केरल स्कूल में जातिगत भेदभाव: बहुजन संगठनों ने निकाली मशाल रैली, कहा- शर्म करो ..!

इडुक्की जिले के सेंट बेनेडिक्ट एल.पी. स्कूल, स्लीवमाला में छह वर्षीय दलित बच्चे प्रणव सिजॉय के साथ जातिगत भेदभाव किया गया, उससे क्लास टीचर ने अपने बीमार सहपाठी की उल्टी साफ़ करने को मजबूर किया गया.
प्रदर्शनकारियों ने आरोपी शिक्षिका को तुरंत निलंबित करने, स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने, और उच्च अधिकारियों से मामले में हस्तक्षेप की मांग की।
प्रदर्शनकारियों ने आरोपी शिक्षिका को तुरंत निलंबित करने, स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने, और उच्च अधिकारियों से मामले में हस्तक्षेप की मांग की।द मूकनायक
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इडुक्की - केरल के इडुक्की जिले में दलित छात्र के साथ जातिगत भेदभाव और दुर्व्यवहार मामले को लेकर रविवार को भीम आर्मी, बीएसपी और चेरामा सम्बवा डेवलपमेंट सोसाइटी (CSDS) सहित बहुजन संगठनों ने वट्टकनिपारा से कुथुंगल टाउन तक मशाल रैली निकाली।

प्रदर्शनकारियों ने सेंट बेनेडिक्ट एल.पी. स्कूल, स्लीवमाला में छह वर्षीय दलित बच्चे प्रणव सिजॉय के साथ जातिगत भेदभाव और शोषण की कड़ी निंदा की। उन्होंने स्कूल प्रशासन और इस घटना में शामिल शिक्षिका मारिया के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।

प्रदर्शनकारियों ने इस घटना को शिक्षा व्यवस्था और समाज पर कलंक बताया। उन्होंने कहा कि प्रणव के साथ हुए इस अमानवीय व्यवहार और इसके बाद अधिकारियों की उदासीनता ने बच्चों के अधिकारों का घोर उल्लंघन किया है।

प्रणव की मां, प्रियंका सोमन ने द मूकनायक को बताया कि 13 नवंबर को शिक्षिका मारिया ने उनके बेटे को जबरन एक बीमार सहपाठी की उल्टी साफ करने को कहा। जब प्रणव ने मना किया, तो उस पर दबाव बनाया गया।

प्रियंका, जो एक सहकारी बैंक में डेटा एंट्री ऑपरेटर के रूप में काम करती हैं, ने कई जगह शिकायत दर्ज कराई, जिनमें चाइल्डलाइन, शिक्षा विभाग, जिला मजिस्ट्रेट और उप पुलिस अधीक्षक (DySP) शामिल हैं। लेकिन एक महीने बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

“इस घटना के बाद मेरा बेटा डरा हुआ था और स्कूल जाने से इनकार कर रहा था,” प्रियंका ने कहा। “मुझे उसे सेंट बेनेडिक्ट स्कूल से निकालकर एक सरकारी स्कूल में दाखिल कराना पड़ा ताकि वह सुरक्षित रह सके।”

प्रदर्शनकारियों ने आरोपी शिक्षिका को तुरंत निलंबित करने, स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने, और उच्च अधिकारियों से मामले में हस्तक्षेप की मांग की।
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पैसे के विवाद का झूठा आरोप

प्रियंका ने बताया कि स्कूल प्रशासन ने सच्चाई से ध्यान भटकाने के लिए उन पर झूठे आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा , “स्कूल प्रबंधन का कहना है कि मैं पैसे के लिए ये ड्रामा कर रही हूं, जो बिल्कुल गलत है।"

उन्होंने बताया कि अपने काम के तहत उन्होंने स्कूल की प्रिंसिपल और दो टीचर्स (जिनमें शिक्षिका मारिया भी शामिल हैं) के लिए अपनी बैंक में तीन महीने पहले आरडी (Recurring Deposit) खाते खुलवाए थे। इन खातों में हर महीने ₹1000 जमा होते थे, जो पांच साल बाद ₹75,000 बनते। प्रियंका ने शिक्षकों से गूगल पे के जरिए मिले पैसे बैंक में जमा किए और उन्हें रसीदें दीं। “अब स्कूल प्रशासन इसे तोड़-मरोड़ कर पुलिस को बता रहा है कि मैं उनसे और पैसे मांग रही हूं। यह पूरी तरह से निराधार आरोप है,” उन्होंने कहा।

प्रदर्शन में शामिल बहुजन संगठनों ने जातिगत भेदभाव और बच्चों के अधिकारों के उल्लंघन की कड़ी आलोचना की।
प्रदर्शन में शामिल बहुजन संगठनों ने जातिगत भेदभाव और बच्चों के अधिकारों के उल्लंघन की कड़ी आलोचना की। द मूकनायक

एफआईआर दर्ज हुए कई सप्ताह बीत जाने के बावजूद, प्रियंका ने शिकायत की कि पुलिस ने मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस जानबूझकर मामले में ढिलाई बरत रही है ताकि स्कूल प्रशासन को बचाया जा सके।

प्रियंका ने कहा, “बच्चों के बयानों से यह स्पष्ट हो चुका है कि उन्हें उल्टी साफ करने को कहा गया था, जो किशोर न्याय अधिनियम (Juvenile Justice Act) का उल्लंघन है, फिर भी अधिकारी जातिगत भेदभाव और बच्चों के अधिकारों के उल्लंघन को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं। यह उदासीनता गलत करने वालों को प्रोत्साहित कर रही है।"

प्रदर्शन में शामिल बहुजन संगठनों ने जातिगत भेदभाव और बच्चों के अधिकारों के उल्लंघन की कड़ी आलोचना की। “यह शर्म की बात है कि एक छह साल के बच्चे को इतना अपमानजनक काम करने को मजबूर किया गया, और फिर भी प्रशासन और अधिकारी दोषियों को बचाने में लगे हुए हैं,” भीम आर्मी के एक सदस्य ने कहा।

प्रदर्शनकारियों ने शिक्षिका मारिया को तुरंत निलंबित करने, स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने, और उच्च अधिकारियों से मामले में हस्तक्षेप की मांग की।

बढ़ते विरोध के बीच, प्रियंका ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई। वो कहती हैं, “मैं अपने बेटे के लिए न्याय चाहती हूं। यह सिर्फ जातिगत भेदभाव का मामला नहीं है, यह हर बच्चे के सम्मान और सुरक्षा का सवाल है” । इडुक्की की इस घटना ने शैक्षणिक संस्थानों में जातिगत भेदभाव और अधिकारियों की उदासीनता को उजागर कर दिया है। सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि अगर इस मामले में निर्णायक कार्रवाई नहीं हुई, तो यह हाशिए पर खड़े समुदायों के विश्वास को और कमजोर करेगा।

प्रदर्शनकारियों ने आरोपी शिक्षिका को तुरंत निलंबित करने, स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने, और उच्च अधिकारियों से मामले में हस्तक्षेप की मांग की।
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