छत्तीसगढ़: दलित-आदिवासी युवाओं ने नग्न होकर किया प्रदर्शन, क्या है कारण?

प्रदर्शनकारी विधानसभा का घेराव करने जा रहे थे, पुलिस ने हिरासत में लिया.
प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है।
प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है।

रायपुर। छत्तीसगढ़ में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए नौकरी हासिल करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. फर्जी प्रमाण पत्र पाकर सरकारी नौकरी हासिल करने वालों पर कार्रवाई की मांग को लेकर अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के कई युवाओं ने मंगलवार को नग्न होकर सड़क पर प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारी विधानसभा का घेराव करने जा रहे थे, जिन्हें पुलिस ने हिरासत में ले लिया है.

राज्य के अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के युवाओं ने विधानसभा सत्र शुरू होने से पहले सड़क पर उतरकर नग्न प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारी मंत्री रूद्र गुरु अनिला भेड़िया के काफिले के सामने भी आए. कुछ प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया. दरअसल, पूर्व में राज्य सरकार ने इस मामले के तूल पकड़ने के बाद उच्च स्तरीय छानबीन समिति गठित कर चुकी है. जिसकी रिपोर्ट के आधार पर सामान्य प्रशासन विभाग ने फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी कर रहे अधिकारियों-कर्मचारियों को बर्खास्त करने का आदेश दिया.

फर्जी प्रमाण पत्र पाकर सरकारी नौकरी हासिल करने वालों पर कार्रवाई न होने से आक्रोशित युवा कर रहे थे नग्न प्रदर्शन
फर्जी प्रमाण पत्र पाकर सरकारी नौकरी हासिल करने वालों पर कार्रवाई न होने से आक्रोशित युवा कर रहे थे नग्न प्रदर्शन

नग्न प्रदर्शन करने वाले युवा आदेशों पर अमल नहीं होने से नाराज हैं. अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के युवा लगातार मामले को उठा रहे हैं. उनकी मांग है कि जिन लोगों ने फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी की है, उन्हें तत्काल बर्खास्त किया जाए. प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि राज्य में फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर कई अधिकारी और कर्मचारी अब भी पद पर बने हुए हैं. तीन साल पहले उन्हें बर्खास्त करने का आदेश हुआ था. मगर, अब भी वे नौकरी कर रहे हैं. अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के युवा लंबे समय से आंदोलनरत हैं.

आंदोलनकारियों के प्रतिनिधि विनय कौशल ने मीडिया को बताया कि वह लंबे समय से अधिकारियों से आदेश जारी करने के मामले में लगातार चर्चा कर रहे हैं. उनका कहना है कि हमने पहले ही ऐसे प्रदर्शन की चेतावनी दी थी.

प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है।
छत्तीसगढ़ः फर्जी जाति प्रमाण पत्र से नौकरी पाने वालों के सिर 'सरकार का हाथ'!

दलित-आदिवासी युवा फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर सरकारी नौकरी करने वाले अधिकारियेां व कर्मचारियों की बर्खास्तगी को लेकर पहले आमरण अनशन कर चुके है। अब नग्न प्रदर्शन कर रहे है। प्रदर्शन कर रहे नौजवानों में विनय कौशल, हरेश बंजारे, मनीष गायकवाड, लव कुमार, आशीष टंडन और रोशन जांगड़े आदि शामिल हैं।

युवकों की मांग है कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति के नाम पर जो सैंकड़ों की तादाद में अधिकारी व कर्मचारी फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाकर शासकीय सेवा में बने हुए हैं। जबकि जाति प्रमाण पत्र उच्च स्तरीय छानबीन समिति के द्वारा उनके जाति प्रमाण पत्र को फर्जी करार दे दिया गया है। इतना ही नहीं, सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा इन कर्मियों को सेवा से बर्खास्त करने के लिए 25 नवंबर, 2020 को ही संबंधित विभागों को निर्देशित कर दिया गया था। युवाओं का आरोप है कि कार्यवाही के नाम पर पत्र-व्यवहार के रूप में केवल खानापूर्ति की जा रही है।

बताते चलें कि इस मामले को लेकर सरकार द्वारा गठित की गई उच्च स्तरीय छानबीन समिति की जांच में 267 मामलों में जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए, जिनकी सूची संबंधित विभाग को कार्रवाई के लिए भेजी गई। इनमें से सिर्फ एक कर्मचारी की ही सेवा समाप्त की गई।

यह भी उल्लेखनीय है कि जिन बड़े अधिकारियों की जाति प्रमाण पत्र को छानबीन समिति ने फर्जी माना, उनमें समाहर्ता आनंद मसीह, अनुराग लाल, उप समाहर्ता शंकर लाल डगला और उनके बेटे सुरेश कुमार डगला, संयुक्त आयुक्त भुवाल सिंह, एसडीएम सुनील मैत्री, उपायुक्त सी.एस. कोट्रीवार, आडिटर रामाश्रय सिंह, असिस्टेंट सर्जन डॉ. आर.के. सिंह, संयुक्त संचालक क्रिस्टीना सी. एस. लाल, सीईओ राधेश्याम मेहरा आदि शामिल हैं। इनमें से ज्यादातर लोगों के मामले न्यायालय में विचाराधीन हैं।

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