"दलितों के पैसों से भगवान को भोग नहीं लगेगा, प्रसादी अपवित्र हो जाएगी," मामले में FIR के एक महीने बाद भी नहीं हुई कार्रवाई!

राजस्थान के झालावाड़ जिले के खानपुर थाना अंतर्गत मूंडला गांव में राम मंदिर उत्सव के लिए चंदा राशि लेने के बाद जाति को आधार बनाकर मनबढ़ों ने दलितों के पैसों से भगवान को भोग नहीं लगाने तथा प्रसादी अपवित्र होने की बात कहते हुए चंदा राशि वापस लौटा दी थी। पीड़ितों ने घटना के अगले दिन थाने में रिपोर्ट दी, लेकिन दर्ज नहीं हुई।
राजस्थान पुलिस
राजस्थान पुलिसफोटो साभार- इन्टरनेट

जयपुर। राजस्थान के झालावाड़ जिले में राम मंदिर उत्सव मनाने के लिए दलितों को चंदा राशि वापस लौटाने से जुड़े मामले में पुलिस पर राजनीतिक दबाव में काम करने के आरोप लग रहे हैं। घटना के एक महीने बाद भी नामजद आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होने से दलित समाज आक्रोशित है। हालांकि पुलिस ने राजनीतिक दबाव में काम करने के आरोपों को नकार दिया है। पुलिस का कहना है कि एफआईआर के अनुसार नियमानुसार कार्रवाई कर रहे हैं।

भीम आर्मी प्रदेश उपाध्यक्ष कृष्ण मेहरा के नेतृत्व में मूंडला गांव के मेघवाल, बैरवा, धोबी व मेहर समाज के लोगों ने खानपुर उपखण्ड मुख्यालय पर प्रदर्शन किया। दलित समाज के लोगों ने उपखण्ड अधिकारी खानपुर को ज्ञापन सौंपा है। आरोप है कि स्थानीय पुलिस व प्रशासन के लोग राजनीतिक दबाव में होने से दलित समाज को न्याय नहीं दिला पा रहे हैं। अनुसूचित जाति, जनजाति अधिनियम के तहत गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज होने के बावजूद घटना के एक महीने बाद भी नामजद आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं की गई है।

प्रदर्शन कर रहे लोगों ने बताया कि घटना के एक महीने बाद भी कार्रवाई नहीं होने से मनबढ़ आरोपियों के हौसले बुलंद हैं। आए दिन दलित समाज के लोगों को एक-एक कर धमकियां दे रहे हैं। यहां दलित संगठनों ने प्रदर्शन से पूर्व मूंडला प्रकरण के मुस्तगीस मुकेश बैरवा को धमकाने का आरोप भी लगाया है। धमकी के संबंध में ग्रामीणों ने उपखंड अधिकारी को सबूत भी पेश किए हैं, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। इससे दलित समाज में रोष है।

क्या था मामला?

22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण व प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर देशभर में उत्साह का माहौल था। शहर, कस्बा व गांवों में भी लोग उत्सव मनाने की तैयारी कर रहे थे। राजस्थान के झालावाड़ जिले के खानपुर पुलिस थाना अंतर्गत मूंडला गांव में भी राम मंदिर उत्सव के उपलक्ष्य में कलश यात्रा निकालने तथा भोजन प्रसादी बनाने की तैयारी चल रही थी।

भीम आर्मी प्रदेश उपाध्यक्ष कृष्ण मेहरा ने बताया कि, राजस्थान के झालावाड़ जिले के खानपुर थाना अंतर्गत मूंडला गांव में मेघवाल, बैरवा, धोबी व मेहर समाज के लोग भी रहते हैं। जोकि अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं। गत माह जनवरी में अयोध्या में बन रहे राम मंदिर निर्माण के उत्सव के लिए मूंडला गांव में भी कलश यात्रा निकालने व प्रसाद वितरण के आयोजन के लिए गांव के मनबढ़ लोग चंदा राशि एकत्रित कर रहे थे। 8 जनवरी को मूंडला गांव के जगदीश पुत्र मांगी लाल नागर व ओम नागर दस से पन्द्रह अन्य लोगों के साथ आए। गांव में दलित समाज की बस्ती में जाकर राम मंदिर उत्सव के लिए चंदा मांगा। इस पर दलित समाज के लोगों ने अपनी हैसियत के अनुसार राम मंदिर उत्सव के लिए चंदा राशि दे दी।

