तिरुनेलवेली दलित हत्या कांड: CM स्टालिन की कविन के पिता से मुलाकात, उठीं 3 बड़ी मांगें – क्या बदलेगी DMK की राजनीति?

CM स्टालिन ने तिरुनेलवेली जातिगत हत्या के पीड़ित परिवार से मुलाकात की, पिता ने रखीं तीन अहम मांगें – DMK की दलित रणनीति पर उठे सवाल।
तिरुनेलवेली जातिगत हत्या मामला: सीएम स्टालिन ने पीड़ित परिवार से की मुलाकात
तिरुनेलवेली जातिगत हत्या मामला: सीएम स्टालिन ने पीड़ित परिवार से की मुलाकात
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चेन्नई: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने सोमवार को तिरुनेलवेली में पिछले महीने जातिगत हिंसा में मारे गए दलित युवक कविन के पिता से मुलाकात की।

कविन के पिता चंद्रशेखर, वीसीके अध्यक्ष थोल तिरुमावलवन के साथ सीएम से मिलने पहुंचे। मुलाकात के बाद उन्होंने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री के सामने तीन अहम मांगें रखीं। चंद्रशेखर ने कहा, “अब भी दो आरोपियों की गिरफ्तारी बाकी है। इसके अलावा मैंने अपने छोटे बेटे के लिए नौकरी और पत्नी, जो सरकारी स्कूल में अध्यापिका हैं, के तबादले की मांग की है।” इस पर स्टालिन ने उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया।

दलित समुदाय तक पहुँचने की कोशिश

कविन के परिवार से मुलाकात को डीएमके की उस व्यापक रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है जिसके तहत पार्टी दलितों से जुड़ाव मजबूत करने की कोशिश कर रही है। राज्य की कुल मतदाता संख्या में दलितों की हिस्सेदारी लगभग 21% है। सामाजिक न्याय को अपने मुख्य एजेंडे के रूप में पेश करने वाली डीएमके हाल के वर्षों में योजनाओं, प्रतीकात्मक कदमों और राजनीतिक संदेशों के जरिए इस समुदाय तक पहुँच बनाने में सक्रिय रही है।

पिछले साल बीएसपी के प्रदेश अध्यक्ष आर्मस्ट्रांग की हत्या के बाद सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था, जिसके बाद यह प्रयास और तेज हो गए।

योजनाएँ और घोषणाएँ

डीएमके सरकार ने हाल ही में आदेश जारी किया कि अब सरकारी अभिलेखों में किसी भी आवासीय इलाके के नाम के साथ ‘कॉलोनी’ शब्द का प्रयोग नहीं किया जाएगा। सरकार का मानना है कि यह शब्द दलित बस्तियों की पहचान को अलग करता है और एक प्रकार का जातिगत संकेतक है।

साल 2024-25 के लिए सरकार ने दलित और आदिवासी छात्रों की पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति हेतु 733 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। इसी वर्ष अंबेडकर बिज़नेस चैंपियंस योजना के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

इसके अलावा, जब चेन्नई में सफाईकर्मियों की गिरफ्तारी को लेकर सरकार पर दबाव बढ़ा, तो मुख्यमंत्री ने तुरंत कैबिनेट की बैठक बुलाई और छह नई कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा की। इनमें मुफ्त भोजन से लेकर स्वास्थ्य बीमा तक की सुविधाएँ शामिल थीं। सफाईकर्मी प्रायः दलित समुदाय से आते हैं।

कार्यकर्ताओं की नाराज़गी

हालांकि, सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि ये कदम स्थायी समाधान नहीं हैं। दलित कार्यकर्ता सी. करुप्पैयाह ने इन योजनाओं और मुआवजों को “अस्थायी” करार दिया। उन्होंने कहा, “कविन की हत्या के तुरंत बाद ही स्टालिन मात्र 16 किलोमीटर दूर एक कार फैक्ट्री के उद्घाटन में शामिल थे, लेकिन उस समय वे पीड़ित परिवार से मिलने नहीं गए।”

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि डीएमके के चुनावी घोषणापत्र में पंचमी भूमि की वापसी और रिक्त पदों की भर्ती का वादा किया गया था, लेकिन आज तक उस पर अमल नहीं हुआ। करुप्पैयाह के मुताबिक, मौजूदा कदम केवल दलित वोटों को 2026 के चुनाव तक अपने पक्ष में बनाए रखने की कवायद हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों की चेतावनी

राजनीतिक विश्लेषक एन. सत्यामूर्ति ने भी संभावित खतरे की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा, “भले ही सरकार कई रियायतें दे रही हो, लेकिन यदि समाज का बड़ा हिस्सा उपेक्षित महसूस करता है तो विपक्षी दल इसे चुनावी मुद्दा बना सकते हैं। वोटों का रुझान बदलेगा या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि विपक्ष इसे किस तरह से भुनाता है।”

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