डेटिंग ऐप्स के जातिवाद पर लिखने पर दलित पत्रकार की ट्रोलिंग, जानिए क्या है मामला?

ऊंची जाति के पुरुष केवल आरक्षण पर बहस करना चाहते हैं, इंस्टाग्राम प्रोफाइल को देखने के बाद बातचीत बंद कर देते थे: मनीषा मंडल, पत्रकार
फोटो जर्नलिस्ट मनीषा मंडल.
फोटो जर्नलिस्ट मनीषा मंडल.

नई दिल्ली। द प्रिंट की वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट मनीषा मंडल द्वारा डेटिंग एप्स पर लिखे एक आर्टिकल के कारण जातिवादी दुर्व्यवहार और बॉडी शेमिंग का शिकार होना पड़ रहा है। जब उन्होंने एक दलित महिला के रूप में डेटिंग ऐप्स पर अपने अनुभवों का लेख लिखा तभी से उन्हें सोशल मीडिया पर बुरी तरह ट्रोल किया जा रहा है।

जिस लेख के कारण दलित महिला फोटो पत्रकार को निशाना बनाया जा रहा है। उस लेख का शीर्षक 'बीइंग दलित ऑन ए डेटिंग एप्प' (Being Dalit on a dating app) है। उन्होंने इस आर्टिकल में लिखा था, की ऊंची जाति के पुरुष केवल आरक्षण पर बहस करना चाहते हैं, डेटिंग ऐप्स पर मनीषा ने ऊंची जाति के पुरुषों से आरक्षण के बारे में बात की थी। उनके निजी अनुभव पर लिखे लेख के बाद बॉडी शेमिंग और दलित से होने के कारण उन्हें ट्रोल किया जा रहा है।

मनीषा के आर्टिकल में बम्बल एवं अन्य डेटिंग ऐप्स पर अनुभवों के बारे में बताया था। उन्होंने लिखा कि इन एप्स पर ऊंची जाति के पुरुष उनके इंस्टाग्राम प्रोफाइल को देखने के बाद उनके साथ बातचीत बंद कर देते थे, जिसमें उनके बायो में 'नमसुद्र दलित, पश्चिम बंगाल' लिखा होता है। यह लेख मनीषा के इस सुझाव के साथ समाप्त किया, कि डेटिंग ऐप्स लिंग के साथ-साथ जातिगत प्राथमिकताओं को भी फ़िल्टर के रूप में जोड़ सकते हैं।

तीखी ट्रोलिंग के बाद कई लोग मनीषा के समर्थन में सामने आए। एक न्यूज़ वेबसाइट के मुताबिक मनीषा मंडल के ट्रोलिंग मामले में एक यूजर ने कहा कि कैसे ऊंची जाति की मानसिकता लोगों को जन्म से ही भेदभाव करना सिखाती है। उन्होंने आगे कहा, “ऊंची जाति के लोग दलित पत्रकार मनीषा मंडल को उनकी शारीरिक बनावट और जाति के आधार पर ट्रोल कर रहे हैं। उनकी मानसिकता और जातिगत अहंकार उन्हें जन्म से ही भेदभाव करना सिखाता है, हम मनीषा के साथ मजबूती से खड़े हैं।"

इधर, केरल कांग्रेस के मीडिया और जनसंपर्क प्रभारी लावण्या बल्लाल जैन भी मनीषा के समर्थन में सामने आए हैं, उन्होंने कहा, “मैंने लेख पढ़ा, मैंने टिप्पणियाँ पढ़ीं। टिप्पणियाँ शरीर को शर्मसार करने और स्त्रीद्वेष से भरी हुई हैं, वह भी उन पुरुषों की ओर से जिन्होंने लेख नहीं पढ़ा है। ये लोग सिर्फ लेख में कही गई बात को साबित कर रहे हैं। मनीषा मंडल, आपको और शक्ति मिले।”

एक अन्य व्यक्ति ने लिखा, कि जाति और डेटिंग कैसे "बहुत अधिक संबंधित हैं।" उन्होंने आगे कहा, “हां, डेटिंग और जाति एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, बहुत ज्यादा जुड़े हुए हैं। उच्च जाति के पुरुष जो मनीषा मंडल द्वारा लिखित वास्तविकता को पचा नहीं पाते हैं, वे बॉडी शेमिंग का सहारा ले रहे हैं, क्योंकि जब पुरुष महिलाओं के साथ तार्किक रूप से बहस नहीं कर सकते हैं तो वे बॉडी शेमिंग या चरित्र हनन को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं।”

ट्रोलिंग और जातिगत दुर्भावना के इस मामले में द प्रिंट ने एक बयान जारी कर कहा कि ये टिप्पणियां उनके रिपोर्टर को खतरे में डालती हैं, और अगर साइबर उत्पीड़न जारी रहा तो वे कानूनी सहारा भी लेंगे।

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