तमिलनाडु: प्लास से दांत उखाड़ने वाले एएसपी के खिलाफ SC-ST एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज

सीबीसीआईडी ने दर्ज कराई एफआईआर, घटना संज्ञान में आने पर सीएम स्टालिन ने जताई थी नाराजगी, सख्त कार्रवाई के दिए थे आदेश।
तमिलनाडु: प्लास से दांत उखाड़ने वाले एएसपी के खिलाफ SC-ST एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज

तमिलनाडु। तिरुनेलवेली के अंबसमुद्रम में मार्च के महीने में मारपीट की घटना में थाने लाये गए आरोपियों के प्लास से दांत उखाड़ने और थर्ड डिग्री देने के मामले में अपराध शाखा-आपराधिक जांच विभाग (सीबी-सीआईडी) के अधिकारियों ने निलंबित अंबासमुद्रम एएसपी बलवीर सिंह और उनकी टीम के पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। जब यह घटना हुई तो मामले ने तूल पकड़ लिया था। इस दौरान डीजीपी ने पुलिस अधिकारी का ट्रांसफर कर विभागीय जांच बैठा दी थी। वहीं इस मामले को लेकर सीएम ने भी नाराजगी जताई थी।

जानिए क्या था पूरा मामला?

तमिलनाडु में तिरुनेलवेली के अंबसमुद्रम में राजस्थान के रहने वाले अधिकारी 15 अक्टूबर 2022 को सहायक पुलिस अधिकारी के पद पर तैनात थे। वो आइआइटी बांबे के छात्र रह चुके हैं। अधिकारी के इस आचरण से लोग हैरत में हैं और मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। जानकारी के मुताबिक, मार्च 2023 में जमीन सिंगमपट्टी के रहने वाले सूर्या नामक व्यक्ति को एएसपी बलबीर सिंह ने इलाके में लगे सीसीटीवी कैमरे को तोड़कर हंगामा करने के आरोप में पकड़ लिया था और थाने ले जाकर उसके दांत उखाड़ दिए थे। वहीं दूसरे एक अन्य मामले में दो पक्षो में हुए मामूली विवाद और मारपीट में पुलिस ने आधा दर्जन से अधिक लोगों को हिरासत में लिया था।

इस घटना का शिकार हुए चिनप्पा ने बताया, "एएसपी दस्ताने और ट्रैक पैंट पहनकर आए। उन्होंने हमारे मुंह में पत्थर डालकर बेरहमी से पीटा और फिर पत्थरों से हमारे दांत भी तोड़ दिए थे।" एक ने कहा कि उसके भाई मरियप्पन की हाल ही में शादी हुई है, यह बात बताने के बाद भी एएसपी ने उसका अंडकोष को कुचल दिया और प्रताड़ित किया। इस वजह से पीड़ित कई दिनों तक खाना खा पाने में असमर्थ थे।

इस मामले में पीड़ित ने अपना बयान सोशल मीडिया पर डाल दिया, जिसके बाद इस घटना को लेकर हड़कंप मच गया। सीएम स्टालिन ने भी अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश दिए थे। जिसके बाद भारतीय दंड संहिता की धारा 323, 324, 326, और 506 (i), अनुसूचित जाति की 3 (1) (ई), 3 (2) (वी), 3 (2) (वीए)' अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम और किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

सूत्रों के अनुसार, सीबी-सीआईडी ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 160 (1) और 91 के तहत लगभग 10 कस्टोडियल टॉर्चर पीड़ितों को समन जारी किया, जिसमें एक अनुसूचित जाति का युवक भी शामिल है, जिसमें उन्हें जांच के लिए अपने मेडिकल रिकॉर्ड के साथ पेश होने के लिए कहा गया है। सिंह और उनकी टीम के खिलाफ सीबी-सीआईडी द्वारा दर्ज किया गया यह दूसरा मामला है। पहला मामला ई सुभाष की शिकायत के आधार पर दर्ज किया गया था, जिनके तीन दांत कथित तौर पर कल्लिदैकुरिची पुलिस स्टेशन में तोड़ दिए गए थे।

इस मामले में पीपल्स वॉच के कार्यकारी निदेशक हेनरी टीफागने, जो पीड़ितों की सहायता कर रहे हैं, ने कहा कि एससी शिकायतकर्ता को एफआईआर की प्रति देने से इनकार करना एससी/एसटी (पीओए) अधिनियम के 15 ए (9) का उल्लंघन है। उन्होंने आरोप लगाया, ''अम्बासमुद्रम हिरासत में प्रताड़ना मामले की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा नियुक्त पुलिस विभाग और जांच अधिकारी शुरू से पारदर्शी नहीं रहे हैं।''

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