जयपुर – भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने वरिष्ठ नेता और रामगढ़ के पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा को प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया है और उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया है। यह कदम आहूजा द्वारा अलवर के राम मंदिर में विपक्ष के नेता टीकाराम जूली के दर्शन के बाद गंगाजल से "शुद्धिकरण" करने के विवादास्पद बयान और कार्यवाही के बाद उठाया गया है।
रामनवमी के दिन अलवर की एक सोसायटी स्थित श्रीराम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन हुआ था। इस कार्यक्रम में राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली भी शामिल हुए और मंदिर में पूजा-अर्चना की। लेकिन, इसपर ज्ञानदेव आहूजा ने आपत्ति जताते हुए कहा कि ऐसे लोगों को बुलाया गया जिन्होंने भगवान श्रीराम के अस्तित्व को ही नकारा है।
सोमवार को आहूजा ने अपने संकल्प को पूरा करते हुए मंदिर में गंगाजल छिड़का, जिसके बाद यह मामला और गरमा गया। भाजपा प्रदेश महामंत्री दामोदर अग्रवाल द्वारा जारी नोटिस में कहा गया कि आहूजा का यह कृत्य पार्टी की मूल विचारधारा और सिद्धांतों के खिलाफ है। नोटिस में उनकी सदस्यता शपथ का हवाला देते हुए कहा गया कि उन्होंने अस्पृश्यता और भेदभाव से दूर रहने की प्रतिज्ञा ली थी, जिसका उल्लंघन हुआ। आहूजा को तीन दिनों में लिखित स्पष्टीकरण देने को कहा गया है, वरना आगे की कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
भाजपा नेता ज्ञान देव आहूजा की ओर से नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली पर की गई टिप्पणी के बाद भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने भी साफ कर दिया है कि आहूजा के बयान से उनका कोई लेना देना नहीं है। भाजपा ऐसे बयान को समर्थन नहीं देती है। उन्होंने कहा कि जुली साहब तो नेता हैं और नेता की कोई जाति नहीं होती है। उन्होंने कहा कि मैंने फोन पर ज्ञानदेव आहूजा से बात की उन्होंने किस प्रसंग में ये बयान क्यों दिया समझ नहीं आया।
इस बीच, कांग्रेस ने इस मुद्दे को हाथोंहाथ लिया। मंगलवार को कांग्रेस नेताओं और विधायकों ने आहूजा की कड़ी निंदा की। सोमवार देर रात जूली के समर्थकों ने जयपुर में आहूजा के घर पर कालिख पोतकर विरोध जताया। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि आहूजा ने जूली के मंदिर दर्शन के बाद गंगाजल छिड़ककर न केवल दलित नेता का अपमान किया, बल्कि पूरे दलित समाज और भारतीय संविधान का मजाक उड़ाया, जो समता का अधिकार सुनिश्चित करता है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ से सवाल किया था कि वे इस व्यवहार पर क्या कदम उठाएंगे। गहलोत ने इसे "दलितों के प्रति भाजपा की संकीर्ण मानसिकता" का सबूत बताया।
विधायक मुकेश भाकर, राजस्थान बाल आयोग की पूर्व अध्यक्ष संगीता बेनीवाल सहित कई कांग्रेसी नेताओं ने आहूजा की कड़ी निन्दा करते हुए इसे दलित विरोधी मानसिकता का द्योतक बताया ।
मुद्दे पर बढ़ते जनविरोध को देखते हुए भाजपा ने आहूजा की प्राथमिक सदस्यता निलंबित कर दी, भाजपा ने नोटिस में अपनी समावेशी छवि को रेखांकित करते हुए कहा कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिलान्यास में पहली शिला दलित कार्यकर्ता कामेश्वर चौपाल ने रखी थी, जो पार्टी की सामाजिक समरसता की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। पार्टी ने आहूजा के बयान और कृत्य से दूरी बनाते हुए इसे अनुशासनहीनता करार दिया।
आहूजा का यह कृत्य भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है। जहां एक ओर पार्टी ने त्वरित कार्रवाई कर निलंबन किया, वहीं कांग्रेस इसे दलित विरोधी मानसिकता के तौर पर पेश कर रही है। मंगलवार को विधायक रामनिवास गवरिया ने कहा, "यह सिर्फ टीकाराम जूली का नहीं, पूरे दलित समाज का अपमान है।" कांग्रेस नेताओं का दावा है कि यह घटना राज्य में दलित वोट बैंक को प्रभावित कर सकती है। आने वाले दिनों में यह विवाद और तूल पकड़ सकता है, क्योंकि दोनों पक्ष अपनी-अपनी स्थिति मजबूत करने में जुट गए हैं।
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