मूंडला गांव के मुकेश बैरवा ने बताया कि, अगले दिन 9 जनवरी को रात 9 बजे लगभग जगदीश नागर, ओम नागर व अन्य लोग दलितों की बस्ती में आए। एससी समाज के लोगों को घरों के बाहर बुलाकर राम मंदिर उत्सव के नाम पर ली गई चंदा राशि वापस लौटाने लगे। इनसे राशि वापस करने का कारण पूछा तो उन्होंने (चंदा राशि वापस लौटाने आए लोगों) ने कहा कि हमारे समाज के रामस्वरूप, छोटूलाल उर्फ चंद्र प्रकाश, जगदीश व महावीर धाकड़ ने दलित समाज के लोगों से चंदा राशि नहीं लेने के लिए कहा है। मुकेश बैरवा के अनुसार, चंदा राशि लौटाने आए लोगों ने कहा कि उक्त चार लोगों ने कहा है कि दलितों के पैसों से भगवान के भोग नहीं लगेगा। जो प्रसादी बनेगी वो भी अपवित्र हो जाएगी। इसलिए उनका पैसा वापस लौटा कर आओ। इसलिए वापस करने आए हैं।

पहले राम मंदिर के नाम पर चंदा लेने व बाद में दलितों को उनकी जाति बताकर चंदा राशि वापस लौटा कर प्रताड़ित करने के बाद गांव के एएसी समाज के लोगों ने खानपुर पुलिस थाने में एक तहरीर देकर उक्त नामजद आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग थी, लेकिन पुलिस ने एफआईआर तक दर्ज नहीं की।

स्थानीय पुलिस ने सुनवाई नहीं की तो, गांव के एससी समाज के लोगों ने भीम आर्मी को साथ लेकर झालावाड़ जिला मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन कर मूंडला प्रकरण में एफआईआर दर्ज करने की मांग की। इसके बाद खानपुर थाना पुलिस ने 17 जनवरी को शाम 4 बजे रामस्वरूप, छोटूलाल उर्फ चंद्रप्रकाश, जगदीश व  महावीर धाकड़ के खिलाफ धारा 504 व अनुसूचित जाति, जनजाति अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी। आरोप है कि घटना को एक महीना बीत गया, लेकिन अभी तक पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है। इससे आरोपियों के हौसले बुलंद हैं। गांव में दलितों को धमकाकर प्रताड़ित किया जा रहा है। 

इससे पूर्व 11 जनवरी को भी गांव के मुकेश पुत्र मोतीलाल बैरवा को आरोपी छोटूलाल उर्फ चंद्रप्रकाश व खेमराज धाकड़ ने जातिसूचक शब्दों का उपयोग करते हुए बस्ती छोड़ कर जाने के लिए धमकाया था। मुकेश का आरोप है कि "मुझे बस्ती से दूर रहने, जरूरी खाने पीने का सामान दूसरे गांव से खरीदने के लिए धमकी दी गई। इस संबंध में भी पुलिस को शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब एक बार फिर फोन पर जान से मारने की धमकी दी है। इसका ऑडियो हमारे पास है। हमने पुलिस अधिकारियों को ऑडिया सुनाया है, लेकिन पुलिस ने फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की है।"

'राजनीतिक दबाव में हैं अधिकारी'

भीम आर्मी  प्रदेश उपाध्यक्ष कृष्ण मेहरा ने कहा कि, हमने कलेक्टर एसपी को अवगत करवाया। इसके बाद पुलिस ने घटना के एक सप्ताह बाद एफआईआर दर्ज की। अभी तक पुलिस ने नामजद आरोपियों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की है। यह एट्रोसिटी का मामला है नियमानुसार अब तक कार्रवाई हो जाना था, लेकिन पुलिस व प्रशासन के लोग राजनीतिक दबाव में हैं। इसलिए मनबढ़ों के खिलाफ कार्रवाई करने से बच रहे हैं।

उन्होंने कहा कि "प्रशासन के लोग सच जानते हैं, लेकिन सत्ता के दबाव में बेबस हैं। राम के नाम पर चंदा हमारे लोगों से लिया गया, और जाति के कारण नीच बताकर चंदा राशि वापस लौटा दी गई। यह अत्याचार नहीं तो क्या है। दलितों के न्याय के लिए आखरी सांस तक लड़ेंगे।"

सबूत व गवाहों के आधार पर कार्रवाई कर रही है पुलिस

पुलिस पर राजनीतिक दबाव में काम करने के आरोपों के बाद द मूकनायक ने मूंडला प्रकरण में दर्ज एफआईआर की जांच कर रहे पुलिस उपाधीक्षक विजय कुमार से बात की। आरपीएस अधिकारी विजय कुमार ने कहा कि, "पुलिस इस प्रकरण में नियमानुसार कार्रवाई कर रही है। पीड़ित पक्ष के बयानों के लिए मैं खुद दो बार एसडीएम के साथ गांव में जा चुका हूं, लेकिन पीड़ित पक्ष के लोग सामने नहीं आते हैं। एफआईआर के लिए दी गई तहरीर में जिन लोगों के हवाले से आरोप लगाए गए हैं अब वो बयानों से मुकर गए हैं। पुलिस सबूत व गवाहों के आधार पर कार्रवाई कर रही है। राजनीतिक दबाव में काम करने के आरोप निराधार हैं."

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