ग्राउंड रिपोर्ट: आर्थिक परेशानियों से जूझ रहा रोहित का परिवार, मुंडका में सीवर सफाई के दौरान जहरीली गैस से हुई थी मौत

हाथ में रोहित की तस्वीर लिए उनकी पत्नी पिंकी [फोटो- सौरव सिंह, द मूकनायक]
हाथ में रोहित की तस्वीर लिए उनकी पत्नी पिंकी [फोटो- सौरव सिंह, द मूकनायक]

नई दिल्ली। एक बार फिर सीवर में उतरने की वजह से दो लोगों की मौत हो गई. यह घटना दिल्ली के मुंडका इलाके की है, जब एक सफाईकर्मी सीवर में सफाई के लिए उतरा, लेकिन जहरीली गैस से बेहोश हो गया. मदद के लिए सीवर में उतरे एक सिक्योरिटी गार्ड की भी जान चली गई। ये घटना नौ सितम्बर की है. सफाईकर्मी रोहित की उम्र लगभग 29 साल थी। उनका घर मुंडका मेट्रो स्टेशन से लगभग चार किलोमीटर की दूरी पर है।

मुंडका पहुंचकर रिक्शे वाले से जैसे ही सीवर में उतरने पर होने वाली मौत के बारे में पूछा वो तुरंत बोले 'हां वही वाल्मीकि न!' रिक्शाचालक ने द मूकनायक टीम को रोहित चांडिल्य के घर तक ले जाता है, जिनकी मौत 9 सितंबर को मैनहोल में सफाई करने के दौरान हो गई थी। रोहित के साथ उस दिन अशोक की भी मौत हो गई थी, जो रोहित को बचाने के लिए सीवर में उतरे थे। अशोक सिक्योरिटी गार्ड का काम करते थे।

क्या है पूरी घटना!

रोहित के घर में पहुंचने पर उनकी पत्नी, बेटा और उनकी सास मौजूद थे. उनका घर लगभग 10 बाई 8 (10×8) का रहा होगा. घर का सामान पूरा बिखरा हुआ था. रोहित की पत्नी पिंकी बताती है, "लगभग 2ः30 बजे रोहित सीवर में सफाई कर रहे थे. तभी पानी का तेज बहाव आया और वह अंदर ही फंस गए। सीवर से बाहर निकालते-निकालते शाम हो गई थी. रोहित के साथ वहां मौजूद अशोक की भी सीवर में जाने से मौत हो गई", पिंकी आगे बताती हैं कि, अशोक वही गार्ड थे, जिन्होंने रोहित को अंदर जाते देखा. थोड़ी देर में जैसे ही उन्हें पता चला कि रोहित फंस गया है वो भी अंदर चले गए. लेकिन वहां दोनों ही बुरी तरह फंस गए.

पिंकी बताती है कि, सीवर में बहुत ज्यादा गैस बन गई थी. इन दोनों को निकालने के लिए एक और व्यक्ति को रस्सी के सहारे अंदर भेजा जाता है, लेकिन सीवर के अंदर गैस होने की वजह से उसे तुरंत बाहर निकाल लिया जाता है. घटना की खबर मिलते ही कुछ देर में वहां पुलिस पहुंच जाती है. फायर ब्रिगेड व जेसीबी की मदद से दोनों को लगभग 6 बजे शाम को निकाला जाता है. पुलिस फौरन ही दोनों को अस्पताल ले जाती है, जहां डॉक्टर द्वारा दोनों को मृत घोषित कर दिया गया.

रोहित का घर [फोटो- सौरव सिंह, द मूकनायक]
रोहित का घर [फोटो- सौरव सिंह, द मूकनायक]

बच्चे और पत्नी का भविष्य क्या होगा!

रोहित की शादी लगभग पांच साल पहले ही हुई थी. वह अपने बेटे को बड़ा आदमी बनाना चाहते थे. रोहित की सास, रानी बताती हैं, "रोहित ज्यादा पढ़े लिखें नहीं थे, पहले उन्होंने एक प्राइवेट कंपनी में काम किया था, लेकिन एक साल के बाद ही उन्होंने वहां से नौकरी छोड़ दी थी। वह पिछले चार साल से प्रधान चंदन कुमार मिश्र के लिए ही काम कर रहे थे।"

रोहित अपने पीछे अपनी पत्नी और लगभग 4 साल के बेटे को छोड़ गए। पिंकी बताती हैं, "बेटा दिन भर पापा-पापा बोलता रहता है. बेटे में उनकी जान बसती थीे. वो महीने में भले ही 10 हजार कमाते थे, लेकिन बेटे के लिए कभी 200-300 तो कभी-कभी 500 तक के भी खिलौने ले आते थे। जेब में पैसे नहीं होते थे फिर भी कभी बेटे को निराश नहीं करते थे।"

