यूपी: दलित युवक की जमीन पर थाने के कब्जा करने के मामले में कोर्ट सख्त, पुलिसकर्मियों की बढ़ सकती हैं मुश्किलें!

मामले में पीड़ित युवक ने फेसबुक पर लाइव आकर आत्महत्या कर ली थी.
बलरामपुर का थाना गैंड़ास बुजुर्ग
बलरामपुर का थाना गैंड़ास बुजुर्ग फ़ाइल फोटो- द मूकनायक
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उत्तर प्रदेश। यूपी के बलरामपुर जिले के गैड़ास बुजुर्ग थाने के पुलिसकर्मियों पर दलित युवक की जमीन जबरन करने का आरोप लगा था। पीड़ित ने मामले की शिकायत भी की थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई थी। जिसके बाद दलित युवक ने थाने के सामने खुद को आग लगा ली। शरीर बुरी तरह जलने के कारण उसकी मौत हो गई थी। इस मामले में युवक की पत्नी ने कोर्ट का सहारा लिया। कोर्ट ने मामले में एसआईटी गठित करने के आदेश दिए। जिसके बाद शासन ने कड़ा रुख अख्तियार किया है।

बीते दिनों एडीजी रेलवे जय नारायण सिंह की अध्यक्षता में बनी दो सदस्यीय एसआईटी इसकी जांच कर रही है। इसके साथ ही एक नई तीन सदस्यीय समिति भी पूरे मामले की जांच करेगी। हाईकोर्ट ने मामले में समिति से अगस्त में लिफाफा बंद रिपोर्ट मांगी है। माना जा रहा है जून व जुलाई में जांच पूरी होगी।

अपर मुख्य सचिव गृह की तरफ से अब पुलिस महानिरीक्षक सतर्कता अधिष्ठान मंजिल सैनी की अध्यक्षता में अपर पुलिस अधीक्षक गोंडा राधेश्याम राय व अपर जिलाधिकारी बहराइच गौरव रंजन श्रीवास्तव की जांच समिति बनाई गई है। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि निजी व्यवसायिक भूमि पर पुलिस के द्वारा कब्जा करने के आरोपों की निष्पक्ष जांच की जानी है।

प्रशासन व पुलिस की तरफ से पूर्व में हुई जांच से स्पष्ट हो चुका है कि पुलिस ने जमीन पर कब्जा किया था, इसी कारण से दलित राम बुझारत ने आत्मदाह किया है। इसके बाद भी प्रभावी कार्रवाई न होने से मृतक की पत्नी कुसुमा न्याय के लिए संघर्ष कर रही है। उसी की याचिका पर हाईकोर्ट ने जांच के आदेश दिए हैं।

गौरतलब है कि बीते 23 अक्टूबर 2023 को गैड़ास बुजुर्ग थाने के का निर्माण पूरा होने के बाद बाउंड्री के बाहर निजी व्यवसायिक भूमि पर पिलर गाड़कर कब्जा किया गया था। इसे लेकर हुई शिकायत की पुलिस ने सुनवाई नहीं की। इससे आहत होकर दलित राम बुझारत ने 24 अक्तूबर 2023 को फेसबुक पर लाइव होकर आत्मदाह कर लिया था।

इलाज के दौरान 30 अक्तूबर को राम बुझारत की मौत हो गई। उस समय प्रशासन व पुलिस की जांच में तत्कालीन थानाध्यक्ष की भूमिका संदिग्ध मिली थी। यही नहीं डीएम ने पूरे मामले की जांच में पाया कि जमीन का सिविल वाद विचाराधीन था और कोर्ट से कमीशन हो गया था। इसके बाद भी पुलिस ने जमीन पर कब्जा कर लिया।

राम बुझारत के आत्मदाह मामले में जिम्मेदार पुलिसकर्मियों को बचाने के लिए खूब पैतरे अपनाये गए थे। जांच में मामला स्पष्ट होने के बाद भी विवेचना का स्थानांतरण बहराइच कर दिया गया। पीड़िता कुसुमा को फंसाने के लिए चुनाव के एक दिन पहले डीएम को एक रिपोर्ट भेजी गई थी। जिस पर डीएम ने जांच कराकर एसपी को करारा जवाब देते हुए पत्र लिखा। अब एसआईटी जांच के आदेश में स्पष्ट किया गया है कि व्यवसायिक भूमि पर कब्जा करने के कारण युवक आत्मदाह करने को मजबूर हुआ। इससे रेंज व जोन के अधिकारियों की अध्यक्षता में जांच टीम न बनाकर उच्चाधिकारियों को शामिल किया गया।

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