
मुंबई- भारत की आर्थिक संरचना में जातिगत असमानता का कड़वा सच सामने आया है। डॉ. बी.आर. अंबेडकर के पड़पोते और बौद्ध सोसाइटी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजरत्न अंबेडकर ने एक खुलासा किया कि 2011 की जनगणना के अनुसार 16.6 प्रतिशत आबादी वाले अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय की सहकारी क्षेत्र में नेटवर्थ शून्य है। वहीं, अन्य समुदायों की तुलना में ब्राह्मणों, सिखों और पारसियों जैसे छोटे समुदायों की नेटवर्थ हजारों करोड़ों में है।
आर्थिक असमानता को दूर करने के लिए राजरत्न अंबेडकर ने इस वर्ष की शुरुवात में 'डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर मल्टीस्टेट कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी लिमिटेड' (एएमएससी) की स्थापना की जो देश का पहला अनुसूचित जाति और बौद्ध सहकारी क्रेडिट मंच है। नागपुर और ठाणे में ब्रांच चल रही है । अगले दो सालों में इसे सहकारी बैंक में बदलने का लक्ष्य है, और पांच सालों में यह पूर्ण राष्ट्रीयकृत बैंक बनने की दिशा में बढ़ेगा।
यह पहल न केवल आर्थिक सशक्तिकरण का प्रतीक है, बल्कि डॉ. अंबेडकर के 'स्वावलंबी अर्थव्यवस्था' के दर्शन को साकार करने का प्रयास भी है। राजरत्न अंबेडकर ने कहा, "हमारी 16.6 प्रतिशत आबादी की नेटवर्थ जीरो है, क्योंकि हमारे पैसे दूसरों के बैंकों में पड़े हैं।
अंबेडकर ने 2011 की जनगणना के आंकड़ों का हवाला देते हुए विभिन्न समुदायों की आबादी और उनकी सहकारी बैंकों की नेटवर्थ का तुलनात्मक विश्लेषण पेश कियाजो इस प्रकार हैं:
मुस्लिम आबादी: 14.2 प्रतिशत (लगभग 17.2 करोड़)।
ईसाई आबादी: 2.3 प्रतिशत।
जैन आबादी: 0.4 प्रतिशत।
पारसी आबादी: वास्तव में 0.006 प्रतिशत इनकी सहकारी नेटवर्थ करीब 10,000 करोड़ रुपये बताई गई।
अनुसूचित जाति (एससी) आबादी: 16.6 प्रतिशत (लगभग 20 करोड़), लेकिन सहकारी क्षेत्र में नेटवर्थ शून्य। अंबेडकर ने स्पष्ट किया कि हाल ही में स्थापित 'डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर बैंक' (2024-25) का ऑडिट रिपोर्ट उपलब्ध न होने से इसे शून्य माना गया है।
ब्राह्मण आबादी: अनुमानित 4 प्रतिशत, जिनकी 'सारस्वत बैंक' की नेटवर्थ 59,000 करोड़ रुपये से अधिक।
सिख आबादी: 1.7 प्रतिशत 'खालसा क्रेडिट सोसाइटी' की नेटवर्थ 75.7 मिलियन डॉलर (लगभग 6,300 करोड़ रुपये)।
अंबेडकर ने जोर देकर कहा कि दलित समुदाय के 5,000 करोड़ रुपये से अधिक के फंड ब्राह्मणिकल सिस्टम (जैसे सारस्वत बैंक, एचडीएफसी, एसबीआई) में जमा हैं, लेकिन पहुंच की कमी से उपयोग नहीं हो पा रहे। "एक 80 वर्षीय व्यक्ति घर से कैसे निकलेगा? तो इसलिए उसके घर तक जाकर उसका शेयरहल्डर का फॉर्म भरकर उसकी एफडी, आरडीज, करंट अकाउंट के फॉर्म, सेविंगअकाउंट के फॉर्म भरने वाले मिशनरी लोग हायर कर रहा हूं। हमें मिशनरी चाहिए जो घर-घर जाकर फॉर्म भरें"।
अंबेडकर ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वे 'एम्प्लॉयी' नहीं, बल्कि 'मिशनरी' तलाश रहे हैं। "यह कोई 10 से 5 की नौकरी नहीं, बल्कि 24x7 का मिशन है। कांशीराम जी की तरह साइकिल पर गांव-गांव जाकर स्वतंत्र अर्थव्यवस्था बनानी है। जैसे मान्यवर काशीराम जी ने साइकिल पर यात्रा करके इस देश में चार बार अपनी सरकार बनाई,अपना मुख्यमंत्री बनाया, उसी तरह के लोग हमको चाहिए जो गांव-कूचे में जाकर अपनी स्वतंत्र अर्थव्यवस्था बनाएं।" भर्ती के लिए आवेदन 21 नवंबर तक jobs.amsc.co.in पर करने हैं। इंटरव्यू हेडक्वार्टर में होंगे, जहां मिशन के प्रति समर्पण की जांच होगी। वर्तमान में दो शाखाओं में ग्राहक संख्या तेजी से बढ़ रही है, जिससे स्टाफ वृद्धि आवश्यक हो गई है।
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