गुजरात: अपात्र कार्ड पर ठाकोर नेता को राशन देने से किया इंकार तो दलित कोटेदार का हुआ सामाजिक बहिष्कार!

मानसिक उत्पीड़न से हारकर कीटनाशक पिया, टांग गंवानी पड़ी । सवर्णों के दबाव में जिला कलेक्टर ने हाल में दलित कोटेदार की दुकान के 436 राशन कार्ड को कर दिया अन्यत्र ट्रांसफर।
2021 में कांति परमार की दुकान पर राशन लेते ग्रामीण और मौके पर मौजूद रिवेन्यू तलाटी (खाद्य अधिकारी)
2021 में कांति परमार की दुकान पर राशन लेते ग्रामीण और मौके पर मौजूद रिवेन्यू तलाटी (खाद्य अधिकारी)

पाटन।  गुजरात के पाटन जिले में एक दलित कोटेदार को नियमों की पालना करना भारी पड़ गया। जब उन्होंने वैध राशन कार्ड न होने पर एक ठाकोर नेता को राशन देने से इंकार कर दिया तो कथित रूप से सवर्ण बाहुल्य क्षेत्र में विरोधी पक्ष ने मिलकर दलित कोटेदार की दुकान का सामाजिक बहिष्कार शुरू कर दिया। 

लगभग 371 लोगों के हस्ताक्षर कराकर कोटेदार पर राशन न देने के झूठे आरोप लगाए गए। यही नहीं षड्यंत्र रचकर सवर्ण जाति के कोटेदार से पीओएस मशीन और राशन लाकर वितरित किया जाने लगा। दलित कोटेदार के काउंटर से राशन वितरण घटता चला गया इससे आहात होकर कोटेदार सदमें में चला गया और मई 2021 में जहर पीकर जान देने की कोशिश की। हालांकि लोगों ने समय से पूर्व अस्पताल में भर्ती करा दिया। कोटेदार की जान तो बच गई लेकिन जहर के असर ने एक टांग खराब कर दी। डाक्टरों को टांग काटनी पड़ी। इस पूरे मामले में 5 लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज हुआ। महीने भर बाद ही आरोपी जेल से छूट गए और बड़े स्तर पर षड्यंत्र रचा। इतना सब होने के बाद भी सवर्णों का बहिष्कार करना बंद नहीं हुआ और इनकी ज्यादती बढ़ गई। सवर्णों ने राशन कार्ड ट्रांसफर करने के लिए कलेक्टर को चिट्ठी लिखी। जिसके बाद कलेक्टर को भी राशन कार्ड दूसरे कोटे पर ट्रांसफ़र करने पर मजबूर होना पड़ा। अब दलित कोटेदार की दुकान का लाइसेंस निरस्त होने की कगार पर पहुंच गया है।

ट्रैक्टर पर नायता से राशन लेकर प्रकाश जी अभय के घर जाते लोग
ट्रैक्टर पर नायता से राशन लेकर प्रकाश जी अभय के घर जाते लोग

जानिए क्या है पूरा मामला?

गुजरात के पाटन जिले की सरस्वती तहसील के कानोसन गांव में कांति परमार की सरकारी उचित मूल्य की दुकान (राशन) है। इस गांव में ठाकोर समुदाय (गैर-दलित) के परिवार की संख्या दलित समुदाय की अपेक्षा अधिक है। इनकी कुल संख्या 436 है। गांव के अधिकांश राशन कार्ड धारकों ने करीब डेढ़ साल पहले दलित कांति परमार द्वारा संचालित एफपीएस से राशन खरीदना बंद कर दिया था। कलेक्टर अरविंद विजयन ने 12 सितंबर के एक आदेश में कानोसन के 436 परिवारों के राशन कार्डों को एडला के एफपीएस में स्थानांतरित कर दिया है। अब सभी 436 राशन कार्ड धारक अब पड़ोसी गांव एडला से राशन खरीद सकते हैं। उन्हें उनके गांव में किसी दलित द्वारा संचालित उचित मूल्य की दुकान (एफपीएस) से राशन नहीं खरीदना होगा।

कीटनाशक पीने से सड़ गया कांति परमार का पैर
कीटनाशक पीने से सड़ गया कांति परमार का पैर

2021 से चल रहा सामाजिक बहिष्कार, एक टांग गवानी पड़ी

कांति परमार के बेटे मुकेश परमार द मूकनायक प्रतिनिधि को बताते हैं, 'यह सब 2021 से चल रहा है। मेरा गांव की 95 फीसदी आबादी ठाकोर/ठाकुरों की है।  मेरे पिता के कोटे पर कुछ ठाकुर समुदाय के लोग राशन लेने आये थे। उनके पास वैध राशन कार्ड न होने के कारण मेरे पिता ने राशन देने से मना कर दिया। बस इसी को लेकर सभी ने रंजिश की। लगभग 371 लोगों ने मिलकर मेरे पिता के खिलाफ राशन न देने के झूठे आरोप लगाए। लोगों ने हमारे कोटे से राशन लेना बंद कर दिया था।'

'हमारे गांव में राशन बांटने के लिए पड़ोस के कोटेदार प्रकाश सिंह और अभय सिंह के कोटे से पीओएस मशीन और राशन लाकर अवैध तरीके से हमारे गांव के लोगों को राशन बांटते थे। इससे आहात होकर पिता ने 5 मई 2021 को बाग में जाकर कीटनाशक (जहर) पी लिया। हम लोग जानकारी हुई तो उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया। इसमें उनकी जान तो बच गई लेकिन एक पैर पूरी तरह सड़ गया। डाक्टरों को उनका पैर काटना पड़ा।'

