‘आदिवासी रिपोर्टिंग’: पत्रकार अंकित पचौरी की किताब अमेज़न और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध, MP के सुदूर अंचलों की ज़मीनी कहानियों के ज़रिए आदिवासी समाज की वास्तविक तस्वीर!

140 पेज की इस किताब में द मूकनायक के उप संपादक और लेखक अंकित पचौरी ने मध्यप्रदेश के सुदूर आदिवासी अंचलों में बिताए गए तीन वर्षों के अनुभवों और रिपोर्टिंग को बेहद संवेदनशीलता से पिरोया है।
लेखक अंकित पचौरी की किताब आदिवासी रिपोर्टिंग
लेखक अंकित पचौरी की किताब आदिवासी रिपोर्टिंग द मूकनायक
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नई-दिल्ली। मध्य प्रदेश के पत्रकार अंकित पचौरी की किताब ‘आदिवासी रिपोर्टिंग’ अमेज़न और फ्लिपकार्ट जैसे प्रमुख ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध है। यह किताब उन पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, अध्ययनरत छात्र, शोधार्थी और पाठकों के लिए उपयोगी साबित हो सकती है, जो आदिवासी समाज की असल ज़मीनी हकीकत को समझना चाहते हैं।

तीन वर्षों की जमीनी रिपोर्टिंग का निचोड़

140 पेज की इस किताब में लेखक अंकित पचौरी ने मध्यप्रदेश के सुदूर आदिवासी अंचलों में बिताए गए तीन वर्षों के अनुभवों और रिपोर्टिंग को बेहद संवेदनशीलता से पिरोया है। किताब में कुल आठ अध्याय हैं, जिनमें 14 मार्मिक आदिवासी कहानियों के जरिए यह बताया गया है कि कैसे संविधान में दिए गए अधिकार जमीनी स्तर पर आदिवासियों से दूर होते जा रहे हैं।

‘आदिवासी रिपोर्टिंग’ केवल रिपोर्टों का संकलन नहीं है, बल्कि यह एक पत्रकार की दृष्टि से आदिवासी समाज को देखने और समझने की एक गंभीर कोशिश है।

इस किताब में यह समझाने का प्रयास किया गया है कि मुख्यधारा की पत्रकारिता किस तरह आदिवासी मुद्दों से दूर रहती है और क्यों ज़रूरी है कि पत्रकार आदिवासी समाज के बीच जाकर, उनकी भाषा, संस्कृति और दर्द को आत्मसात करते हुए रिपोर्टिंग करें।

किताब इस बात को भी उजागर करती है कि सरकारी योजनाओं और संवैधानिक अधिकारों के बावजूद आदिवासी समुदाय अब भी हाशिये पर क्यों है।

किताब की प्रस्तावना वरिष्ठ पत्रकार एवं माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति दीपक तिवारी ने लिखी है। वहीं ‘दृष्टिकोण’ शीर्षक के अंतर्गत अपने विचार मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने साझा किए हैं, जो स्वयं भी आदिवासी समाज से आते हैं। यह किताब को और अधिक प्रामाणिक और व्यापक संदर्भ प्रदान करता है।

‘आदिवासी रिपोर्टिंग’ किताब की कीमत 245 रुपये रखी गई है। यह किताब अमेज़न और फ्लिपकार्ट दोनों प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध है, जहां से इसे ऑनलाइन मंगाया जा सकता है।

कौन हैं अंकित पचौरी

अंकित पचौरी बीते एक दशक से पत्रकारिता में सक्रिय हैं और उन्होंने आदिवासी, दलित एवं वंचित समुदायों पर विशेष रिपोर्टिंग की है। वह वर्तमान में द मूकनायक के उप संपादक हैं। उन्होंने विभिन्न मीडिया प्लेटफॉर्म्स के ज़रिए आदिवासी समुदायों की उपेक्षा, विस्थापन, शोषण, भाषा, शिक्षा और रोज़गार जैसे मुद्दों को उजागर किया है।

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