MP: राजगढ़ में दलित किसान की जमीन पर मनबढ़ों का कब्जा, पीड़ित तीन साल से लगा रहे प्रशासन से गुहार!

पीड़ितों का आरोप- मनबढ़ों ने झूठे दस्तावेजों के आधार पर उनके और उनके परिवार के जाति प्रमाण पत्र निरस्त करवा दिए, जिसके कारण वे प्रधानमंत्री आवास योजना, लाडली बहना योजना और खाद्यान्न योजना जैसे कई सरकारी लाभों से वंचित हो गए हैं।
घटना के विरोध में समाजजन हुए एकत्रित
घटना के विरोध में समाजजन हुए एकत्रित
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भोपाल। मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के ग्राम पपडेल में एक अनुसूचित जाति के किसान की जमीन पर जबरन कब्जा, अवैध खनन, जातीय अपमान और जान से मारने की धमकी का गंभीर मामला सामने आया है। पीड़ित किसान कल्याण पिता चंदन वंशकार कि उनकी स्वामित्व वाली भूमि पर गांव के कुछ प्रभावशाली लोगों ने ना केवल कब्जा कर लिया, बल्कि विरोध करने पर उनके साथ मारपीट की और जातिसूचक गालियां देकर अपमानित किया। इस मामले को लेकर बांस शिल्पकार युवा शक्ति संगठन के प्रदेश अध्यक्ष मुकेश बंसल ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और पुलिस महानिदेशक (DGP) के नाम एक विस्तृत ज्ञापन सौंपते हुए दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।

क्या है मामला?

जानकारी के अनुसार, पीड़ित कल्याण की भूमि सर्वे नंबर 1/3/3, रकबा 2.000 हेक्टेयर उनके नाम पर दर्ज है, जो वर्षों से उनके परिवार की जीविका का साधन रही है। 7 जून 2025 को गांव के ही कुछ लोगों, राधेश्याम लोधा (उपसरपंच), पवन लोधा, बसंतीबाई, गोपाल, भंवरलाल और मोहन उर्फ पप्पू , ने संगठित होकर जेसीबी मशीन मंगवाकर इस भूमि पर अवैध खुदाई शुरू की। आरोप है कि इन लोगों ने खेत में लगे पेड़-पौधों को उखाड़कर मौरम रेत/मिट्टी का अवैध खनन किया और उसे ट्रैक्टरों से ले गए। जब कल्याण और उनके परिजनों ने इसका विरोध किया, तो उन्हें बुरी तरह पीटा गया और जातिसूचक अपशब्द कहे गए।

पीड़ित ने इसकी लिखित शिकायत थाना भोजपुर में दर्ज कराई, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। कल्याण का कहना है कि आरोपी उपसरपंच राधेश्याम लोधा अपने पद और राजनीतिक प्रभाव का दुरुपयोग कर प्रशासन पर दबाव बना रहे हैं, जिससे उन्हें न्याय नहीं मिल रहा।

पीड़ितों के जाति प्रमाणपत्र निरस्त!

घटना के बाद पीड़ित के सामने एक और बड़ा संकट खड़ा हो गया। उन्होंने आरोप लगाया कि मनबढ़ों ने झूठे दस्तावेजों के आधार पर उनके और उनके परिवार के जाति प्रमाण पत्र निरस्त करवा दिए, जिसके कारण वे प्रधानमंत्री आवास योजना, लाडली बहना योजना और खाद्यान्न योजना जैसे कई सरकारी लाभों से वंचित हो गए हैं। वे पिछले तीन वर्षों से तहसील कार्यालय, एसडीएम, कलेक्टर और जनसुनवाई में लगातार चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं हुआ है।

कल्याण ने यह भी बताया कि मनबढ़ अब बंदूक के दम पर उन्हें उनकी ही जमीन पर जाने से रोक रहे हैं। उनका परिवार मानसिक, शारीरिक और सामाजिक रूप से लगातार प्रताड़ित हो रहा है।

इस पूरे मामले को लेकर बांस शिल्पकार युवा शक्ति संगठन के प्रदेश अध्यक्ष मुकेश बंसल ने मुख्यमंत्री और पुलिस महानिदेशक को ज्ञापन सौंपकर मांगे रखी हैं, उन्होंने मांग की पीड़ित की स्वामित्व भूमि से तत्काल अतिक्रमण हटाया जाए, आरोपियों पर SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम, IPC की धारा 323, 506, 447, 379 समेत अन्य प्रावधानों के तहत आपराधिक मामला दर्ज कर कठोर कार्रवाई की जाए। निरस्त किए गए जाति प्रमाण पत्र की निष्पक्ष जांच कर उसे पुनः जारी किया जाए। साथ ही पीड़ित और उनके परिवार को सुरक्षा प्रदान की मांग की गई है।

द मूकनायक से बातचीत में मुकेश बंसल ने कहा, “यह सिर्फ जमीन कब्जाने का मामला नहीं है, बल्कि एक गरीब अनुसूचित जाति के किसान को उसकी पहचान, उसके हक और उसके आत्मसम्मान से वंचित करने की संगठित कोशिश है। कल्याण वंशकार जैसे लोग जिनकी रोज़ी-रोटी और अस्तित्व पूरी तरह उनकी ज़मीन से जुड़ा है, उन्हें उनकी ही भूमि से बेदखल करना एक गंभीर सामाजिक अन्याय है। और जब वह अपनी बात कहता है, तो उसे जातिसूचक गालियां देकर, पीटकर और धमकाकर चुप कराने की कोशिश की जाती है। ये सब कुछ पुलिस की नज़रों के सामने हो रहा है, और अब तक कार्रवाई का न होना एक तरह से सिस्टम की चुप्पी और पक्षपात को दर्शाता है।”

उन्होंने आगे कहा, “मैंने मुख्यमंत्री और डीजीपी को ज्ञापन सौंपकर साफ कहा है कि अगर इस मामले में शीघ्र हस्तक्षेप नहीं हुआ, तो ये अन्याय और भी गरीब दलित परिवारों के लिए मिसाल बन जाएगा कि तुम्हारे पास कुछ भी हो, अगर तुम दलित हो तो तुम्हारा कोई सुनने वाला नहीं। हमने यह भी मांग की है कि पीड़ित का जाति प्रमाण पत्र तत्काल बहाल किया जाए, ताकि उसे योजनाओं का लाभ मिल सके। सरकार को यह समझना होगा कि न्याय सिर्फ कागज़ों में नहीं, ज़मीनी हकीकत में दिखना चाहिए।”

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