते हैं कि विरोध करने पर सरकार ने फिर से नए संविदा सेवा नियम बनाने की घोषणा कर दी, लेकिन इस नियम में लाने में भी उनके साथ भेदभाव हो रहा है। हमें अन्य संविदा शिक्षा कर्मियों से अलग रखा गया है। यह सरकार की मंशा व अल्पसंख्यको के प्रति कांग्रेस की सहानुभूति दर्शाने के लिए काफी है।

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अनुभव के फेर में उलझाया

पठान कहते हैं कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार ने विभिन्न विभागों में कार्यरत संविदाकर्मियों की स्क्रीनिंग के बाद 1.14 लाख संविदाकर्मियों को ही नए संविदा सेवा नियमों के योग्य माना। इसमें भी नियमितीकरण के लिए अनुभव के लिए आईएएस की तर्ज पर पदोन्नति की शर्त लागू कर दी। पठान कहते हैं कि आईएएस पदोन्नति के नियम लगाना क्या न्याय संगत है।

नहीं बोलते मुस्लिम नेता

आजम पठान ने कहा राजस्थान में कांग्रेस के 9 मुस्लिम विधायक हैं। इनमें अल्पसंख्यक मामलात मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री के सलाहकार जैसे ऊंचे ओहदों पर भी मुस्लिम विधायक बैठे हैं, लेकिन कोई भी मदरसा पैराटीचर्स की पैरवी नहीं करता। उन्होंने कहा कि विधायक वाजिब अली ने मदरसा पैराटीचर्स को नियमित नहीं करने पर इस्तीफा देने की घोषणा की थी, लेकिन अब चुप है। मंत्री सालेह मोहम्मद भी खामोश है। उन्होंने कहा उनियारा विधायक हरीश मीणा मदरसा पैराटीचरों के नियमितीकरण की मांग उठाते है, लेकिन मुख्यमंत्री उनकी सुनते नहीं है।

आजम पठान ने राज्य सरकार की टालमटोल नीति से तंग आकर मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर जहर उपलब्ध करवाने की मांग की है। पठान ने पत्र में लिखा कि मदरसा पैराटीचर्स को वर्तमान कांग्रेस सरकार द्वारा कोई राहत नहीं दी जा रही है। 2018 से लगातार आंदोलन के बावजूद केवल अश्वाशन मिला है। बिना मांग के नियमित कर्मचारियों को ओपीएस का तोहफा दिया गया। जबकि मदरसा पैराटीचर्स को संविदा सेवा नियम तक में नहीं लिया गया। नियमितीकरण की उम्मीद में मदरसा पैराटीचर्स की हालत बद से बदतर हो गई है। ऐसे में उन्हें 5656 जहर की पुड़िया भेज दी जाएं।

इस संबंध में द मूकनायक ने अल्पसंख्यक मंत्री साले मोहम्मद से बात करना चाहा, लेकिन बात नहीं हो सकी।

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