राजस्थान: दलितों की भूमि पर मनबढ़ों का कब्जा, न्याय की लड़ाई में टूट रहा हौंसला!

दलित उत्पीड़न के 30 प्रतिशत मामले भूमि विवाद से जुड़े, पुलिस नहीं करती पुख्ता कार्रवाई।
दलितों की भूमि पर मनबढ़ों का कब्जा
दलितों की भूमि पर मनबढ़ों का कब्जाGraphic- The Mooknayak

जयपुर। दलित उत्पीड़न के मामलों में राजस्थान देशभर में चर्चा में रहा है। सामाजिक बराबरी के मसले पर दलितों को प्रदेश में दोयम दर्जे पर रखा जाता है। एक ही बर्तन से पानी पीने का मसला हो या फिर दलित दुल्हों की घुड़चढ़ी या बार्बर की दुकान पर दलितों के बाल कटवाने का मामला। इनमें भी राजस्थान में दलितों से भेदभाव की खबरें रिपोर्ट होती रही हैं।

दलित अधिकार केन्द्र सामाजिक संस्था के अनुसार प्रदेश में दर्ज दलित उत्पीड़न के मामलों में 30 प्रतिशत प्रकरणों में भूमि विवाद को लेकर अत्याचार किया जाता है। कृषि खातेदारी भूमि व भूखण्डों पर अवैध कब्जे को लेकर भी दलितों की तरफ से पुलिस में मामले दर्ज कराए जाते हैं, लेकिन ज्यादातर में समय पर न्याय नहीं मिल पाता है। न्याय में देरी अफसरों में सामंती सोच का नतीजा है।

ताजा मामला राजस्थान की राजधानी जयपुर से आया है। जहां एक दलित की भूमि पर मनबढ़ों ने अवैध कब्जा कर लिया। यहां मनबढ़ों की मनमानी के आगे न्यायालय तहसीलदार के बेदखली के आदेश भी बेमानी साबित हो रहे हैं। शासन-प्रशासन में सुनवाई नहीं हुई तो अब पीड़ित दलित ने मीडिया का सहारा लिया है।

बस्सी के आगरा रोड स्थित कानोता-खोनागोरियान में दलित परिवार की खातेदारी भूमि पर मनबढ़ों के अवैध कब्जे मामले में स्थानीय राजस्व अधिकारी, राजस्व सचिव व कलेक्टर के आदेशों पर भी अमल नहीं कर रहे हैं। इस मामले को लेकर लूणियावास निवासी गोपीराम पुत्र गंगाराम रैगर ने मीडिया को बताया कि खसरा नंबर 1373,1374,1375,1376 कुल किता चार, कुल रकबा 1.0900 हैक्टेयर भूमि उसकी खातेदारी भूमि है। यह भूमि उसके आवास से एक किलोमीटर दूरी पर है। रैगर ने आरोप लगाया कि उक्त कृषि खातेदारी भूमि पर जय सिंह, नारायण सिंह, राजेंद्र सिंह व बने सिंह राजपूत निवासी भावगढ़ बंध्या ने अवैध कब्जा कर रखा है। आरोपियों ने उसकी भूमि पर अवैध निर्माण कार्य भी प्रारंभ कर दिया था। इस पर उसने अपनी खातेदारी भूमि पर हो रहे अवैध निर्माण को रुकवाने के लिए न्यायालय की शरण ली थी। न्यायालय ने निर्माण कार्य स्थगन आदेश जारी किया था। आरोप है कि इससे नाराज आरोपी पीड़ित परिवार के साथ कई बार मारपीट कर जान से मारने की धमकियां दे चुके हैं।

आरोप है कि मनबढ़ों ने जालसाजी कर उसकी कृषि खातेदारी भूमि पर

किसी समिति से फर्जी पट्टे भी बनवा लिए है। इस संबंध में खोनागोरियान पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कर मामला दर्ज करवा दिया गया था। जांच के बाद पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ एससी-एसटी कोर्ट में चालान भी पेश किया था। पीड़ित ने बताया कि इससे पूर्व भी उसने अपनी कृषि खातेदारी भूमि पर अवैध कब्जा को बेदखल करने के लिए सांगानेर तहसीलदार की कोर्ट में धारा 183 बी कास्तकारी अधिनियम के तहत वाद दायर किया था। सुनवाई के बाद सांगानेर न्यायालय तहसीलदार ने अतिक्रर्मियों को बेदखल करने के आदेश पारित किए थे। इसके बावजूद राजस्व अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की। पीड़ित ने मीडिया के सामने आरोप लगाया कि राजस्वकर्मी आरोपियों से मिले हुए हैं। इस मसले पर गोपीराम ने द मूकनायक को बताया कि वह अपनी भूमि पर काबिज लेने के लिए वर्षों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहा है।

