“चर्च हमारा है, लेकिन रथ हमारी गलियों में क्यों नहीं आता?” — जब दलित ईसाइयों ने उठाई आवाज़, तो बिशप ने भी कर दिया बग़ावत!

दलित ईसाइयों का आरोप—रथ उनके मोहल्ले में नहीं लाया जाता, सदस्यता से वंचित कर रखा जाता है, बिशप ने जताया विरोध
तमिलनाडु: चर्च उत्सव में जातीय भेदभाव, दलित ईसाई भूख हड़ताल पर
तमिलनाडु: चर्च उत्सव में जातीय भेदभाव, दलित ईसाई भूख हड़ताल पर(सांकेतिक तस्वीर)
Published on

तमिलनाडु/तिरुची: थुरैयूर के पास स्थित कोट्टापलयम गांव के दलित ईसाइयों ने सोमवार को तिरुची कलेक्ट्रेट के पास भूख हड़ताल शुरू की। उन्होंने आरोप लगाया कि सदी पुराने सेंट मैरी मैग्डलीन चर्च के चल रहे वार्षिक उत्सव से उन्हें जानबूझकर बाहर रखा गया है और लगातार जातिगत भेदभाव का शिकार होना पड़ रहा है।

यह उत्सव 14 जुलाई से शुरू हुआ है और यह चर्च रोमन कैथोलिक डायोसीज़ ऑफ कुंभकोणम के अंतर्गत आता है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उन्हें दशकों से उत्सव की योजनाओं में शामिल नहीं किया गया, चर्च की समिति में जगह नहीं दी गई और उनके इलाके में रथ यात्रा नहीं ले जाई जाती।

“दान दो, लेकिन सवाल मत पूछो”

लंबे समय से चर्च से जुड़े जे. डॉस प्रकाश ने कहा, “हमसे चर्च की तरह-तरह की सदस्यता नहीं ली जाती, जैसा दूसरों से लिया जाता है। इसके बजाय हमें केवल ‘दान’ देने को कहा जाता है। इसका मकसद हमें आवाज़ उठाने से रोकना है।”

बिशप का प्रतीकात्मक विरोध

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, चर्च के बिशप जीवनानंदम अमलानाथन ने बताया कि वे मंगलवार को होने वाली रथ यात्रा में हिस्सा नहीं लेंगे। उन्होंने कहा, “पारिश में जारी जातिगत भेदभाव चिंताजनक है। प्रभावशाली जातियों के ईसाई दलित ईसाइयों को बराबरी का हक़ देने को तैयार नहीं हैं।” हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि चर्च की ओर से किसी के साथ भेदभाव नहीं किया गया है।

“हमारी गलियों में नहीं आता एक भी रथ”

प्रदर्शनकारियों ने बताया कि उत्सव के दौरान कुल सात रथ निकाले जाते हैं, लेकिन एक भी रथ दलित बस्तियों की गलियों में नहीं आता। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “6 जुलाई को हुई उत्सव योजना बैठक में हमें जातिसूचक गालियां दी गईं और धमकाया गया कि हम हस्तक्षेप न करें।”

पैरिशनर राज नोबिली ने कहा, “सदस्यता देने के बाद ही हमें सवाल पूछने का अधिकार मिलता है। इसलिए हमसे सदस्यता नहीं ली जाती। प्रशासन को कम से कम यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एक रथ हमारी गली में भी आए।”

“संविधान का उल्लंघन”

मानवाधिकार वकील जो केनेडी, जो प्रदर्शन में शामिल थे, ने कहा, “यह भारत के संविधान में दिए गए समानता के अधिकार का उल्लंघन है। चर्च को अपने अंदर फैले जातिवाद की दीवार को तोड़ना होगा।”

प्रदर्शनकारियों ने जिला राजस्व अधिकारी (DRO) को ज्ञापन सौंपा और चर्च के पादरी व अन्य लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की, जिन्होंने कथित तौर पर जातिवादी टिप्पणी की और धमकी दी।

प्रमुख मांगें:

  • सभी धार्मिक और उत्सव गतिविधियों में समान अधिकार

  • समावेशी पैरिश परिषद का गठन

  • जातिगत भेदभाव पर कानूनी कार्रवाई

राजस्व विभाग के सूत्रों के अनुसार, संबंधित अधिकारियों को मामले की जांच के निर्देश दिए गए हैं।

तमिलनाडु: चर्च उत्सव में जातीय भेदभाव, दलित ईसाई भूख हड़ताल पर
MP: होटल में पत्नी से सहमति के बिना संबंध बनाना पड़ा महंगा, BNS की धारा 67 में केस दर्ज, जानिए पूरा मामला?
तमिलनाडु: चर्च उत्सव में जातीय भेदभाव, दलित ईसाई भूख हड़ताल पर
MP छतरपुर पुलिस पर आदिवासी युवकों के प्राइवेट पार्ट में मिर्च डालकर यातना देने का आरोप, तीन पुलिसकर्मी सस्पेंड
तमिलनाडु: चर्च उत्सव में जातीय भेदभाव, दलित ईसाई भूख हड़ताल पर
सुबह एक्सरसाइज के बाद छात्र अचानक गायब हुआ… एक घंटे बाद पेड़ से लटका मिला शव, दलित छात्र की मौत से उठे कई सवाल!

द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.

The Mooknayak - आवाज़ आपकी
www.themooknayak.com