राजस्थान: गणतंत्र दिवस पर स्कूल में सरस्वती पूजन करने से शुरू हुए विवाद के पीछे की क्या है पूरी कहानी?

घटना पर भीम आर्मी ने कहा सरकारी संस्था में सरस्वती देवी की पूजा करने के लिए एक दलित महिला शिक्षक पर दबाव बनाया गया है। यह संविधान विरोधी है।
घटना स्थल पर मौजूद लोग
घटना स्थल पर मौजूद लोग

जयपुर। राजस्थान के बारां जिले के एक सरकारी स्कूल में गणतंत्र दिवस पर आयोजित समारोह के दौरान मंच पर सरस्वती का चित्र लगाकर पूजा करने की बात को लेकर उपजा विवाद पुलिस तक पहुंच गया है। 26 जनवरी की शाम राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय लकड़ाई की दलित महिला शिक्षक व ग्रामीणों की तरफ से एक दूसरे के खिलाफ आरोप प्रत्यारोप लगाते हुए परस्पर मामले दर्ज कराए गए हैं। महिला शिक्षक ने ग्रामीणों के साथ विद्यालय स्टाफ के दो शिक्षकों को भी आरोपी बनाया है। पुलिस ने दोनों पक्षों की ओर से प्राथमिकी दर्ज कर जांच शाहबाद पुलिस उपाधीक्षक हेमंत गौतम को जांच सौंपी है।

पुलिस के अनुसार, महिला शिक्षक ने नाहरगढ़ थाना पुलिस को तहरीर सौंप कर आरोप लगाया है कि वह गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को राजकीय लोक सेवक के पदीय कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए भारत के पवित्र संविधान लागू होने के 75वीं वर्षगांठ पर विद्यालय में आयोजित समारोह में कार्य कर रही थी। तभी गांव के एक ही परिवार के हंसराज नागर, राधेश्याम नागर, भरत नागर, किशन नागर व अन्य सदस्य एवं विद्यालय स्टाफ के हंसराज सैन, भूपेन्द्र सैन अध्यापक ने सरस्वती पूजा के लिए सार्वजनिक स्थान पर प्रताड़ित करना शुरू कर दिया।

महिला शिक्षक ने पुलिस को सौंपी तहरीर में आगे लिखा कि वह एक महिला लोक सेवक है। जोकि अनुसूचित जाति वर्ग से है। आरोप है कि हंसराज नागर, भरत नागर व राधेश्याम नागर ने जाति सूचक का प्रयोग करते हुए कहा कि "तुझे बाहर देखेंगे। तुझे नौकरी करना भुला देंगे। राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस समारोह मनाने में बाधा डाली।"

महिला शिक्षक ने पुलिस तहरीर में बताया कि, इस घटनाक्रम के बाद से ही वह मानसिक रूप से डरी हुई महसूस कर रही है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 28 में सरस्वती पूजा का कहीं उल्लेख नहीं है। भारतीय पूजा स्थल अधिनियम 1954 में सार्वजनिक स्थानों पर पूजा प्रतिबंधित है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 (क) वैज्ञानिक दृष्टीकोण में काल्पनिक वस्तुएं प्रतिबंधित है।

एफआईआर के अनुसार महिला शिक्षक ने पुलिस तहरीर में कहा कि मेरे मौलिक अधिकार स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति का सार्वजनिक हनन हुआ है। महिलाओं के सम्मान का हनन हुआ है। ऐसे में असामाजिक तत्वों, असंवैधानिक तत्वों, संविधान विरोधी तत्वों, भारत के संविधान के पिता डॉ. भीमराव अंबेडकर के विरोधी तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।

पुलिस के अनुसार पीड़ित महिला शिक्षक ने एफआईआर के में कहा कि, इस घटनाक्रम के बाद से ही वह स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रही है। एक लोक सेवक को अपने कर्तव्य निर्वहन में बाधा डालने व जान से मारने की धमकी देने वाले असामाजिक तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की कृपा करें।

पुलिस के अनुसार दूसरे पक्ष की ओर से हंसराज नागर, फूलसिंह गुर्जर, राधेश्याम नागर व चंद्र गुर्जर निवासी लकड़ाई की और से भी पुलिस को तहरीर देकर महिला शिक्षक हेमलता बैरवा सहित उसके परिवार के अन्य सदस्यों को नामजद करते हुए आरोप लगाया कि महिला शिक्षक हेमलता बैरवा ने कार्यक्रम में मां सरस्वती की तस्वीर हटाकर उन पर अपमानजनक टिप्पणी की है। जिससे हमारी भावनाएं आहत हुई है। साथ ही महिला शिक्षक के परिवारजनों पर धर्मविशेष के लोगों को धमकाने का आरोप भी लगाया गया है।

यह है मामला

पुलिस के अनुसार गणतंत्र दिवस पर 26 जनवरी को नाहरगढ़ थानांतर्गत लकड़ाई गांव के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय परिसर में समारोह आयोजित किया गया था। इस दौरान मंच पर डॉ. भीमराव अंबेडकर, महात्मा गांधी की तस्वीर के साथ सरस्वती की तस्वीर लगाने तथा सरस्वती की पूजा करने की बात को लेकर पहले स्टाफ में फिर ग्रामीणों व एक महिला शिक्षक के बीच विवाद हुआ था। विवाद के दौरान ग्रामीणों व महिला शिक्षक के बीच बहस का एक वीडियो भी सामने आया है।

घटना के बाद दर्ज मुकदमों की जांच कर रहे शाहबाद पुलिस उपाधीक्षक हेमंत गौतम ने द मूकनायक को बताया कि महिला शिक्षक व ग्रामीणों की ओर एक दूसरे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। दोनों मुकदमों की जांच की जा रही है। जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि गलती किसकी है। इसी घटना को लेकर शिक्षक भूपेन्द्र सैन व हंसराज सैन की ओर से भी एक परिवाद महिला शिक्षक के खिलाफ दिया गया है, जिसे जांच में शामिल किया गया है।

इस घटना के बाद भीम आर्मी बारां जिलाध्यक्ष पीयूष वर्मा ने कहा कि "सरकारी संस्था में सरस्वती देवी की पूजा करने के लिए एक दलित महिला शिक्षक पर दबाव बनाया गया है। यह संविधान विरोधी है। गणतंत्र दिवस संविधान लागू होने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, नाकि किसी धर्म के लिए.... सरकारी स्कूल में गणतंत्र दिवस समारोह आयोजित किया गया था। महिला शिक्षक पर एफआईआर का भीम आर्मी विरोध करती है। संविधान की रक्षा करने वाली महिला शिक्षक को न्याय नहीं मिला तो भीम आर्मी आंदोलन करेगी।"

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