पिंकी की आँखों के आंसू सूख चुके थे। ऐसा लगता है जैसे रोहित के जाने के बाद उनकी सारी उम्मीद खत्म हो चुकी है। पिंकी हर बात में बस अपने बेटे को कैसे भी बड़ा करने की बात कहती है। मानो उनके जीवन की बस आखिरी उम्मीद उनका बेटा ही बचा है।

"बेटा जब भी पूछता पापा कब आयेंगे? तो बोलना पड़ता है कि पापा बंगाल गए हैं, तेरे लिए पैसा और खिलौना लाने।" पिंकी बताती हैं, "वे हमेशा कहते थे कि बेटे को पढ़ा लिखाकर, कुछ बड़ा बनायेंगे।"

सरकार का दावा घर-घर शौच और पानी लेकिन…

जहां हमारे देश की सरकार कहती है कि घर-घर शौचालय की सुविधा पहुंच चुकी है। वहां देश की राजधानी दिल्ली में रोहित के घर में ना शौचालय की सुविधा पहुंच सकी और ना पानी की।

रोहित की पत्नी पिंकी बताती है कि उनके घर में शौचालय नहीं है। शौच के लिए उन्हें घर से थोड़ी दूर एक सामूहिक शौचालय का प्रयोग करना पड़ता है। इसका कारण उन्होंने बताया कि शौचालय वाले कमरे चार हजार व पांच हजार में मिलते है. यह कमरा 3000 का था, इसलिए उन्होंने बिना शौचालय का ये कमरा किराए पर लिया.

उन्हें पीने का पानी भी दूसरों के घरों से लाना पड़ता है। घर में किसी तरह का नल या चापाकल (हैंडपंप) नहीं होने के वजह से हर दिन उन्हें पानी के लिए बाहर जाना पड़ता है। यह काम पहले रोहित किया करते थे, लेकिन उनके जाने के बाद अब यह काम पिंकी को ही करना पड़ता है।

हम कमजोर लोग है किससे लड़े… सरकार से?

पिंकी बताती है कि, 9 सितंबर को रोहित एक बजे के आस-पास घर आए थे, और थोड़े परेशान दिख रहे थे। पूछने पर बताए की वो दो बार सीवर में उतरकर सफाई कर चुके हैं, एक बार फिर से उन्हें सीवर में जाने के लिए सब बोल रहे हैं।

पिंकी आगे बताती है, "उनके पति की मौत प्रधान और फ्लैट वालों की लापरवाही की वजह से हुई है। अगर उन्हें अंदर (मैनहोल) भेज रहे थे, तो उन्हें सपोर्ट (सुरक्षा कवच) तो देना चाहिए था। बिना किसी सपोर्ट, बिना किसी रस्सी, बिना किसी मास्क के अंदर भेज दिया। अंदर गैस बनी हुई थी, उधर से तेज पानी का बहाव आया, उसी के साथ बहकर दूर चले गए।"

वह बताती हैं, "उन लोगों ने उसको नहीं बुलाया जो किट पहनकर पांच मिनट में निकाल देते हैं, फ्लैट वाले ड्रिल से तोड़ते रहे। 4 बजे जेसीबी आई फिर उनको 6 बजे निकाला। कोई अंदर जाने के लिए तैयार नहीं था।"

पिंकी का गला भर आता है और वे भारी आवाज में आगे बताती है कि, "पुलिस ने परिवार से किसी को साथ चलने के लिए नहीं बोला। सब उन्हें अस्पताल लेकर चले गए। जब सब कुछ खत्म हो गया, तब अस्पताल से बाहर आए। पोस्टमार्टम के लिए ले जा रहे थे तब थोड़ा सा चेहरा दिखाया गया।"

रोहित की सास [फोटो-सौरव सिंह, द मूकनायक]
रोहित की सास [फोटो-सौरव सिंह, द मूकनायक]

एफआईआर के सवाल पर पिंकी की मां बेबसी भरी हल्की आवाज में एक ही सांस में बोलती हैं कि, हमने एफआईआर में प्रधान (चंदन मिश्रा) का नाम दिया है, क्योंकि रोहित उसी के लिए काम करता था। बाकी देख तो वहां सारे ही रहे थे. लेकिन किसका किसका नाम दूं? किस किस से दुश्मनी लें? सरकार से लड़ें? हम तो ऐसे ही कमजोर लोग हैं। हममें ताकत ही नहीं है, किससे बोलूं? अब तो हमारा आदमी भी चला गया, क्या करू?"