कांति भाई परमार के शरीर से डाक्टरों ने निकाला कीटनाशक
कांति भाई परमार के शरीर से डाक्टरों ने निकाला कीटनाशक

'हमने इस मामले में पांच लोगों के खिलाफ जातीय उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज कराया। मामला कोर्ट में आज भी चल रहा है। एक माह बाद जून में सभी को कोर्ट ने इस शर्त पर जमानत दी कि वह न तो खुद ऐसा कार्य करेंगे और न ही किसी को करने के लिए कहेंगे।' मुकेश द मूकनायक प्रतिनिधि को बताते हैं, 'जब वह सब जेल से छूटकर आये तो उन्होंने बड़े पैमाने पर यह सब फिर से शुरू कर दिया। 371 से संख्या बढ़कर 436 हो गई। अब आसानी से कोई हमारी राशन की दुकान से राशन नहीं लेने आता है।'

ठाकोर समुदाय ने लगाए गम्भीर आरोप, कोटेदार ने किया खंडन

ठाकोर समुदाय ने कांति पर आरोप गम्भीर आरोप लगाएं हैं। आरोप है कि कांति कार्ड धारकों को एससी एसटी एक्ट (अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम) के तहत झूठे मामलों में फंसाने की धमकी देता था। जबकि कांति और उनके परिवार ने आरोपों का खंडन किया है। वहीं कांति ने जिला कलेक्टर के इस आदेश को अदालत में चुनौती देने पर विचार किया है। कलेक्टर के आदेश से पहले जिला प्रशासन ने कानोसन के 268 निवासियों के बयान दर्ज किए गए। उनमें से 260 ने पड़ोसी गांव के एफपीएस से राशन खरीदने की इच्छा व्यक्त की, जबकि केवल आठ निवासियों ने कांति के एफपीएस से राशन लेने की बात कही। सरस्वती तहसील में बीते मार्च में कानोसन निवासियों की एक बैठक आयोजित हुई थी। इस बैठक में लगभग 300 राशन कार्ड धारकों ने कांति के एफपीएस से राशन न लेने की बात कही थी। साथ ही दूसरे गांव से राशन खरीदने की अनुमति भी मांगी थी।

सामाजिक बहिष्कार आंकड़ों में भी दर्ज हुए

कलेक्टर के आदेशानुसार कांति के एफपीएस द्वारा राशन वितरण में धीरे-धीरे कमी दर्ज की गई है। आदेश में कहा गया है कि इसके द्वारा इस साल मार्च, अप्रैल, मई और जून में क्रमश: 36.84 प्रतिशत, 30.14 प्रतिशत, 9.18 प्रतिशत और 8.18 प्रतिशत राशन वितरित किया गया।कलेक्टर ने आदेश दिया है कि कानोसन निवासियों के सभी राशन कार्ड कानोसन से लगभग 1.5 किमी दूर एडला गांव में विसाभाई रबारी द्वारा संचालित एफपीएस में स्थानांतरित किए जाएंगे। उन्होंने यह भी आदेश दिया है कि रबारी को यह सुनिश्चित करना होगा कि निवासियों को उनका राशन कानोसन में ही मिले।

दो साल से चल रहा विवाद

इस मामले मे कांति का कहना है-' विवाद लगभग दो साल पहले चल रहा है। लगभग दो-तीन साल पहले गांव के ठाकोर नेताओं में से एक मेरी दुकान से राशन खरीदने आए थे। चूंकि उनका कार्ड पात्र नहीं था, इसलिए मैंने उन्हें राशन देने से इनकार कर दिया। तब से ही वह और समुदाय के अन्य नेता मेरे खिलाफ अभियान चला रहे हैं और अपने समुदाय के अन्य सदस्यों से मेरी दुकान का बहिष्कार करने का आग्रह कर रहे हैं या धमकी दे रहे हैं।’

उन्होंने आगे कहा, ‘वे यह कहते हुए बहिष्कार को उचित ठहराते हैं कि मैंने उनके खिलाफ एससी/एसटी अधिनियम के तहत झूठी शिकायतें दर्ज की हैं। यह सच नहीं है। मैं पिछले 30 सालों से यह दुकान चला रहा हूं, लेकिन पिछले दो-तीन सालों में ही उन्हें मुझमें खामियां नजर आने लगीं।'

क्या कहते हैं सरपंच?

कानोसन के सरपंच रघु ठाकोर ने कहा, ‘ग्रामीणों की लगातार शिकायतें आ रही थीं। ग्रामीणों का आरोप था कि उन्हें उचित मात्रा में राशन नहीं मिल रहा है। इसके साथ ही कांति द्वारा लोगों को एससी/एसटी एक्ट के तहत झूठे मामलों में फंसाने की भी धमकी दी जा रही थी। इसलिए एफपीएस से राशन कार्डों को पास के गांव में स्थानांतरित करने की मांग की थी।'

अधिकारी किसी भी बयान से बचते नजर आए 

इस मामले में पाटन कलेक्टर अरविंद विजयन ने बताया, 'आंतरिक जांच और ग्रामीणों के विरोध के बाद यह आदेश जारी किया गया। अधिक जानकारी के लिए जिला आपूर्ति अधिकारी (डीएसओ) से संपर्क कीजिए।'

पाटन डीएसओ डीएस निनामा ने बताया, 'कलेक्टर ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आदेश जारी किया है। कांति की दुकान का लाइसेंस रद्द करने से पहले उन्हें अपना पक्ष रखने का पर्याप्त मौका दिया जाएगा।'

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