राजस्थान के स्कूल में गणतंत्र दिवस पर सरस्वती पूजा का मामला: राजकार्य में बाधा डालने का आरोप

बहुजन संगठनों ने मामले में प्रदर्शन के बाद ज्ञापन सौंप कर एफआईआर में राजकार्य में बाधा डालने की धाराएं जोड़ने की मांग की.
राजस्थान के स्कूल में गणतंत्र दिवस पर सरस्वती पूजा का मामला: राजकार्य में बाधा डालने का आरोप

जयपुर। राजस्थान के बारां जिले के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय लकड़ाई में गणतंत्र दिवस पर आयोजित समारोह में सावित्री बाई फुले व सरस्वती के चित्र को लेकर उपजा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। दोनों पक्षों की ओर से प्राथमिकी दर्ज होने के बाद अब विभिन्न राजनीतिक व सामाजिक संगठनों ने सरकारी स्कूल में सरस्वती की पूजा से इनकार करने वाली महिला शिक्षक के समर्थन में प्रदर्शन शुरू कर दिया है। सामाजिक संगठनों ने महिला शिक्षक को जातिसूचक शब्दों से अपमानित कर स्कूल में सरस्वती की पूजा करने का दबाव बनाने वाले आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग भी की है। भीम आर्मी सहित विभिन्न सामाजिक संगठनों ने बीते दिवस सोमवार को बारां जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन के बाद विभिन्न मांगों को लेकर जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।

पुलिस पर मुकदमे में जरूरी धाराएं नहीं लगाने का आरोप

प्रदर्शनकारियों ने इस मामले में स्थानीय पुलिस की मंशा पर भी सवाल उठाए हैं। जिला कलेक्टर को सौंपे ज्ञापन में बताया कि, 26 जनवरी को राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस समारोह में कुछ लोगों ने सरस्वती की पूजा के लिए महिला शिक्षक को बाध्य किया। मना करने पर जातिसूचक शब्दों का प्रयोग किया और गैर संवैधानिक कार्य के लिए धमकाया गया। महिला शिक्षक के द्वारा दर्ज करवाई गई एफआईआर में पुलिस ने राष्ट्रीय पर्व में बाधा उत्पन्न करने की धारा नहीं जोड़ी। ऐसे में राज कार्य में बाधा की धाराएं जोड़ी जाए।

भीम आर्मी ने ज्ञापन के माध्यम से कलेक्टर को बताया कि समारोह के दौरान विद्यालय में कार्यरत शिक्षक मौजूद थे, लेकिन इन्होंने राष्ट्रीय पर्व में व्यवधान डालने वालों को रोकने की बजाय उन्हें भड़काया। जिसके कारण यह घटना घटित हुई, अत: कार्यरत स्टॉफ के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए।

संविधान की दी दुहाई

भीम आर्मी ने ज्ञापन के माध्यम से कहा कि संविधान के 28 क/1 अनुच्छेद के अनुसार राज्य निधि से पूर्णत पोषित किसी शिक्षा संस्था में कोई धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाएगी। ऐसे में सभी विद्यालयों में इसकी पालना सुनिश्चित की जाए। आर्टिकल 28/3 (ग) के अनुसार किसी भी सरकारी संस्थाओं में उपस्थित होना या धर्म की उपासना के लिए बाध्य तब तक नहीं किया जा सकता जब तक वह स्वयं सहमत न हो। उपर्युक्त दोनों अनुच्छेदों के अनुसार अध्यापिका संवैधानिक रूप से पूर्णत: सही है। इसके बावजूद भी आरोपियों द्वारा उनको बाध्य किया गया और अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया गया। इसके साथ-साथ थाना परिसर में भी एफआईआर दर्ज कराते समय अध्यापिका को उठाकर ले जाने की धमकी दी गई। ऐसे में अध्यापिका को सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए।

भीम आर्मी बारां जिलाध्यक्ष पीयूष रैगर ने कहा कि, "हमने प्रशासन से मांग की है कि जांच के नाम पर महिला शिक्षक को स्कूल से हटाकर दूरस्थ स्थान पर नहीं लगाया जाए। निष्पक्ष जांच के लिए समारोह में अभद्रता करने वाले तथा असंवैधानिक कार्य करने वाले अध्यापक हंसराज सेन एवं भूपेन्द्र सेन का अन्यत्र पदस्थापन किया जाए।"

उन्होंने कहा कि, संविधान के आर्टिकल 13 का सरकारी संस्थानों में पालन करवाया जाए। जिससे भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं घटित ना हो। भारतीय पूजा स्थल अधिनियम 1954 को सार्वजनिक स्थलों पर लागू किया जाए, ताकि संविधान का संरक्षण हो और इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो सके।

