अमेठी में 2500 रुपये मजदूरी मांगना दलित मजदूर को पड़ा भारी, जमींदार पर पीट-पीटकर हत्या करने का आरोप

अमेठी में फिर दलित उत्पीड़न: 2500 रुपये के लिए पीट-पीटकर हत्या, परिवार का आरोप- पुलिस ने हल्की धाराओं में दर्ज किया केस
youth beaten to death
युवक की पीट-पीट कर हत्या(सांकेतिक तस्वीर)
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अमेठी: उत्तर प्रदेश के अमेठी से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहाँ एक अमीर जमींदार और उसके साथियों पर एक दलित खेतिहर मजदूर की पीट-पीटकर हत्या करने का आरोप लगा है। पीड़ित परिवार ने रविवार को आरोप लगाया कि उनके (मजदूर) के करीब 2,500 रुपये के बकाया मजदूरी मांगने पर यह जघन्य अपराध किया गया।

टेलीग्राफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, 40 वर्षीय मृतक हौसिला प्रसाद की यह मौत, पड़ोसी जिले रायबरेली में 1 अक्टूबर को हुई एक अन्य दलित की लिंचिंग के कुछ ही हफ्तों बाद हुई है। रायबरेली में उस व्यक्ति को "ड्रोन चोर" होने के आरोप में मार दिया गया था। कथित लिंचिंग का एक वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित होने के बाद, पुलिस ने उस घटना के तीन दिन बाद चार लोगों को गिरफ्तार किया था। उस मामले में भी पुलिस ने पहले गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया, लेकिन मीडिया में तूल पकड़ने के बाद आरोप को हत्या में बदल दिया गया।

पुलिस पर उठे सवाल

अमेठी मामले में, पुलिस ने एक उच्च जाति के जमींदार शुभम सिंह को गिरफ्तार तो किया है, लेकिन पीड़ित परिवार पुलिस की कार्रवाई से असंतुष्ट है। परिवार का कहना है कि पुलिस ने हत्या के बजाय गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया है और चार आरोपियों की जगह सिर्फ एक (शुभम) को ही नामजद किया है।

क्या है पूरा मामला?

मृतक की पत्नी कीर्ति ने रामबाड़ी मजरे सराय महेसा गांव में संवाददाताओं को बताया कि 40 वर्षीय हौसिला प्रसाद को "शुभम सिंह और उसके तीन पारिवारिक सदस्यों व दोस्तों ने अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में अपने खेत में काम करने के लिए जबरन ले गए थे।"

कीर्ति ने कहा कि प्रसाद ने वहां 350 रुपये की दैनिक मजदूरी के वादे पर एक सप्ताह तक काम किया, लेकिन उन्हें भुगतान नहीं किया गया।

कीर्ति ने आगे बताया,"26 अक्टूबर को, जब वह अपनी मजदूरी मांगने गए, तो उन्होंने (आरोपियों ने) उन्हें रॉड से पीटा। जब वह बेहोश हो गए, तो वे (आरोपी) एक जीप में हमारे घर आए और उन्हें दरवाजे के पास फेंक कर चले गए।"

प्रसाद को सिर में गंभीर घावों के अलावा कई अन्य चोटें भी आई थीं। उन्हें एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल रेफर किया जाता रहा, और अंततः रविवार को लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) में उनकी मृत्यु हो गई।

पुलिस ने क्या कहा?

सर्किल ऑफिसर (CO) दिनेश कुमार मिश्रा ने शुभम की "गैर-इरादतन हत्या (जो हत्या की श्रेणी में नहीं आता)" के आरोप में गिरफ्तारी की पुष्टि की और कहा कि पुलिस "जांच कर रही है।"

"पुलिस ने हमें धमकाया"

मृतक के एक रिश्तेदार, मनीष प्रसाद ने कहा, "हमने शव को हाईवे पर रखकर धरना देने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने हमें धमकाया और जल्दी से अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर किया।" मनीष ने यह भी आरोप लगाया, "पुलिस ने पहले इसे मामूली मारपीट का मामला बताया, फिर केवल एक व्यक्ति के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया। जबकि पूरा गांव जानता है कि कम से कम चार लोगों ने हौसिला प्रसाद को पीटा था।"

उत्तर प्रदेश में दलितों पर अन्य हमले

यह कोई इकलौती घटना नहीं है। उत्तर प्रदेश के अन्य हिस्सों से भी दलितों पर हमलों की खबरें आई हैं। 20 अक्टूबर को लखनऊ के काकोरी इलाके में शीतला माता मंदिर की सीढ़ियों से 65 वर्षीय राम पाल को अपना ही मूत्र चाटने के लिए मजबूर किया गया। बताया गया कि वह यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन से पीड़ित थे।

इन घटनाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए, राज्य भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष रामचंद्र कन्नौजिया ने दावा किया कि पिछली सरकारें ऐसी घटनाओं को नजरअंदाज कर देती थीं। उन्होंने कहा, "हम एक मिसाल कायम करने के लिए आरोपियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई करते हैं।"

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