इस संबंध में दलित अधिकारी केन्द्र राजस्थान के निदेशक एडवोकेट सतीश कुमार ने द मूकनायक को बताया कि राजस्थान में दलित उत्पीड़न के मामलों में 30 प्रतिशत भूमि से जुड़े होते हैं। दलितों की भूमि पर अवैध कब्जे किए जाते हैं। कहीं न कहीं सरकारी सिस्टम दलितों को न्याय दिलाने में आनाकानी करता है। वर्षों के संघर्ष के बाद भी दलित को उनकी भूमि पर कब्जा नहीं मिल पाता है। न्याय की लंबी लड़ाई में आर्थिक तंगी से टूट कर दलित समझौते को मजबूर कर दिए जाते हैं। जबकि कानून में दलितों की भूमि को ना तो बेचा जा सकता है। ना ही किसी अन्य तरीके से हस्तानांतरित किया जा सकता है। कानून की मंशा है कि दिलतों की भूमि पर दलितों का ही अधिकार कायम रहे।

केस-1

राजस्थान के नागौर जिले के लाडनूं थाना इलाके में जुलाई 2023 में धूडियाल गांव के दर्जनों दलित परिवार अपने खेतों में खरीफ फसल की बुवाई नहीं कर पाए। जिस किसी ने भी रात के अंधेरे में जाकर फसल की बुवाई का प्रयास किया तो मनबढ़ों ने उसकी पिटाई की। यहां दलितों के खेतों को जाने वाला रास्ता बंद कर दिया गया।

केस-2

अशोक मेघवाल पाली के रोहट थाना इलाके के सिराणा गांव में रहता है। गांव में उनका पुश्तैनी पट्टा शुदा भूखण्ड है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मां ने इसी भूखण्ड पर मकान बनाया हुआ है। पड़ोसी लीला पत्नी मंगलाराम मेघवाल और देवी पत्नी भीमाराम के आवासीय पट्टों में भी प्रार्थी के पिता मांगीलाल पुत्र हंसराज मेघवाल के भूखण्ड का जिक्र किया गया है। गांव के यशपाल राजपूत ने फर्जी पट्टा तैयार कर अशोक के पट्टा शुदा आवास को स्वयं का बता परेशान करने लगा। 6 मार्च 2021 को हुकमसिंह पुत्र गजेसिंह राजपूत ने गांव में एक पंचायत बुलाकर अशोक मेघवाल के परिवार को गांव से बहिष्कृत कर गांव छोड़ने का फरमान सुना दिया। गांव में रहने पर परिवार को जान से मारने की धमकी दी। आरोपियों ने जेसीबी मशीन से घर में बनी पानी के दो हौद तोड़ दिए। बबूल के पेड़ भी गिरा दिया। लगातार मनबढ़ों की बढ़ती प्रताड़ना से दलित परिवार असुरक्षा महसूस करने लगा था। लिखित रिपोर्ट रोहट पुलिस थाने में दी थी। इस पर उक्त आरोपियों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया गया, लेकिन पुख्ता कार्रवाई नहीं हुई।

केस- 3

15 मई 2023 को राजस्थान की राजधानी जयपुर से लगभग 75 किलोमीटर दूर भाबरु पुलिस थाना इलाके की ग्राम पंचायत बजरंगपुरा के रामपुरा खुर्द गांव में भूमि विवाद को लेकर मनबढ़ों ने ट्रैक्टर से कुचल कर दलित की हत्या कर दी थी। आरोपी कबुल सिन्धु पुत्र उमदाराम सिंधु गुर्जर ने प्रहलाद रैगर पुत्र नानकराम रैगर को पहले आवाज देकर घर के अंदर से बुलाया। इसके बाद उसी के घर के सामने पत्थरों से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉली से कुचल कर मार दिया। एक बार में जान नहीं निकली तो आरोपी पुनः ट्रैक्टर-ट्रॉली को वापस लाया और सिर कुचल दिया। इससे प्रहलाद रैगर की मौके पर ही मौत हो गई। मृतक प्रहलाद रैगर के भाई ओमप्रकाश मौर्य की तहरीर पर भाबरु थाना पुलिस ने देर रात कबूल सिंधु गुर्जर पुत्र उमदाराम सिंधु गुर्जर के खिलाफ हत्या सहित अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज की। घटना में भू विवाद सामने आया था।

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