उपकारागृह में दलित बंदी मृत्यु प्रकरण: न्यायिक जांच शुरू, जेल प्रहरी ने कहा- कोई मारपीट नहीं हुई

सुरेश
सुरेशफाइल फोटो

चित्तौड़गढ़ के कपासन उपकारागृह में न्यायिक अभिरक्षा में रहे बंदी सुरेश कंजर (55) की गुरुवार को जिला अस्पताल में हुई मृत्यु के बाद, परिजनों के दबाव पर शाम को मेडिकल बोर्ड द्वारा पोस्टमार्टम किया गया। शुक्रवार सुबह परिजनों द्वारा मृतक का अंतिम संस्कार किया गया। इस मामले में राजस्थान कंजर महापंचायत की ओर से अपने स्तर पर जांच हेतु टीम बनाई गई है। हिरासत में यातना के कारण मृत्यु को लेकर परिजनों की शिकायत पर न्यायिक अधिकारी इंद्र सिंह मीणा द्वारा मामले की जांच प्रारंभ की गई है। इस मामले में कपासन उप कारागृह के मुख्य प्रहरी विनीत शर्मा ने मीडियाकर्मियों को कहा कि बंदी के साथ कोई मारपीट नहीं हुई। उसे बीपी आदि की समस्या थी।

गौरतलब है कि कपासन में मेवदा कॉलोनी निवासी सुरेश पुत्र नारायण कंजर को 1998 के एक लंबित मामले में स्थायी वारंटी होने से कपासन पुलिस द्वारा 27 मार्च को कोर्ट में पेश किया गया था जहां से उसे न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया था। परिजनों का आरोप है कि जब वे 5 मार्च को सुरेश से मिलने जेल गए तो उन्हें जेल कार्मिकों ने बताया कि सुरेश की तबीयत खराब होने से उसे जिला अस्पताल भर्ती करवाया गया है। परिजन जब बुधवार को अस्पताल पहुंचे तो सुरेश की हालत गंभीर थी। वो आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया था। सुरेश के पुत्र राकेश ने बताया कि उसके पिताजी के शरीर पर मारपीट के निशान थे। शरीर नीला पड़ गया था जिससे प्रतीत होता है कि उन्हें जेल में यातनाएं दी गई। परिजनों का यह भी दावा है कि जेल से छूटे मेवदा कॉलोनी में ही रहने वाले उनके समाज के दो अन्य लोगों ने सुरेश के साथ जेल में पिटाई की बात बताई।

हिरासत में यातना के आरोप की जांच कोर्ट करेगा

गुरुवार सुबह 11 बजे अस्पताल में सुरेश की मौत हो गयी जिसपर परिजनों और समाज जनों ने कलेक्ट्रेट के बाहर धरना शुरू कर दिया। परिजनों ने इसे प्राकृतिक मृत्यु मानने से इनकार करते हुए मेडिकल बोर्ड द्वारा पोस्टमार्टम करने की मांग रखी। परिजनों ने कपासन थाने के पुलिस कर्मी दिनेश चौधरी और जेल कार्मिकों के विरुद्ध एससी/एसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज करने की भी मांगे रखी। अधिवक्ता प्रकाश कंजर ने द मूकनायक को प्रकरण की जानकारी देते हुए बताया कि मेडिकल बोर्ड द्वारा पोस्टमार्टम की मांग प्रशासन द्वारा मान ली गयी। शुक्रवार को दाह संस्कार भी हो गया। "न्यायिक अभिरक्षा में बन्दी की मृत्यु के आरोपों की जांच स्वयं कोर्ट द्वारा की जाएगी और यदि मामले में प्रथम दृष्ट्या कोई संदेह उजागर होता है तो कोर्ट स्वत: संज्ञान लेकर मुकदमा दर्ज करेगी" अधिवक्ता ने कहा।

इधर, समाजजनों द्वारा मृतक के परिजनों को क्षतिपूर्ति के रूप में पचास लाख रुपये और एक आश्रित को सरकारी नौकरी की मांग की गई जिसपर कपासन एसडीएम ने सहानुभूतिपूर्वक विचार कर मुख्यमंत्री को रिपोर्ट भेजने का आश्वासन दिया है। राजस्थान कंजर महापंचायत के अध्यक्ष ग्यारसीलाल घोघवत एवं अन्य पदाधिकारियों ने मामले में उचित कार्रवाई नहीं होने पर अगली रणनीति बनाने और धरना-प्रदर्शन करने की बात कही।

राजस्थान विमुक्त घुमन्तु एवं अर्द्ध घुमन्तु जाति कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष चतराराम देशबंधु तथा अतिरिक्त जिला कलक्टर चित्तौड़गढ़ के बीच समाज एवं सामाजिक कार्यकर्ता के साथ कलेक्टर आफिस में भी इस प्रकरण को लेकर वार्त्तालाप हुई जिसमें सभी मुद्दों को लेकर चर्चा की गई।

मृतक के स्वास्थ्य की स्थिति से अनजान परिजन

सुरेश के बेटे राकेश ने बताया कि पुलिस ने उसके पिता को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया, जिसने उसे उसी दिन न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया. हालांकि, लगभग आठ दिनों की पूरी अवधि के दौरान परिवार को उससे मिलने या उससे बात करने की अनुमति नहीं दी गई थी। राकेश ने कहा कि 5 अप्रैल को उसकी मां और परिवार के अन्य सदस्य उसके पिता से मिलने जेल गए थे, लेकिन उन्हें बताया गया कि सुरेश की तबीयत खराब होने पर उसे जिला अस्पताल ले जाया गया है. जब परिवार के कुछ सदस्य आखिरकार उसे अस्पताल में देखने में कामयाब हुए, तो उन्होंने उसे आईसीयू में वेंटिलेटर पर और गंभीर हालत में पाया। परिजनों ने कहा कि सुरेश एकदम स्वस्थ थे और कोर्ट में पेश किए जाने के बाद उनके साथ क्या हुआ, इसकी कोई खबर नहीं है।

पक्षपातपूर्ण क्रिया

बताया जाता है कि पुलिस चोरी और अन्य अपराधों के निराधार आरोपों पर सुरेश और कंजर समुदाय के अन्य सदस्यों को परेशान कर रही थी। सूत्रों के मुताबिक, चित्तौड़गढ़ के विभिन्न थानों में दलित समुदाय के पुरुषों के खिलाफ 260 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं.

इस घटना से समुदाय में व्यापक आक्रोश फैल गया है, लोग सुरेश के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मंग कर रहे हैं।

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