परिवार की तरफ से लिखित शिकायत में रोहित की मौत के लिए चंदन कुमार मिश्रा और डीडीए के वहां मौजूद रहने वालों को जिम्मेदार बताया गया। इसके लिए इन सब पर सख्त कर्रवाई की मांग की गई है। पुलिस ने मामला दर्ज करते हुए, चंदन कुमार मिश्र पर आईपीसी की धारा 304 ए लगाई है। जबकि परिवार वालों की मांग है कि चंदन पर धारा 302 व एससी/एसटी एक्ट लगाया जाए।

मदद के नाम पर पत्नी को मिला डेली बेस पर झाड़ू लगाने का काम!

पिंकी बताती है कि, जिला कलक्टर की तरफ से उन्हें एक लाख की राशि दी गई है व डीडीए फ्लैट वालों की तरफ से एक लाख तीस हजार की सहायता राशि दी गई है। द मूकनायक ने नौकरी के बारे में पूछा तो पिंकी की मां बताती है कि, डेली बेस पर नौकरी मिल गई है। रोज पुलिस चौकी के पास डीडीए फ्लैट वालों के ऑफिस में झाड़ू लगाने का काम मिला है। अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि जब तक जिंदा रहेगी तब तक कोई इसे इस काम से नहीं हटाएगा।

मां का बड़ा दिल!

रोहित को बचाने जो अशोक नाम के व्यक्ति सीवर में उतरे थे उनके लिए रानी के दिल में सम्मान व दया का भाव है. रानी बताती हैं, "हमें ज्यादा तो नहीं पता, लेकिन वो रोहित से हल्का था (कम उम्र का था), उसका घर हरियाणा है। उसे उसके पिता की जगह पर ये नौकरी मिली थी और पिता रिटायर हो गए थे।"

रोहित की पत्नी बताती है कि, उनका तो पूरा परिवार ही खत्म हो गया. मां पहले से नहीं थी, पिता भी चला गया था। हम तो फिर भी पाल लेंगे इसको (अपने बच्चे की ओर इशारा करते हुए) दिन भर कमाएंगे, कहीं से मांगकर लायेंगे लेकिन बड़ा तो कर ही देंगे। लेकिन उन बच्चों का क्या होगा जिसके मां-बाप दोनों नहीं रहे। कैसे जीएंगे! "भगवान किसी को भी ऐसा दुख ना दे।"

क्या मौत के इस सिलसिले के खत्म ना होने की वजह सरकार है?

आजादी के 75 वर्ष बाद भी हमारे देश में हाथ से मैला ढोने या साफ करने (मैनुअल स्कैवेंजिंग) का अमानवीय काम प्रैक्टिस हो रहा है।

भारत सरकार ने 1993 में "मैनुअल स्कैवेंजर का रोजगार और सूखे शौचालय निर्माण (निषेध) अधिनियम" पास किया था। जिसके तहत लोगों के मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इसमें मैनुअल सेवेंजर्स का काम कराने को अपराध बताया गया और इसके लिए आर्थिक दंड और कारावास दोनों का प्रावधान किया गया। बावजूद इसके मैनुअल स्कैवेंजिंग का काम होता रहा।

2013 में भारत सरकार ने "मैनुअल स्कैवेंजर के रूप में रोजगार का निषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम" पास किया। जो मैनुअल स्कैवेंजर्स के तौर पर किए जा रहे किसी भी काम को निषेध करता है वहीं मैनुअल स्कैवेंजिंग का काम करने वाले व उनके परिवार के पुनर्वास की व्यवस्था करता है। इस अधिनियम के तहत मैनुअल स्कैवेंजर को प्रशिक्षण प्रदान करने, लोन देने व रहने के लिए घर देने की व्यवस्था की गई है।

इन नियम कानूनों के बावजूद भी देश में लगातार इस काम को कराया जा रहा। बिना किसी सुरक्षा कवच के लोगों से सीवर की सफाई कराई जाती, उन्हें मैनहोल में उतारा जाता जिससे हर साल कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है।

सफाई कर्मचारी आंदोलन के मुताबिक, देश में आज भी लगभग 7.7 लाख लोग सीवर की सफाई करते हैं। व सन् 2000 से अब तक देश में 1760 सीवर सफाईकर्मियों की मौत हो चुकी है। इस घटना पर आगे की करवाई की जानकारी के लिए द मूकनायक ने मुंडका पुलिस थाने को संपर्क करने की कोशिश की लेकिन संपर्क नहीं हो पाया।

द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.

Related Stories

No stories found.
The Mooknayak - आवाज़ आपकी
www.themooknayak.com