मंदिर में बुलाया सबको, पर दलितों को नहीं! गुजरात HC ने बहिष्कार के आरोपों पर राज्य सरकार से मांगा जवाब

राबारी समुदाय के 20 लोगों ने दलितों के बहिष्कार के आरोपों को चुनौती देते हुए एफआईआर रद्द करने की याचिका दायर की.
सांकेतिक तस्वीर
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अहमदाबाद: गुजरात हाईकोर्ट ने बनासकांठा जिले के पालड़ी गांव पंचायत के सरपंच और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत दर्ज एक एफआईआर को रद्द कराने की मांग को लेकर 20 ग्रामीणों द्वारा दाखिल याचिका पर भेजा गया है। याचिकाकर्ता सभी राबारी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और उन पर दलित समुदाय का बहिष्कार करने का आरोप है।

मामला 28 से 30 अप्रैल के बीच पालड़ी गांव में आयोजित दूधेश्वर महादेव मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह से जुड़ा है। एफआईआर के अनुसार, समारोह में गांव और आसपास के सभी समुदायों को आमंत्रित किया गया था, लेकिन अनुसूचित जाति के सदस्यों को जानबूझकर आमंत्रित नहीं किया गया। शिकायतकर्ता गांव के 55 वर्षीय सरपंच हैं और अनुसूचित जाति से आते हैं।

एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि, "आयोजकों ने अनुसूचित जाति के लोगों को न केवल आमंत्रित नहीं किया, बल्कि हमारे योगदान को भी अस्वीकार कर दिया गया। यह एक सोची-समझी साजिश थी ताकि हमारी जाति को अपमानित किया जा सके और हमें सामाजिक रूप से बहिष्कृत किया जा सके। हमारे साथ अस्पृश्यता जैसा व्यवहार किया गया।”

शिकायत दर्ज करने में देरी को लेकर सरपंच ने कहा कि उन्होंने पहले इसलिए शिकायत नहीं की ताकि धार्मिक आयोजन बाधित न हो। लेकिन बाद में अपनी जाति के लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए उन्होंने 9 मई को भीलडी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई।

इस याचिका पर मंगलवार को प्रारंभिक सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति निरज़ार देसाई ने आदेश जारी किया कि, "प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया जाता है, जिसकी वापसी तिथि 5 अगस्त 2025 है। राज्य की ओर से अपर लोक अभियोजक ने नोटिस स्वीकार कर लिया है। प्रतिवादी नंबर 2 को संबंधित पुलिस स्टेशन के माध्यम से प्रत्यक्ष सेवा की अनुमति दी जाती है।”

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