CJI गवई पर फेंके गए जूते का जवाब बना 'जूता दान'! Gujarat के नवसर्जन संगठन का इसलिए ख़ास है ये दलित अभियान

'नवसर्जन' अपनी सहयोगी संस्थाओं 'दलित शक्ति केंद्र' और 'दलित फाउंडेशन' के साथ 26 नवंबर से 6 दिसंबर तक एक विशेष जूता वितरण अभियान चलाएगा जिसके तहत गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे राज्यों के जरूरतमंद स्कूली छात्र-छात्राओं को लगभग 5,000 जोड़ी जूते दान किए जाएंगे।
गुजरात स्थित संगठन 'नवसर्जन' अपनी सहयोगी संस्थाओं 'दलित शक्ति केंद्र' और 'दलित फाउंडेशन' के साथ 26 नवंबर से 6 दिसंबर तक एक विशेष जूता वितरण अभियान चलाएगा।
गुजरात का एक संगठन CJI गवई पर जूता फेंकी जाने वाली घटना के जवाब में हज़ारों गरीब स्कूली बच्चों को जूते दान करने का अभियान चला रहा है, जिसमें आरक्षण का लाभ पाने वालों से खास तौर पर योगदान मांगा जा रहा है।द मूकनायक
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अहमदाबाद- एक तरफ वो जूता था जो अदालत की मर्यादा पर उछला, दूसरी तरफ वो हज़ारों जूते हैं जो अब स्कूल जाने वाले गरीब बच्चों के कदमों में उम्मीद की नई राह बनेंगे। गुजरात के एक मानवाधिकार संगठन ने नफ़रत की उस घटना को एक सकारात्मक सामाजिक अभियान में बदल दिया है, जहां आरक्षण से लाभ पाने वाले लोग अब जरूरतमंद बच्चों को जूते दान कर रहे हैं।  इस अभियान का केंद्र बिंदु 'जूता' ही है, लेकिन इस बार इसे नफरत का नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव और संवैधानिक मूल्यों के प्रति आभार का प्रतीक बनाया जा रहा है।

गुजरात स्थित संगठन 'नवसर्जन' अपनी सहयोगी संस्थाओं 'दलित शक्ति केंद्र' और 'दलित फाउंडेशन' के साथ 26 नवंबर से 6 दिसंबर तक एक विशेष जूता वितरण अभियान चलाएगा। इसके तहत गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे राज्यों के जरूरतमंद स्कूली छात्र-छात्राओं को लगभग 5,000 जोड़ी जूते दान किए जाएंगे।

क्या है अभियान का मकसद?

नवसर्जन के संस्थापक मार्टिन माकवान ने बताया कि यह अभियान उन लोगों से अपील करेगा जिन्होंने "आरक्षण का लाभ उठाया है" कि वे अपने सामाजिक दायित्व का निर्वहन करते हुए जरूरतमंद बच्चों को जूते दान करें।

माकवान के मुताबिक, "हमारा मानना है कि बहुत से ऐसे लोग जिन्होंने आरक्षण से लाभ प्राप्त किया है, वे समुदाय से कट गए हैं। और यही कारण है कि (समुदाय का) संगठन कमजोर हो रहा है। मजबूत होने के बजाय, समुदाय की ताकत कमजोर हो रही है। और यही हमने जस्टिस गवई की घटना में भी देखा। इतनी बड़ी घटना हुई, लेकिन उसका कोई खास प्रभाव देखने को नहीं मिला। इसलिए, हमने सोचा कि इस घटना के जवाब में सबसे अच्छा कार्यक्रम यह होगा कि उन लोगों से, जिन्हें आरक्षण का लाभ मिला है, स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब परिवारों के बच्चों को जूते दान करने के लिए कहा जाए, जो उनके सामाजिक दायित्व का एक हिस्सा है।"

क्यों 'जूता' है अभियान का प्रतीक? इस सवाल के जवाब में माकवान सीधे और स्पष्ट हैं: "अभियान में जूते को केंद्र में इसलिए रखा गया है क्योंकि विवाद जूते को लेकर ही हुआ था।" उनका इशारा उस घटना की ओर है जब अक्टूबर में एक वकील राकेश किशोर ने सुनवाई के दौरान CJI गवई की ओर जूता फेंका था। गौरतलब है कि गवई दलित समुदाय से आने वाले दूसरे CJI हैं।

'संविधान को सुनहरा सलाम', 'धिक्कार का एक ही जवाब, अधिकार', 'मेरा आरक्षण = समाज का संरक्षण'- अभियान को एक विचारधारात्मक ढांचा देने के लिए इस प्रकार के खास नारे भी गढ़े गए हैं, जो जूते के डिब्बों पर छपे रहेंगे।

कैसे काम करेगा अभियान?

स्वयंसेवक चयनित गांवों में जाकर आरक्षण से लाभान्वित व्यक्तियों से एक जोड़ी जूते (लगभग 200 रुपये मूल्य के) के लिए दान देने की अपील करेंगे। यह दान नवसर्जन संगठन को प्राप्त होगा। संगठन ने थोक आपूर्तिकर्ताओं से संपर्क किया है ताकि सस्ते दामों में बड़ी मात्रा में जूते खरीदे जा सकें। जूतों के साइज का चयन करने की प्रक्रिया चल रही है और इन्हें कक्षा 5 से 10 तक के छात्र-छात्राओं को दिया जाएगा। 50% जूते छात्राओं को दिए जाएंगे।

अभियान को एक विचारधारात्मक ढांचा देने के लिए खास नारे भी गढ़े गए हैं, जो जूते के डिब्बों पर छपे रहेंगे: 'संविधान को सुनहरा सलाम' 'धिक्कार का एक ही जवाब, अधिकार' 'मेरा आरक्षण = समाज का संरक्षण'

इन नारों के चुनाव के पीछे भी रणनीति है। 26 नवंबर 'संविधान दिवस' के रूप में और 6 दिसंबर डॉ. भीमराव आंबेडकर की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है। इन दोनों ही तारीखों का भारतीय संविधान और सामाजिक न्याय के संघर्ष से गहरा नाता है।

मार्टिन माकवान के अनुसार, "शुरुआत में हमने 1,000 जोड़ी जूते एकत्र करने का लक्ष्य रखा था। लेकिन हमें बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली। अब तक हमें 2,000 से अधिक जोड़ी जूतों के दान की पुष्टि मिल चुकी है। इस उत्साहजनक प्रतिक्रिया के बाद अब हमने अपना लक्ष्य बढ़ाकर 5,000 जोड़ी जूते कर दिया है।"

साफ है कि एक विवादास्पद घटना की प्रतिक्रिया में शुरू हुआ यह अभियान अब आरक्षण के मूल उद्देश्य, सामाजिक जिम्मेदारी और संवैधानिक मूल्यों पर एक सार्थक बहस और सकारात्मक पहल का रूप ले चुका है।

गुजरात स्थित संगठन 'नवसर्जन' अपनी सहयोगी संस्थाओं 'दलित शक्ति केंद्र' और 'दलित फाउंडेशन' के साथ 26 नवंबर से 6 दिसंबर तक एक विशेष जूता वितरण अभियान चलाएगा।
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