बरोदिया नोनागिर दलित हत्याकांड: पूर्व गृहमंत्री पर गंभीर आरोप, सुप्रीम कोर्ट जस्टिस जे.के. माहेश्वरी ने केस से किया खुद को अलग!

जस्टिस जे.के. माहेश्वरी के खुद को हटाने के बाद यह केस अब किसी नई बेंच को सौंपा जाएगा। याचिकाकर्ता पक्ष की मांग है कि पूरे मामले की सीबीआई या एसआईटी से स्वतंत्र जांच हो।
  मृतक अंजना अहिरवार.
मृतक अंजना अहिरवार. फाइल फोटो
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भोपाल। मध्य प्रदेश के सागर जिले के खुरई विधानसभा क्षेत्र से जुड़े बहुचर्चित बरोदिया नोनागिर दलित हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस जे.के. माहेश्वरी ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया है। बीते शुक्रवार को जैसे ही सुनवाई शुरू हुई, जस्टिस माहेश्वरी ने स्पष्ट कहा, "मैं इस केस को नहीं सुनना चाहता। यह किसी अन्य बेंच को सौंपा जाए।"

यह फैसला उस वक्त आया है जब जस्टिस माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई की बेंच इस संवेदनशील मामले की सुनवाई जनवरी 2024 से लगातार कर रही थी। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील मीनेश दुबे ने कहा, "यह निर्णय चौंकाने वाला है। वे इस केस की शुरुआत से सुनवाई कर रहे थे। अगर उन्होंने खुद को अलग किया है तो इसके पीछे कोई न कोई गंभीर कारण होगा!"

जानिए क्या है बरोदिया-नोनागिर दलित हत्याकांड?

यह मामला जनवरी 2019 में सागर जिले के खुरई देहात थाना क्षेत्र के बड़ोदिया-नोनागिर गांव से शुरू होता है, जब गांव के दलित परिवार की बेटी अंजना अहिरवार के साथ कथित तौर पर कुछ दबंगों ने मारपीट और छेड़छाड़ की। परिवार का आरोप है कि पुलिस ने एफआईआर में छेड़छाड़ की धारा नहीं जोड़ी, जिससे न्याय की प्रक्रिया कमजोर हुई। इसके बाद से एक-एक कर इस दलित परिवार के दो सदस्यों की हत्याएं और एक संदिग्ध मौत हुई।

- 23 जनवरी 2019 रघुवीर अहिरवार के बेटे विष्णु के साथ बाजार में मारपीट की गई।

- 26 जनवरी 2019: अंजना के साथ मारपीट और छेड़छाड़ की घटना। मामला एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज।

- 31 मार्च 2021: नितिन उर्फ लालू को पुलिस ने झूठे केस में गिरफ्तार किया, परिवार का दावा।

- 24 अगस्त 2023: नितिन की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या। मां और बड़ी बहू पर हमला, घर में तोड़फोड़।

- 25 मई 2024: मुख्य गवाह राजेंद्र अहिरवार की कुल्हाड़ी और लाठियों से हत्या।

- 26 मई 2024: राजेंद्र का शव लेकर लौट रही अंजना की चलती एंबुलेंस से गिरने से संदिग्ध मौत।

याचिका में क्या आरोप हैं?

अंजना की मां और भाभी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है जिसमें उन्होंने सीधे तौर पर खुरई से भाजपा विधायक और पूर्व गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह पर हत्या के षड्यंत्र में शामिल होने का आरोप लगाया है।

याचिका में कहा गया है कि नितिन की हत्या के बाद अंजना को पूर्व मंत्री के घर बुलाया गया। उसे गवाही न देने के लिए धमकाया गया। 2 करोड़ रुपये में समझौते का प्रस्ताव दिया गया जिसे अंजना ने ठुकरा दिया। अंजना ने 26 फरवरी 2024 को पुलिस अफसरों को लिखित शिकायत दी थी। पूर्व मंत्री ने परिवार को मीडिया के लिए निर्दिष्ट बयान देने के लिए दबाव डाला।

पीयूसीएल की रिपोर्ट भी याचिका के साथ संलग्न

पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) की जुलाई 2024 में जारी रिपोर्ट में कहा गया कि यह पूरी घटना एक सुनियोजित जातीय हिंसा है, जिसमें दलित परिवार को बार-बार निशाना बनाया गया और प्रत्यक्षदर्शियों की हत्या कर न्याय प्रक्रिया को प्रभावित किया गया।

जस्टिस जे.के. माहेश्वरी के खुद को हटाने के बाद यह केस अब किसी नई बेंच को सौंपा जाएगा। याचिकाकर्ता पक्ष की मांग है कि पूरे मामले की सीबीआई या एसआईटी से स्वतंत्र जांच हो। हाई प्रोफाइल राजनीतिक हस्तियों के प्रभाव को रोका जाए और गवाहों और पीड़ित परिवार को सुरक्षा दी जाए।

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