खबर का असरः दलित VDO की मौत के मामले में आश्रित बहन को मिली अनुकम्पा नौकरी

अनुकंपा नियुक्ति नियम 1996 के तहत मृतक दलित ग्राम विकास अधिकारी ललित की आश्रित बहन को सरकारी नौकरी दी गई, द मूकनायक ने प्रमुखता से उठाया था मुद्दा।
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जयपुर। राजस्थान के बहुचर्चित दतिल ग्राम विकास अधिकारी सुसाइड मामले में राज्य सरकार ने संवेदनशीलता दिखाते हुए मृतक आश्रित को अनुकंपा नौकरी दी। जिला परिषद से 15 मार्च को नियुक्ति आदेश मिलने पर पूजा (मृतक की बहन) ने नीम का थाना जिले की अजीतगढ़ पंचायत समिति कार्यालय में कनिष्ठ सहायक के पद पर जॉइन कर लिया। उल्लेखनीय है द मूकनायक ने गत 11 मार्च 2024 को प्रमुखता से खबर प्रकाशित कर मुद्दा उठाया था।

पूजा (मृतक की बहन) को नौकरी जिला स्थापना समिति की बैठक में 14 मार्च  को निर्णय के बाद दी गई। दलित अधिकार निदेशक एडवोकेट सतीश कुमार ने द मूकनायक से कहा- "कंटीजेंसी प्लान के तहत दलित अत्याचार के मामले में मृतक सरकारी कर्मचारी होने पर सर्विस नियमों के तहत एक आश्रित को नौकरी देने का प्रावधान है।

हालांकि दलित ग्राम विकास अधिकारी की मौत के बाद पीड़ित आश्रित परिवार को अनुकंपा नौकरी के अलावा कोई लाभ नहीं मिला है। मृतक के चचेरे भाई संतोष कुमार ने कहा- "पीड़ित आश्रितों को अभी तक किसी प्रकार का आर्थिक या अन्य लाभ नहीं मिला है। हां...एक बहन को अनुकंपा नौकरी दी गई है। सुरक्षा भी नहीं मिली है। खाद्य सामग्री, पेंशन की व्यवस्था भी नहीं की गई है।"  

क्या था मामला

दलित ग्राम विकास अधिकारी ललित नीम का थाना जिले की ग्राम पंचायत चीपलाटा में कार्यरत था। यहां निदेशालय स्थानीय निधि अंकेक्षण विभाग के जांच दल ने पंचायत में वित्तीय वर्ष 2021-23 के विकास कार्यों की जांच की थी। 7 फरवरी 2024 को अंकेक्षण विभाग की टीम ने विकास कार्यों में सरपंच मनोज गुर्जर व तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी नरेन्द्र प्रताप सिंह के कार्यकाल में पांच लाख रुपए से अधिक सरकारी धन के गबन का मामला पकड़ा था। इस पर खण्ड विकास अधिकारी अजय सिंह नाथावत ने उसे (ललित) को सरकारी धन का गबन करने वालों सरपंच व ग्राम विकास अधिकारी के खिलाफ एफआईआर के निर्देश दिए थे।

संतोष कुमार ने द मूकनायक को बताया कि खंड विकास अधिकारी के निर्देश पर उसने (ललित) सरपंच मनोज गुर्जर व तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी नरेन्द्र प्रताप सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। इससे नाराज नामजद आरोपियों ने पूर्व सरपंच बीरबल गुर्जर, ग्राम पंचायत कर्मचारी जगदेव, मंगल, पंचायत का ठेकेदार पोखर व खण्ड विकास अधिकारी ने मिलकर ललित को धमका कर मानसिक रूप से प्रताडि़त किया।

फोन कर धमकियां दी। इससे ललित अवसाद में आ गया। प्रताड़ना से तंग आकर उसने सुसाइड कर लिया। मौत से पहले सुसाइड नोट में उक्त आरोपियों को नामजद करते हुए प्रताड़ित करने का आरोप लगाया। पुलिस ने संतोष कुमार की तहरीर पर प्राथमिकी दर्ज कर सरपंच व उसके पिता पूर्व सरपंच को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन अभी तक अन्य सरकारी कर्मचारियों की गिरफ्तारी नहीं हुई है।

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