पद्मश्री से नवाज़े गए इस राजस्थानी भांड कलाकार को जानिये किस बात का है रंज

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 132 हस्तियों को पद्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा की थी जिसमें राजस्थान के जानकी लाल का भी नाम शामिल था।
बहरूपिया कलाकार जानकी लाल भांड को मिला पद्मश्री।
बहरूपिया कलाकार जानकी लाल भांड को मिला पद्मश्री।

भीलवाड़ा। राजस्थान में भीलवाड़ा शहर के बहरूपिया कलाकार जानकी लाल भांड को भारत सरकार ने पद्म श्री सम्मान से नवाजा है। पद्म पुरस्कारों की सूची में नाम आते ही देशभर में इस कलाकार की चर्चाएं शुरू हो गई है। बता दें कि गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 132 हस्तियों को पद्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा की थी जिसमें राजस्थान के जानकी लाल का भी नाम शामिल था।

दरअसल, भांड जाति राजस्थान में अनुसूचित जाति के अंतर्गत आती है। इस जाति का पारंपरिक पेशा लोक-मनोरंजन का होता है जो स्वांग बनाकर, नाच गाकर, हास्यपूर्ण तरीके से नकलें या परिहास करके लोगों को हंसाने का काम करती है। भांड किसी भी कुल का, खानदान का इतिहास जानते हैं, बताते हैं, और गाते हैं। पुराने समय में इस जाति और उनकी कला का विशेष सम्मान था। देश में राजशाही के उन्मूलन के बाद से ही इनकी कला धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही है।

पद्म श्री मिलने पर अंतरराष्ट्रीय बहरूपिया कलाकार जानकी लाल ने दुख जताते हुए कहा कि इस कला को सरकारी संरक्षण नहीं मिलने से अगली पीढ़ी इससे विमुख हो रही है। उन्होंने कहा कि अब भांड कला को जीवंत रखते हुए परिवार का पालन करना मुश्किल हो गया है। जानकी लाल 83 वर्ष के हैं। उन्होंने अपनी कला का दुनिया के कई देशों में प्रदर्शन किया है।

लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड से भी किए जा चुके हैं सम्मानित

जानकी लाल भांड को संगीत कला केंद्र भीलवाड़ा, राजस्थान दिवस और विश्व रंगमंच दिवस पर लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड मिल चुका है। उन्होंने अपने स्वांग से प्रदेश में काफ़ी लोकप्रियता हासिल की है। इस बार राजस्थान से चार लोगों को पद्म श्री अवार्ड मिला है जिनमें जानकी लाल, अली-गनी मोहम्मद, लक्ष्मण भट्ट तैलंग और माया टंडन का नाम शामिल है।

जानकी लाल पिछले 65 साल से विभिन्न प्रकार की वेशभूषा पहन लोगों का मनोरंजन कर रहे हैं। वह गाडोलिया लुहार, कालबेलिया, काबुली पठान, ईरानी, फकीर, राजा, नारद, भगवान भोलेनाथ, माता पार्वती, साधु, दूल्हा, दुल्हन सहित अलग-अलग तरह के स्वांग रचकर लोगों का मनोरंजन करते हैं। वह मेवाड़ी, राजस्थानी, पंजाबी व पठानी भाषा बाखूबी बोल लेते हैं। दो दशक पहले जिले में कई परिवार इस कला से जुड़े थे, लेकिन अब वह ही इस कला को संभाले हुए हैं। वे ‘मंकी मैन’ के नाम से भी प्रसिद्ध हैं।

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