अजाक भी समर्थन में आया

बारां जिले के लकड़ाई गांव के सरकारी स्कूल में सावित्री बाई फुले व सरस्वती की तस्वीर लगाने व सरस्वती की पूजा को लेकर उपजे विवाद के बाद डॉ. अम्बेडकर अनुसूचित जाति अधिकारी-कर्मचारी एसोसिएशन (अजाक) भी महिला शिक्षक के समर्थन में खड़ा हो गया है। अजाक प्रदेशाध्यक्ष श्रीराम चोरडिया की अगुवाई में संगठन ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर महिला शिक्षक हेमलता बैरवा को न्याय, सुरक्षा, संरक्षण प्रदान करने तथा आरोपियों एवं विद्यालय के आरोपी स्टाफ के विरुद्ध विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की मांग की है।

संगठन ने ज्ञापन के माध्यम से सीएम को बताया कि गणतंत्र दिवस समारोह में महिला शिक्षक संवैधानिक लोक सेवक के उत्तरदायित्वों का निर्वहन कर रही थी। इस दौरान स्थानीय ग्रामीणों एवं स्कूल स्टाफ, जिनके नाम एफआईआर में दर्ज हैं, के द्वारा राष्ट्रीय पावन पर्व के दौरान जानबूझकर व्यवधान उत्पन्न किया गया। महिला शिक्षक को सार्वजनिक रूप से डराया, धमकाया एवं जाति सूचक शब्दों से तिरस्कार करते हुए अपमानित किया। यह महिला उत्पीड़न की श्रेणी में आता है। जबकि प्रधानमंत्री महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं। एफआईआर में राज कार्य में बाधा डालने की धाराएं शामिल की जाए।

अजाक ने सीएम को सौंपे ज्ञापन में कहा कि, शिक्षिका अनुसूचित जाति की महिला है। सरस्वती की तस्वीर लगाने से इंकार कर उसके द्वारा लोक कर्तव्य की पालना संवैधानिक प्रावधानों के अधीन की है। अनावश्यक रूप से उसे डराने-धमकाने, राष्ट्रीय पर्व के आयोजन में बाधा डालने, जातिगत टिप्पणी कर अपमानित करने से, माता सावित्री बाई एवं बाबा साहेब आंबेडकर के बारे में आरोपी गण के अपमानजनक व्यवहार के कारण तथा विभाग की ओर से शिक्षिका के समर्थन एवं संरक्षण हेतु कोई प्रभावी कदम नहीं उठाने से समस्त अनुसूचित वर्ग में रोष व्याप्त हो रहा है। ऐसे में घटना की गंभीरता को समझते हुए शिक्षिका की सुरक्षा, संरक्षण हेतु सभी आवश्यक कदम अविलंब उठाए जाएं।

एफआईआर में पुलिस ने किया पक्षपात

प्रदर्शन के बाद भीम आर्मी प्रदेश संयोजक मुकेश बैरवा ने कहा कि इस घटना में कहीं ना कहीं पुलिस की कार्यशैली भी पक्षपात वाली नजर आ रही है। उन्होंने कहा कि राजकीय समारोह में सार्वजनिक रूप से गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में व्यवधान उत्पन्न किया गया। चलते समारोह को रोका गया, लेकिन पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ राजकार्य में बाधा उत्पन्न करने की धाराएं नहीं लगाई। हमने छूटी हुई धाराएं जोड़ते हुए आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की है। प्रशासन ने तीन दिन का समय मांगा है। महिला शिक्षक को न्याय नहीं मिला तो भीम आर्मी बड़े स्तर पर आंदोलन करेगी।

इसलिए नहीं जोड़ी धारा

महिला शिक्षक द्वारा दर्ज करवाई गई प्राथमिकी में नाहरगढ़ थाना पुलिस द्वारा राजकार्य में बाधा उत्पन्न करने के आरोप में धाराएं नहीं जोड़ने पर नाहरगढ़ थानाधिकारी देवकरण चौधरी ने द मूकनायक से कहा कि, गणतंत्र दिवस समारोह राजकार्य नहीं है। यह आमजन का कार्य है। इसमें सभी लोग शामिल होते हैं। इसलिए राजकार्य में बाधा उत्पन्न करने वाली धाराएं शामिल नहीं की गई हैं। फिर भी अनुसंधान में ऐसी कोई बात आती है तो धाराएं जोड़ दी जाएंगी।

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